संसद से पारित हुए नागरिकता संसोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ असम में व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके पृष्भूमि में, सोशल मीडिया उपयोगकर्ता एक वीडियो इस दावे से साझा कर रहे हैं कि पुलिस इस विवादास्पद विधेयक पर प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ निर्दयता से पेश आ रही है।
#CAB_नहीं_चलेगा #CABProtests is this how you treat us. #CABBill2019 pic.twitter.com/aRGvnE3mq3
— Abhigyan Sarmah Gogoi (@abhigyan_ARCMJ) December 12, 2019
जैसा कि उपरोक्त ट्वीट में देखा जा सकता है, 6 सेकंड की इस वीडियो क्लिप में पुलिस को महिला पर लाठियां बरसाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो को फेसबुक पर भी पोस्ट किया गया था।
Posted by Shashanka Axom Dutta on Wednesday, 11 December 2019
उपरोक्त वीडियो 11 दिसंबर को बिना किसी कैप्शन से पोस्ट किया गया था, जिसे अब तक 11,000 बार देखा और करीब 400 बार शेयर किया जा चूका है। जिस सन्दर्भ से यह वीडियो साझा किया गया था, सोशल मीडिया में कई उपयोगकर्ताओं ने इसे असम का बताया।
पुराना वीडियो, CAB विरोध प्रदर्शन से सम्बंधित नहीं
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो झारखण्ड का है और पुराना भी है। यह नागरिकता संसोधन विधेयक से सम्बंधित नहीं है।
ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो के नीचे की गई कमैंट्स को देखा और हमें इस वीडियो को असम का ना होने का दावा करने वाली एक उपयोगकर्ता की टिपण्णी मिली। कमेंट में यूट्यूब के वीडियो का लिंक भी दिया गया था।
इस जानकारी के आधार पर, हमने पाया कि यह वीडियो झारखण्ड का है। 25 सितम्बर, 2019 को यूट्यूब पर यह वीडियो द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने पोस्ट किया था, जिसका शीर्षक था –“कैमरा के सामने: झारखण्ड में पुलिस ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया।” (अनुवाद)
पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन महिलाओं पर हमला किया जा रहा है वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने रांची में स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर घेराव करने की कोशिश की थी, पुलिस ने प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज किया था। कार्यकर्ता तनख्वाह बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इस घटना के मद्देनज़र, राष्ट्रिय महिला आयोग (NCW) ने मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिसकर्मी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की थी।
संसद में नागरिकता संसोधन विधेयक के पारित होने के बाद सोशल मीडिया में कई गलत सूचनाएं प्रसारित हुई है। इस विवादास्पद कानून की पृष्भूमि में एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया में झूठे दावे से साझा किया गया। यह ध्यान देने लायक है कि पुलिसकर्मियों द्वारा महिलाओं पर लाठीचार्ज करने का वीडियो झारखण्ड की सितम्बर 2019 की एक पुरानी घटना को दर्शाता है। यह वीडियो विधेयक के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन का नहीं है।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.