9 अप्रैल को ‘इंडिया टुडे’ ग्रुप के चैनल ‘आज तक’ ने केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह से बात की. ये बातचीत उत्तर प्रदेश सरकार के उस फ़ैसले के बारे में थी जिसके तहत यूपी के प्रभावित इलाक़ों या कोरोना वायरस ‘हॉटस्पॉट’ क्षेत्रों को सील करने का आदेश दिया था. इस बातचीत की मेज़बानी पत्रकार रोहित सरदाना कर रहे थे. इंटरव्यू खत्म होने से पहले, सरदाना ने लॉकडाउन बढ़ाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री की राय पूछी.

इंटरव्यू में 10:36 मिनट पर, सरदाना को पूछते हुए सुना जा सकता है “लॉकडाउन बढ़ना चाहिए? या अब हॉटस्पॉट्स लॉक हो गए और बाकी इलाक़ों के इज़ाज़त हो जानी चाहिए कि वो थोड़े फ़्री हो जाएं.”

इसके जवाब में जनरल सिंह कहते हैं, “देखिए, ऐसा है कि.. अच्छा ये रहेगा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन का भी एक प्रोटोकॉल है. आपने 21 दिन (लॉकडाउन) किया है, 5 दिन की थोड़ी सी ढील जाती है और फ़िर से 21 दिन का लाया जाता है. जिस तरह से संक्रमण चल रहा है, जिस तरह से केसों के अंदर इज़ाफ़ा हुआ है, उनकी मात्रा बढ़ी है. उसमें कुछ समय और संयम की आवश्यकता है…”

जनरल वीके सिंह ने लॉकडाउन के लिए एक कथित ‘WHO प्रोटोकॉल’ का ज़िक्र किया. इसके तहत, देश पहली बार में 21 दिन का लॉकडाउन लगता है, और दोबारा 21 दिनों का लॉकडाउन लगाने से पहले 5 दिनों की ढील दी जाती है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोईलॉकडाउन प्रोटोकॉल’ जारी नहीं किया है

ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी सोशल मीडिया पर फ़ैली अफ़वाहों का पर्दाफ़ाश किया था जिसमें तथाकथित WHO प्रोटोकॉल की बात कही गई थी.

5 अप्रैल को, विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया ने भी इन मेसेजों को ‘झूठा’ और ‘आधारहीन’ बताकर बकवास बता दिया था.

केंद्रीय मंत्री सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम से वायरल फ़र्ज़ी दस्तावेज़ का संदर्भ दिया.

इसके अलावा, ये भी संभव है कि वायरल मेसेज मीडिया रिपोर्ट्स और ब्रिटेन की केम्ब्रिज़ यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा प्रकाशित स्टडी पर आधारित हो. कैम्ब्रिज़ यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के दो छात्रों – राजेश सिंह और आर. अधिकारी – ने एक रिसर्च पेपर पेश किया था जिसका टाइटल था, ‘भारत में कोविड-19 महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग का उम्र-संरचनात्मक प्रभाव’. इस स्टडी में सामने आया कि दोबारा संक्रमण को पनपने से रोकने के लिए तीन-हफ़्तों का लॉकडाउन नाकाफ़ी है. और, इसके बदले में, उन्होंने समयांतराल पर ढील देते हुए लॉकडाउन के प्रोटोकॉल का सुझाव दिया. आप हमारी विस्तृत फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट यहां पर पढ़ सकते हैं.

इसलिए, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के ऐसे प्रोटोकॉल का ज़िक्र किया, जो अस्तित्व में ही नहीं. ये फ़र्ज़ी प्रोटोकॉल इससे पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें समय-समय पर ढील देकर लंबा लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया गया था. इन प्रोटोकॉल्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘ग़लत’ और ‘आधारहीन’ बता चुका है.

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Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.