काजल सिंघी नाम की एक यूज़र ने फ़ेसबुक ग्रुप ‘देश का DNA‘ में एक तस्वीर पोस्ट की. और सवाल किया, “अगर “इस्लामिक स्टडी से IAS” बना जा सकता है। तो स्टडी ऑफ वेद ,रामायण, गीता, उपनिषद को भी UPSC की परीक्षा में शामिल किया जाए। केवल सनातन धर्म से ही इतनी नफरत क्यो..??” इस पोस्ट को 16 हज़ार लाइक्स मिले हैं. इस पोस्ट के ज़रिये ये कहने की कोशिश की जा रही है कि इस्लामिक स्टडीज़ पढ़कर लोग IAS बन रहे हैं.

फ़ेसबुक पर कई लोगों ने ऐसा पोस्ट किया है. सभी का कहना है कि सनातन धर्म को कोई गंभीरता से नहीं लेता. ‘सनातन परिवार‘ नाम के एक फ़ेसबुक पेज ने भी ये पोस्ट शेयर किया है.

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हमने देखा कि इस तरह का दावा 2019 से किया जा रहा है. आलोक भट्ट ने 2019 में दावा किया था कि अरब संस्कृति और इस्लामिक स्टडी IAS की एंट्रेंस परीक्षा का एक सब्जेक्ट है. आलोक भट्ट को PM मोदी सहित BJP के कई बड़े नेता ट्विटर पर फ़ॉलो करते हैं. उन्होंने लिखा था कि भारतीय नागरिक होने के नाते वो इस बात से असहज हैं कि कोई उर्दू लिटरेचर या इस्लामिक स्टडी की जानकारी होने की वजह से भारतीय प्रशासनिक सेवा में नौकरी पा लेता है.

फ़ैक्ट-चेक

आलोक भट्ट ने जो लिंक शेयर किया था वो उसपर क्लिक करने से अलग-अलग वेबसाइटों का लिंक मिलता जाता है. किसी भी तरह की ठोस जानकारी नहीं मिलती है.

इसके बाद हमने UPSC की आधिकारिक वेबसाइट खंगाली. यहां से हमें पता चला कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा पूरी तरह से ग़लत है. हमने UPSC परीक्षा का नोटिफ़िकेशन चेक किया जिसे मार्च 2021 में जारी किया गया था. हमें कहीं भी इस्लामिक स्टडीज़ का नाम नहीं मिला.

UPSC की सिविल सर्विसेज़ परीक्षा 3 चरणों में होती है. प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू. प्रीलिम्स और मेन्स में सफलता हासिल करने वाले कैंडिडेट्स इंटरव्यू तक पहुंचते हैं.

प्रीलिम्स के सिलेबस में जनरल अवेयरनेस, हिस्ट्री, इकनॉमिक एंड सोशल डेवलपमेंट, क्लाइमेट चेंज, लॉजिकल रीजनिंग, इंडियन पॉलिटी एंड गवर्नेंस कॉन्स्टिट्यूशन, जनरल साइंस, रीडिंग कॉम्प्रिहेन्शन, जियोग्राफ़ी विषय होते हैं. 2 घंटे की परीक्षा के 2 पेपर होते हैं. और दोनों ही 200-200 मार्क्स के होते हैं.

सोर्स: UPSC

 

मेन्स के सिलेबस में 7 विषय होते हैं. सभी कैंडिडेट्स के लिए पांच विषय अनिवार्य होते हैं. लेकिन छठा और 7वां विषय कैंडिडेट्स अपनी इच्छानुसार चुन सकते हैं. इस ऑप्शनल सब्जेक्ट्स में भी कहीं इस्लामिक स्टडी का ज़िक्र नहीं है. नीचे तस्वीर में इसे देखा जा सकता है.

सोर्स: UPSC

इंटरव्यू यानी आखिरी चरण में कैंडिडेट्स की पर्सनेलिटी का टेस्ट होता है. इसमें विषय का चुनाव नहीं होता. यानी, सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा कि इस्लामिक स्टडीज़ पढ़कर लोग IAS बन रहे हैं, पूरी तरह से ग़लत है.

IAS सोमेश उपाध्याय ने 2020 में एक ट्वीट करते हुए ऐसे दावों का मज़ाक उड़ाया था. उन्होंने लिखा था कि व्हाट्सऐप की दुनिया में ही ऐसे दावे किए जाते हैं कि UPSC की परीक्षा में इस्लामिक स्टडी जैसा कोई सब्जेक्ट है.

 


‘मुस्लिम होटलों में नपुंसक होने की दवा मिलाते हैं’ – ये फ़र्ज़ी दावा सालों से सोशल मीडिया पर किया जा रहा है. देखिये

 

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