हाल ही में सोशल मीडिया इन आरोपों से भरा रहा कि जेएनयू छात्र नेता शेहला रशीद ने कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के लिए क्राउडफंडिंग से जुटाए पैसों को हथिया लिया। आरोप इतने गंभीर तरह से लगाए गए कि वकील विभोर आनंद ने उन लोगों से, जिन्हें लगता है कि शेहला रशीद ने उन्हें ठगा है, अपील की कि वह रशीद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।

क्राउडफंडिंग के आयोजकों क्रॉउडन्यूजिंग (Crowdnewsing) ने ट्वीट कि की पैसा परिवार तक पहुंच गया है, इसके बाद भी उसी तरह के कई आरोपों में रशीद को निशाना बनाया गया। उन्होंने परिवार की पासबुक की एक तस्वीर पोस्ट करके लेनदेन का सबूत दिखाया। पूरी प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक रूप से हुई थी, जिसमें पीड़िताओं के परिवारों के खाते में सीधे केट्टो (Ketto) से धन स्थानांतरित किया जा रहा था।

— Crowdnewsing (@crowdnewsing) November 14, 2018

रशीद के खिलाफ आरोप और बढ़ गए तब छात्र नेता ने अपने ट्विटर अकाउंट को “जहरीलापन और घृणा” का हवाला देते हुए डीएक्टिवेट करने का फैसला किया। दक्षिणपंथी सोशल मीडिया को प्रभावित करने वाली सोनम महाजन ने इसे पीड़ित परिवार के लिए जमा किये गए “40 ​​लाख रुपये” के सवालों से रशीद के बचने की कोशिश से जोड़ा, उन्होंने इसका यह मतलब निकला कि यह (धन) परिवारों तक कभी नहीं पहुंचा। इस लेख के लिखे जाने तक, महाजन के ट्वीट को 7,000 से अधिक बार रीट्वीट और 16,000 बार लाइक किया गया था।

अप्रैल में क्राउडफंडिंग शुरू होने के बाद से इसी तरह के आरोप सोशल मीडिया में चल रहे थे। उसी महीने, ज़ी न्यूज के सुधीर चौधरी ने अपने शो ‘डेली न्यूज एनालिसिस’ में हैशटैग #कठुआ बहाना, देश निशाना (#KathuaBahanaDeshNishana) के साथ इस फंड पर रिपोर्ट की। प्रसारण का शीर्षक था – “देखें, गैंगरेप पीड़िता के नाम पर लाखों का चंदा जमा करने का खेल

चौधरी ने घोषित किया, “बच्चे के माता-पिता की मदद करने के नाम पर, देशभर से लाखों रुपए एकत्र किए जा रहे हैं। फिर भी, परिवार को कोई मदद नहीं मिल रही है।”

 

तथ्य: सभी फंड स्थानांतरित कर दिए गए हैं

 

13 अप्रैल, 2018 को, ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म क्रॉडन्यूजिंग ने केट्टो (Ketto) की मदद से कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के लिए पैसा जमा करना शुरू किया। लक्ष्य राशि 10 लाख रुपये थी और शेहला रशिद इस अभियान को प्रारंभ करने वालों में से एक थीं।

चूंकि सार्वजनिक प्रतिक्रिया अप्रत्याशित रूप से जबरदस्त थी, आयोजकों ने अभियान को उन्नाव बलात्कार पीड़िता के लिए भी विस्तारित करने का फैसला किया। क्रॉडन्यूजिंग ने 14 अप्रैल को अपनी वेबसाइट पर एक अपडेट प्रकाशित किया था कि अंतिम राशि दोनों परिवारों के बीच समान रूप से वितरित की जाएगी।

क्रॉडन्यूजिंग के संस्थापक बिलाल जैदी ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “उन्नाव बलात्कार की पीड़िता के पैन (PAN) विवरण प्राप्त करने और कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के लिए संयुक्त खाता बनने में कुछ समय लग गया। लेकिन मई के अंत तक, दोनों परिवारों को उनका 18,46,774 रुपये का हिस्सा मिला था।” 25 मई को उनकी वेबसाइट पर भी इसे अपडेट किया गया था। इससे एक महीने बाद इस मामले में फंड जुटाने को लेकर शेहला रशीद द्वारा वीडियो के जरिये जानकारी साझा की गई थी।

4 नवंबर को, क्रॉडन्यूजिंग ने फंड इकट्ठा करने और उसके बाद के चरणबद्ध स्थानांतरण की विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। सोशल मीडिया पर निरंतर चल रही गलत सूचनाओं को गलत बताते हुए, पोर्टल ने कठुआ पीड़ित के परिवार के बयान को, कि पैसा हस्तांतरित हो गया था, भी प्रमाण के रूप में अपलोड किया।

ऑल्ट न्यूज़ ने खुद भी जम्मू-कश्मीर बैंक के अधिकारी से धनराशि के हस्तांतरण की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की। कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं द्वारा क्रॉडन्यूजिंग द्वारा अपलोड की गई हस्तलिखित पासबुक की तस्वीर पर प्रश्न उठाने के मामले में, अधिकारी ने कहा, “कश्मीर में अधिकांश जम्मू-कश्मीर बैंक शाखाएं मुद्रित पासबुक जारी नहीं करतीं, बल्कि प्रविष्टियां मैन्युअल रूप से बनाई जाती हैं।”

हमने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिवार से भी धनराशि के हस्तांतरण की पुष्टि की। उत्तरजीवी के चाचा महेश सिंह ने कहा, “हां, धन हमें 4-5 महीने पहले क्राउडन्यूजिंग द्वारा स्थानांतरित कर दिया गया था और हम इसका उपयोग करने में सक्षम हैं।”

इसके अलावा, हमने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से संपर्क किया जिन्होंने क्राउडफंडिंग के लिए दान किया था। उन्होंने कहा, “शुरुआत में, मैंने उन्हें (क्राउडफंड के आयोजकों को) बैंक के संपर्क में मदद की क्योंकि खाते के लिए कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता थी। पोर्टल (केट्टो) से परिवार में पैसे स्थानांतरित करने के लिए खाते की आवश्यकता थी। इस प्रक्रिया में मेरी इतनी भागीदारी थी।”

आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि धन कभी परिवार तक नहीं पहुंचा, अब्दुल्ला ने कहा, “मैंने इन दावों का समर्थन करने वाले सबूत नहीं देखे हैं। मैंने परिवार से कुछ नहीं सुना है। मैंने क्षेत्र में अपने सहयोगियों से यह पता लगाने की भी कोशिश की कि क्या कोई ऐसी बात है कि परिवार को धन उपलब्ध नहीं कराया गया था, लेकिन मैंने इस तरह का कुछ भी नहीं सुना। कम से कम जो मैं समझ सकता हूं, यह अभियान, राजनीतिक है और शेहला रशिद के राजनीतिक विचार की वजह से उसे निशाना बनाया गया।”

 

पैसे वापस निकालने में समस्याएं

 

2 नवंबर को, न्यूज 18 ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की – ‘अदालती सुनवाई पर जाने के लिए मवेशी बेचेः कठुआ पीड़िता के माता-पिता का न्याय के लिए संघर्ष‘ (Sold Livestock to Travel for Court Hearing: How Kathua Victim’s Parents Are Struggling to Get Justice)। पत्रकार आकाश हसन के इस लेख में कहा गया, “पीड़िता के पिता को कारगिल से 530 किमी नीचे पठानकोट तक की यात्रा, जहां एक अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है, के खर्चों का भुगतान करने के लिए मवेशी बेचना पड़ा।” इसके बाद सोशल मीडिया में चल रही गलत सूचना के अभियान को और बढ़ावा मिल गया।

न्यूज 18 की रिपोर्ट ने जरूरी जानकारी को छोड़ दिया कि परिवार को पशुधन इसलिए बेचना पड़ा क्योंकि वे बैंक खाता संचालित करने में असमर्थ थे, इसलिए नहीं कि धन हस्तांतरित नहीं हुआ था। क्रॉडन्यूजिंग के बिलाल जैदी के स्पष्टीकरण को इस कहानी में बाद में जोड़ा गया- “अधिकांश वर्ष के लिए, परिवार जम्मू-कश्मीर के सुदूर जंगलों में अपने झुंड के साथ यात्रा करते हैं, इसलिए हम समझते हैं कि बैंकों तक पहुंच बहुत सुविधाजनक नहीं होगी, लेकिन स्थानीय लोग बैंकिंग प्रक्रिया के साथ उनकी मदद कर रहे हैं। क्रॉउडफंडिंग 100% डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया है, यह बैंक से बैंक का लेनदेन था और नकद पेशकश का कोई विकल्प नहीं था।”

 

परिवार का जो बैंक खाता है उसे केवल संयुक्त रूप से संचालित किया जा सकता है

 

न्यूजक्लिक (Newsclick) द्वारा इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित रिपोर्ट – ‘आरोपों के बीच, कठुआ परिवार ने क्रॉडन्यूजिंग से फंड की प्राप्ति की पुष्टि की‘ – पीड़िता के पिता द्वारा पैसे हासिल ना होने के कारण बताए। “हमें क्रॉडन्यूजिंग से 18 लाख रुपये मिले हैं, और हम उस पैसे तक पहुंचने में सक्षम हैं। एकमात्र समस्या यह है कि मेरी बेटी को पालने वाले पिता के साथ मेरा संयुक्त खाता है। तो, हम दोनों को पैसा निकालने के लिए एक साथ जाना है।”

ऑल्ट न्यूज़ ने परिवार के संयुक्त खाते की प्रकृति को समझने के लिए जम्मू-कश्मीर बैंक के एक अधिकारी से संपर्क किया। “हां, बैंक के नाबाबाद शाखा में मामा और पीडिता को पालने वाले पिता के साथ एक संयुक्त खाता है,” उन्होंने बताया- “बैंक खाता खोलने के समय चुने गए संचालन के तरीके के कारण दोनों खाताधारकों के हस्ताक्षर इस खाते से पैसे निकालने के लिए आवश्यक हैं।”

जम्मू-कश्मीर बैंक का खाता खोलने का फॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध है। आल्ट न्यूज़ ने पाया कि इसमें तीन प्रकार के संयुक्त खाते खोलने का विकल्प है:

  1. संयुक्त रूप से: इस व्यवस्था में, खाते को सभी खाता धारकों द्वारा एक साथ संचालित करने की आवश्यकता है।
  2. एक या उत्तरजीवी: खाताधारक में से कोई भी इस मोड में खाते को हस्ताक्षर और संचालित कर सकता है।
  3. कोई भी या उत्तरजीवी: यदि एकाधिक खाता धारक (दो से अधिक) हैं, तो सभी खाताधारक खाते को संचालित कर सकते हैं।

कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के मामले में, उनके खाते का संचालन मोड “संयुक्त रूप से” है, इसलिए धन निकालने के लिए दोनों खाताधारकों की उपस्थिति की आवश्यकता है। यही कारण है कि परिवार को फंड तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

सोशल मीडिया में गलत सूचना फैलाए जाने का अभियान उपर्युक्त मुद्दे पर आधारित था। लेकिन आरोप झूठे थे, क्योंकि 18+ लाख रुपये (40 लाख रुपये नहीं) दोनों परिवारों को स्थानांतरित कर दिए गए थे और पैसा सही ढंग से उन तक पहुंचा था। क्रॉडन्यूजिंग दानदाताओं को प्रत्येक चरण पर अभियान के बारे में अद्यतन कर रहा था, इसके बावजूद रशीद को नकली खबरों के साथ निशाना बनाया गया।

फेसबुक पर कई दक्षिणपंथी पेजों- भारत सकारात्मक (Bharat Positive), द फ्रस्ट्रेटेड इंडियन (The Frustrated Indian), भारतीय युवा शक्ति (Bharatiya Yuva Shakti) द्वारा वह झूठी खबर फैलाई गई थी।

इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए ऑल्ट न्यूज ने शेहला रशीद से संपर्क किया। “पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित किया गया था। कई बार लेनदेन के प्रमाण प्रदान करने के बावजूद, लोग मुझपे फंड को हड़पने का आरोप लगा रहे थे। इसमें या तो ऑनलाइन लेनदेन कैसे काम करता है इस बारे में जानकारी नहीं है, या फिर मुझे गलत दिखाने के लिए दुर्भावनापूर्ण प्रयास किया गया है।”

Source:Crowdnewsing/Twitter

जब बताया गया कि सोशल मीडिया पर कई लोग उनके ट्विटर से जाने को जुटाए गए फंड के प्रश्नों से बचने से जोड़ रहे थे, तो रशीद ने कहा, “मुझे अप्रैल से निशाना बनाया जा रहा था। अगर मुझे छोड़ना होता, तो मैंने तभी छोड़ दिया होता। फंड का जमा शुरू करने के बाद से लोग मेरी तस्वीरें और वीडियो से छेड़छाड़ कर रहे हैं।”

12 नवंबर को, नेशनल हेराल्ड के एक भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद कहानी ने फिर से एक नया मोड़ ले लिया।

<h2नेशनल हेराल्ड की रिपोर्ट

 

समाचार संगठन नेशनल हेराल्ड ने पठानकोट के वकील मुबेन फारूकी के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित किया जिन्होंने दावा किया कि पीड़ित परिवार बैंक खाते से पैसे निकालने में असमर्थ था क्योंकि खाता बैंक द्वारा जब्त कर दिया गया था।

नेशनल हेराल्ड के अनुसार, पीड़िता के पिता फारूकी के साथ थे जिन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज की थी। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, “पीड़िता के पिता मोहम्मद यूसुफ, यह समझने में सक्षम नहीं हैं कि उनका बैंक खाता क्यों अवरुद्ध कर दिया गया था, क्योंकि परिवार इस खाते में जमा किए गए पैसे की मदद से कानूनी रूप से मामले से लड़ने में सक्षम था। उनके वकील (मुबेन फारूकी) बताते हैं कि 10 जुलाई को मोहम्मद यूसुफ को जम्मू-कश्मीर बैंक की भड़िंगी (Bhadingi) शाखा से एक कॉल आया, चूंकि इस खाते में आने वाले पैसे का स्रोत ज्ञात नहीं है, इसलिए खाता जब्त किया जा रहा है।”

इस समाचार पत्र ने हालांकि, बाद में रिपोर्ट से “अवरुद्ध” और “जब्त” शब्दों को हटाकर अपनी कहानी में बदलाव किए। उपरोक्त उद्धरण को अब बदल दिया गया था- “पीड़िता के पिता मोहम्मद यूसुफ, यह समझने में सक्षम नहीं हैं कि वह पैसा क्यों नहीं निकाल पा रहे हैं, क्योंकि परिवार इस खाते में जमा हो रहे धन से कानूनी रूप से इस मामले से लड़ने में सक्षम था…”

ऑल्ट न्यूज ने जम्मू-कश्मीर बैंक की नाबाबाद शाखा के प्रबंधक से संपर्क किया जहां परिवार का संयुक्त खाता था। प्रबंधक ने इन दावों को खारिज कर दिया कि खाता जब्त किया गया है। उन्होंने कहा, “यह परिचालित है और मुझे नहीं पता कि झूठी खबर कहां से आ रही है।”

एनएचआरसी में आवेदन कराने के उनके कारणों पर सवाल उठाने के लिए हमने फारूकी से भी संपर्क किया। उन्होंने अस्पष्टता से जवाब दिया कि खाते में कुछ पैसे के स्रोत के साथ “भ्रम” के कारण गलतफहमी हुई थी। उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “हालांकि, मैंने बैंक अधिकारियों से पुष्टि की कि खाता चालू है।”

कठुआ बलात्कार पीड़िता के परिवार के लिए अप्रैल में क्राउडफंडिंग शुरू होने के समय से ही सोशल मीडिया में इसे “घोटाला” बताने का प्रयास किया गया है। सार्वजनिक उत्साह के प्रयासों को खराब करने के लिए छात्र नेता शेहला राशिद को निरंतर निशाना बनाया गया, हालाँकि, सारा धन सही व्यक्तियों तक पहुंच गया है।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.