भगवा झंडा पकड़े कुछ लोगों के बीच, ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते हुए एक पुलिसकर्मी का वीडियो इस दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है कि ये वीडियो त्रिपुरा का है. हाल में त्रिपुरा में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा देखी जा रही है जो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों से शुरू हुई थी. त्रिपुरा में मुसलमानों की संपत्तियों और दुकानों में भी तोड़फोड़ और अगजनी की गई.

ये वीडियो ये दर्शाने के लिए शेयर किया गया है कि त्रिपुरा पुलिस ने मुस्लिमों को निशाना बनाने में मदद की.

 

सुना था #पुलिस लोगो की मदद करने के लिए होती है,
अब समझ मे आया के पिछले 6 दिनो से #त्रिपुरा जल क्यूं रहा है,

#Save_tirpura

Posted by Munna Hussain on Thursday, 28 October 2021

 

सुना था पुलिस लोगो की मदद करने के लिए होती है…
अब सयझ मे आया पिछले 6दिनो से त्रिपुरा जल क्यो रहा है…

जब कोई RSS द्वारा पुलिस में भेजा जाता है…
तो उसकी मानसकिता ऐसी होती है जो बहुत ही शर्मनाक है… सशपत तो संविधान की लेते हैं…
मगर काम जनसंघियों वाला होगा है…

#Save_Tirpura… 👉 Imran Hakim ✍✍✍

Posted by Imran Hakim New on Friday, 29 October 2021

इस वीडियो को कई ट्विटर यूज़र्स ने शेयर किया है.

ऑल्ट न्यूज़ को वीडियो की सच्चाई जानने के लिए अपने व्हाट्सऐप नंबर पर कई रिक्वेस्ट मिलीं.

पुराना वीडियो

फ़ेसबुक पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें 30 मार्च, 2018 को अपलोड की गई पटना लाइव की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि पुलिस ने समस्तीपुर के रोसेरा में रामनवमी के जुलूस में हिस्सा लिया था.

 

Super Exclusive (video)समस्तीपुर के रोसड़ा में रामनवी जुलूस में पुलिसवाले का यह रूप देखकर आपके होश उड़ जायेंगे, यकीन न हो तो देखिये

Super Exclusive (video)समस्तीपुर के रोसड़ा में रामनवी जुलूस में पुलिसवाले का यह रूप देखकर आपके होश उड़ जायेंगे, यकीन न हो तो देखिये

Posted by Patna Live on Thursday, 29 March 2018

पटना लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलूस में भाग लेने के लिए पुलिस की आलोचना की गई क्योंकि दो समूहों के बीच झड़प के बाद रोसेरा में धारा 144 लागू कर दी गई थी. वीडियो 27 मार्च, 2018 को नवरात्रि के दौरान का है.

गौरतलब है कि 2018 में बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में रामनवमी समारोह के दौरान हिंसक झड़पें हुई थीं. कथित तौर पर, रोसेरा शहर में हुई हिंसा में शामिल होने की वजह से भाजपा के दो नेताओं को समस्तीपुर से गिरफ़्तार किया गया था. द इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल के मुताबिक, “सोमवार की रात सांप्रदायिक झड़प के तीन दिन बाद समस्तीपुर के रोसेरा शहर में फिर से सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया. रोसेरा में झड़प के दौरान पुलिसकर्मियों सहित 60 से ज़्यादा लोग घायल हो गए और दर्जनों दुकानों और गाड़ियों में आग लगा दी गई.”

यहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं और स्थिति पर नज़र रखने के लिए पुलिस तैनात की गई थी. रोसेरा में एक मस्जिद में तोड़फोड़ के बाद दो समुदायों के सदस्य आपस में भिड़ गए और लोगों के एक समूह ने मस्जिद की मीनार के ऊपर भगवा झंडा फहराने की कोशिश की. ये घटना कथित तौर पर रामनवमी के जुलूस पर एक चप्पल फेंकने के एक दिन बाद हुई. 17 मार्च को पहली बार भागलपुर में हिंसा भड़क उठी थी जब भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अरिजीत शाश्वत के नेतृत्व में ‘विक्रम संवत’ को एक हिंदू नव वर्ष के रूप में पहचान दिलाने के लिए एक जुलूस निकाला था. ये जुलूस दर्जनों मुस्लिम वर्चस्व वाले इलाकों से होकर गुज़रा था. तेज़ संगीत और भड़काऊ नारेबाज़ी से हिंसा और भड़क उठी थी.

2018 के एक वीडियो को इस ग़लत दावे से शेयर किया गया कि त्रिपुरा में पुलिसकर्मी मुसलमानों को निशाना बना रहे हिन्दुओं का समर्थन कर रहे हैं. पटना लाइव के अनुसार, वीडियो बिहार के समस्तीपुर में रामनवमी समारोह के दौरान हुई हिंसक झड़प के बीच शूट किया गया था.

 

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