सोशल मीडिया में एक कंकाल की तस्वीर इस दावे से प्रसारित है कि यह एक वृद्ध महिला का कंकाल है, जो अपने घर में 10 महीने पहले अकेली थी और उनकी मौत हो गयी थी। यह तस्वीर इस दावे से प्रसारित है कि भारत के नॉन रेसिडेंट (NRI) ऋतुराज सहानी लंबे समय के बाद अमेरिका से लौटे, और उन्होंने अपनी माँ के शव का कंकाल पाया। संदेश के अनुसार, ऋतुराज की मां आशा साहनी चाहती थीं कि वह उन्हें अपने साथ अमेरिका ले जाए या फिर किसी वृद्धाश्रम में भर्ती करवा दे। फेसबुक पेज ‘नेशनल क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो’ ने इस दावे को 27 फरवरी को पोस्ट किया था।

जरूर पढ़ें :-
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यह मुम्बई की करोड़पति स्त्री का शव है। एक करोड़पति NRI पुत्र की माँ की लाश है। लगभग 10 माह से 7 करोड़…

Posted by National Crime Investigation Bureau on Wednesday, 27 November 2019

संदेश में लिखा है, “जरूर पढ़ें :-यह मुम्बई की करोड़पति स्त्री का शव है। एक करोड़पति NRI पुत्र की माँ की लाश है। लगभग 10 माह से 7 करोड़ के फ़्लैट में मरी पड़ी थी। अमेरिका में रहने वाले इंजीनियर ऋतुराज साहनी लंबे अरसे बाद अपने घर मुंबई लौटे, तो घर पर उनका सामना किसी जीवित परिजन की जगह अपनी मां के कंकाल से हुआ। बेटे को नहीं मालूम कि उसकी मां आशा साहनी की मौत कब और किन परिस्थितियों में हुई। आशा साहनी के बुढ़ापे की एकमात्र आशा ‘उनके इकलौते बेटे’ ने खुद स्वीकार किया कि उसकी मां से आखिरी बातचीत कोई सवा साल पहले बीते साल अप्रैल में हुई थी। 23 अप्रैल 2016 को मां ने ऋुतुराज से कहा था कि बेटा! अब अकेले नहीं रह पाती हूँ। या तो अपने पास अमेरिका बुला लो या फिर मुझे किसी ओल्डएज होम में भेज दो। बेटे ऋतुराज ने आशा साहनी को ढाढस दिया कि मां फिक्र न करे, वह जल्द ही इंडिया आएगा। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका में किसी भारतीय का नौकरी करना और डालर कमाना आसान नहीं रहा। लिहाजा बेटे ने अपने हिसाब से तो जल्दी ही की होगी, वह सवा साल बाद मॉं से किया वायदा पूरा करने इंडिया आया, पर माँ के हिसाब से देर हो गई और इसी बीच न जाने कब आशा साहनी की मौत हो गई। रविवार सुबह एयरपोर्ट से घर पहुंचने के बाद ऋतुराज साहनी ने काफी देर तक दरवाजे पर दस्तक दी। जब कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने दरवाजा खुलवाने के लिए एक चाबी बनाने वाले की मदद ली। भीतर घुसे तो उन्हें अपनी 63 साल की मां आशा साहनी का कंकाल मिला।

आशा साहनी 10वें फ्लोर पर बड़े से फ़्लैट में अकेले रहती थीं। उनके पति की मौत 2013 में हो चुकी थी। पुलिस के मुताबिक 10वीं मंजिल पर स्थित दोनों फ्लैट साहनी परिवार के ही हैं, इसलिए शायद पड़ोसियों को कोई बदबू नहीं आई। हालांकि पुलिस के मुताबिक यह भी हैरानी की बात है कि किसी मेड या फिर पड़ोसी ने उनके दिखाई न देने पर गौर क्यों नहीं किया। बेटे ने अंतिम बार अप्रैल 2016 में बात होने की जानकारी ऐसे दी, मानों वह अपनी मां से कितना रेगुलर टच में था। जैसा कि बेटे से बातचीत में आशा ने संकेत भी किया था कि वह इतनी अशक्त हो चुकी थीं कि उनका अकेले चल-फिर पाना और रहना मुश्किल हो गया था। करोड़ों डालर कमाने वाले बेटे की मां और 12 करोड़ के दो फ़्लैटों की मालकिन आशा साहनी को अंतिम यात्रा तो नसीब नहीं ही हुई, इससे भी बड़ी विडंबना यह हुई, जैसा कि प्रत्यक्षदर्शियों का अनुमान है कि संभवत: आशा की मौत भूख-प्यास के चलते हुई।भारत के महाराष्ट्र प्रान्त की आर्थिक राजधानी मुंबई के अंधेरी इलाके लोखंडवाला की पाश लोकलिटी ‘वेल्स कॉट सोसायटी’ में इस अकेली बुजुर्ग महिला की मौत जिन हालात में हुई, उनसे यह साफ है कि कोलंबिया विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में छुपी पश्चिमी सभ्यता की त्रासदी हम भारतीयों के दरवाजे पर दस्तक देती लग रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मौत का इंतजार ही इस सदी की सबसे खौफनाक बीमारी और आधुनिक जीवन शैली की सबसे बड़ी त्रासदी है। अशक्त मां की करुण पुकार सुनकर भी अनसुना कर देने वाला जब अपना इकलौता बेटा ही हो, तब ऐसे समाज में रिश्ते-नातेदारों से क्या अपेक्षा की जाय? आशा साहनी की मौत ने एक बार फिर चेताया है कि भारत के शहरों में भी सामाजिक ताना-बाना किस कदर बिखर गया है। अब समय नहीं बचा है, अब भारतवर्ष को चेत जाना चाहिए। भारत में भारतीय संस्कृति नहीं बची तो कुछ नहीं बचेगा।”

कई अन्य उपयोगकर्ता ने इस तस्वीर को फेसबुक और ट्विटर पर समान संदेश के साथ साझा किया है।

हमने पाया कि 2017 में प्रभात खबर ने भी एक लेख में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया था, जिसका शीर्षक था, “#So_Sad : सालभर से NRI बेटे ने नहीं की थी मां से बात, मिलने आया तो मिला कंकाल।” यहाँ मीडिया संगठन ने इसे प्रतिकात्मक तस्वीर लिखा है।

असंबंधित तस्वीर

रशियन इमेज सर्च इंजन यांडेक्स पर इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ ने समान तस्वीर को 14 अक्टूबर 2016 के एक ब्लॉग में प्रकाशित किया हुआ पाया। ब्लॉग के अनुसार, नाइजीरिया के ओगुन राज्य में एक पादरी के घर में कंकाल मिला था। नाइजीरिया के समाचार पत्र डेली पोस्ट की 14 अक्टूबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “शुक्रवार को प्रसारित खबर में एक पादरी की मृत बहन का कंकाल उनके नाइजीरिया के ओगुन राज्य के घर में पाया गया। नेमसिस के साथ एक आदमी को पकड़ा गया, जिसे उसके मकान मालकिन ने एक साल तक किराया ना चुकाने के कारण घर से बेदखल करने की कोशिश की थी।” (अनुवाद) मकान मालकिन ने पादरी के घर में घुसने के बाद उस कंकाल को वहाँ पर पाया।

मीडिया संगठन की 17 अक्टूबर, 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, पादरी, Sunday Oluwatobiloba को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और बाद में प्रेस को पुलिस हेडक्वाटर पहुंचने से पहले ले जाया गया। यह कंकाल Oluwatobiloba की बहन Funmi का था, जो 2010 के बाद से रहस्यमय तरीके से गायब थी। पादरी और उनकी बहन एलिज़ाबेथ का मानना था कि उनकी बहन Funmi आध्यात्मिक यात्रा पर हैं। पादरी के हवाले से एक समाचारपत्र ने बताया कि, “वह (Funmi) आध्यात्मिक यात्रा पर थी और वह उसी अवस्था में पिछले छह वर्षो से है। हम (वह और एलिजाबेथ) इस साल के अंत से पहले उसकी वापसी की उम्मीद कर रहे हैं और हम उसके साथ रहने से डरते नहीं हैं।” (अनुवाद)

आशा साहनी की कहानी

तस्वीर नाईजीरिया के होने के बावजूद उसके साथ साझा की गई ऋतुराज सहानी नामक NRI द्वारा उसकी माता आशा साहनी की लाश मिलने की कहानी सच्ची है। 63 वर्षीय महिला आशा साहनी के कंकाल को मुंबई के ओशिवारा में 6 अगस्त, 2017 को पाया गया था। इस घटना के बारे में बताया गया कि अमेरिका में काम करने वाले ऋतुराज नामक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने भारत लौटने के बाद में अपने घर पर माँ का कंकाल देखा। हिंदुस्तान टाइम्स के एक लेख के अनुसार, ओशिवारा पुलिस ने 8 अगस्त, 2017 को लाश का पंचनामा किया और उन्होंने शव के पास से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा था, “मेरी आत्महत्या के लिए कोई भी ज़िम्मेदार नहीं है।” (अनुवाद) पुलिस को एक खाली बोतल और स्प्रे भी मिला था और नकदी के रूप में 50,000 रुपये भी मिले।

रिपोर्ट के अनुसार, “पुलिस ने बताया कि ऋतुराज भारत नहीं आ सकते थे, क्योंकि वह अपनी भारतीय मूल की पत्नी के साथ तलाक की कार्यवाही में उलझे हुए थे। एक अधिकारी ने बताया कि, ऋतुराज के पास उसके 10 वर्षीय बेटे की कस्टडी थी। पुलिस ने कहा कि अप्रैल 2016 से पहले, साहनी एक हफ्ते के लिए अमेरिका गई थीं और ऋतुराज के साथ रही भी थी। उन्होने ऋतुराज को चिंता ना करने के लिए कहा और बताया कि वह किसी वृद्धाश्रम में भी रह सकती है, ऋतुराज ने ऐसा अपने बयान में पुलिस को बताया”– अनुवादित। इसके अलावा, बेटे ने अपनी माँ से अप्रैल 2016 में ही बात की थी और बताया था कि वह मुलाकात के लिए हर साल में एक बार या 6 महीने में ज़रूर आएगा।

निष्कर्ष के तौर पर, नाइजीरिया में एक पादरी के घर से कंकाल मिलने की तस्वीर को, 2017 में 62 वर्षीय महिला आशा सहानी के कंकाल को उनके मुंबई अपार्टमेंट से बरामद करने की घटना का बताकर शेयर किया गया।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.