जॉन्स हॉपकिंस कोरोना वायरस रीसोर्स सेंटर के 10 अप्रैल तक के डेटा के अनुसारयूनाइटेड स्टेट्स में सबसे ज़्यादा कोरोना केसेज़ पाए गए हैं. ये आंकड़ा 4 लाख 66 हज़ार से ज़्यादा है. इसमें से 16 हज़ार से ज़्यादा ओग अपनी जान गंवा चुके हैं.
एक 50 सेकंड का वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें काले रंग के कई बॉडी बैग दिखाई दे रहे हैं जो कि ज़मीन पर रखे हुए हैं.फ़ेसबुक और ट्विटर के कई यूज़र्स ने दावा किया है कि ये US का वीडियो है. इस वीडिय के साथ वायरल हो रहे मेसेज में बताया जा रहा है कि ये न्यूयॉर्क के अस्पताल की हालत है और जो लोग लॉकडाउन के महत्त्व को नहीं समझ रहे हैं उन्हें दयां से देखना चाहिए.
ऑल्ट न्यूज़ को अपने ऑफिशियल व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) और एंड्रॉइड ऐप पर कई रिक्वेस्ट्स मिलीं जिसमें इस वीडियो कि सच्चाई पता करने के लिए कहा गया था.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो को फ़्रेम-दर-फ़्रेम एनलाइज़ किया. 27 सेकंड पर हमने देखा कि एक बॉडी बैग में एक नोट है जिसपर लिखा है – zambrano loor gilbert’.
इसे लेकर हमने गूगल पर एक कीवर्ड से सर्च करना शुरू किया तो हमें स्पेन के एक मीडिया आउटलेट मल्दिता की फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में एक शोक पत्र शामिल था जो कि स्पैनिश भाषा में लिखा हुआ था. गयाक्विल में जिल्बर्त ज़म्ब्रानो लू की मौत के बाद एक्वाडोर के रियल स्टेट डेवेलपर ACBIR ने ये शोक पत्र इश्यू किया था. पत्र के मुताबिक़ लू 29 मार्च को मरे थे लेकिन उसमें मौत की वजह नहीं बतायी गयी. रिपोर्ट के मुताबिक़, ACBIRने अपनी वेबसाइट से वो ख़त हटा लिया लेकिन उस वेबपेज का आर्काइव किया हुआ वर्ज़न अभी मौजूद है.
AFP के मुताबिक़ ये शोक पत्र ACBIRके फ़ेसबुक पेज पर भी अपलोड किया गया था और बाद में इसे हटा लिया गया. AFP ने ACBIR से फ़ेसबुक पर ही कांटेक्ट करने की कोशिश की जहां से उन्हें ये जवाब मिला – “हम सिर्फ़ इतना ही कह सकते हैं कि वो हमसे जुड़े हुए एक रियल स्टेट एजेंट थे. हमने उनके परिवार के कहने पर शोक पत्र हटाया था.”
मल्दिता की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 12 minutos, एक मेक्सिको की मीम जनरेट करने वाली वेबसाइट की मदद से एक भ्रामक पोस्ट तैयार किया गया है जो कि बताता है कि ज़म्ब्रानो लू की मौत बीजिंग में 8 अप्रैल को हुई. इस वेबपेज पर स्पैनिश में एक चेतावनी है जो कहती है – “Es una broma 🙂 ¡Te han hecho una broma! (अनुवाद – ये एक मज़ाक है. आपके साथ मज़ाक किया गया है.)” मल्दिता ने रिवर्स इमेज सर्च करते हुए पता लगाया कि ये वायरल वीडियो Ecuador en Videoनाम के एक ट्विटर हैंडल से 1 अप्रैल को ट्वीट किया गया था. इसमें दावा किया गया कि इसे गयाक्विल में कोरोना वायरस के मसले के दौरान बनाया गया था.
#Video Así están los centros de salud en Guayaquil, dejan a los muertos en los pasillos ya que todo está colapsado.#QuedateEnCasa #CoronavirusEcuador #Covid19Ec pic.twitter.com/fVcJmOB9CG
— Ecuador en Video (@EcuadorVideo) April 1, 2020
मल्दिता को एक और ट्वीट मिला जो कि एक्वाडोर के इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट कार्लोस वेरा का है. इस पोस्ट को 30 मार्च को लिखा गया था. वेरा ने ऐसे ही बॉडी बैग्स की तस्वीर अपलोड की थी जैसे वायरल हुए वीडियो में दिखाई देते हैं. उन्होंने गयाक्विल में बढ़ रही मौतों के बारे में बात की. अगले ही दिन उन्होंने यही वायरल हो रहा वीडियो ट्वीट किया.
Para quienes insisten en que EXAGERO el número de muertos en Guayaquil. Y las autoridades saben MUY BIEN dónde están”guardados”. Cuándo empiezan a sepultarlos en el Panteón Municipal donde cedió un terreno la Junta de Beneficencia de Guayaquil? pic.twitter.com/abrdFBbH8I
— Carlos Vera (@CarlosVerareal) March 30, 2020
मल्दिता ने वेरा की तस्वीरों में दिख रहे कंट्रोल एक्सेस (control access) साइन की एनालिसिस की और गयाक्विल के जनरल हॉस्पिटल (del Norte IESS Los Ceibos) में मौजूद निशानों के साथ उसे कम्पेयर किया. उन्हें मालूम पड़ा कि दोनों निशान काफ़ी मिलते-जुलते हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट्स ये बता रही हैं कि गयाक्विल में कोरोना वायरस की वजह से हो रही मौतों के कारण वहां ताबूतों की कमी पड़ रही है. एलए टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है, “बीते कुछ दिनों में कई लोगों को प्लास्टिक में लपेटा गया और सड़क पर छोड़ दिया गया. बाकी अस्पताल और क्लिनिक्स में पड़े हुए हैं जहां उन्हें पूछने वाला कोई भी नहीं है. शहर के मुर्दाघर भरे हुए हैं.” ये रिपोर्ट 2 अप्रैल को छपी थी. न्यू यॉर्क टाइम्स और बज़फ़ीड ने भी ऐसी रिपोर्ट्स छापी हैं.
इसलिये वायरल वीडियो के साथ जुड़ा ये दावा फ़र्ज़ी है. स्पेन स्थित मीडिया आउटलेट मल्दिता के अनुसार ये दृश्य गयाक्विल के जनरल हॉस्पिटल (del News IESS Los Ceibos) का है.
ऑल्ट न्यूज़ को इस वायरल हो रही भ्रामक जानकारी के बारे में मातृभूमि, कोच्ची से सुनील प्रभाकर ने बताया था. इन्होंने फ़ैक्ट चेकिंग में भी हमारी मदद की.
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