11 दिसंबर को, दैनिक भास्कर ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक है –“नागरिकता बिल / ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समर्थन किया; बोले- यह संविधान के विपरीत, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुरूप।” लेख में बताया गया है, “कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संशाेधन बिल का समर्थन किया है। इंदौर में बुधवार को सिंधिया ने कहा- यह बिल संविधान के विपरीत होना अलग बात है, लेकिन यह भारत की सभ्यता और वसुधैव कुटुंबकम् की विचारधारा के अनुरूप है।”
बूमलाइव द्वारा इसकी तथ्य-जांच किये जाने के बाद दैनिक भास्कर ने अपने लेख को अपडेट किया था। लेख के वर्तमान शीर्षक के अनुसार, “ज्योतिरादित्य सिंधिया का ट्वीट: नागरिकता संशोधन बिल संस्कृति और संविधान के विपरीत”
हालांकि, दैनिक भास्कर की अंग्रेजी वेबसाइट पर यह लेख हिंदी लेख में किये गए बदलावों के बिना उपलब्ध है। DBPost द्वारा प्रकाशित लेख के मुताबिक, “कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संसोधन विधेयक का समर्थन किया। इंदौर में बुधवार को सिंधिया ने कहा – यह बिल संविधान के खिलाफ है लेकिन यह भारतीय सभ्यता और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से जुड़ा हुआ है।” (अनुवाद)
दक्षिणपंथी वेबसाइट स्वराज्य ने दैनिक भास्कर के लेख का हवाला देते हुए लिखा कि, “कांग्रेस पार्टी बड़ी शर्मिंदगी में, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संसोधन विधेयक (CAB) का समर्थन किया, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट।”
हिंदी अख़बार अमर उजाला ने भी एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक है –“सिंधिया ने फिर की ‘बगावत’, 370 के बाद नागरिकता विधेयक का किया समर्थन।”
सिंधिया का इससे विपरीत बयान
यूट्यूब पर कीवर्ड्स सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को 11 दिसंबर, 2019 का सिंधिया के बयान का वीडियो मिला। यहां पर यह स्पष्ट है कि मीडिया रिपोर्ट इसके विपरीत है, सिंधिया वास्तव में नागरिकता संसोधन विधेयक का विरोध कर रहे थे।
44 सेकंड के इस वीडियो में, CAB के बारे में उनसे राय पूछने पर उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, “केवल कांग्रेस नहीं, बहुत सारी पार्टियां विरोध कर रही है और सड़क पे उत्तर पूर्वी राज्यों में आप स्थिति देखिये, देश के अनेक राज्यों में आप स्थिति देखिये। हमारे संविधान के निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर ने सदैव कहा था…संविधान लिखने के समय में की न जात, पात और न धर्म के आधार पर किसी को उस दृष्टिकोण से देखा जाएगा। भारतीय नागरिक के रूप में देखा जाएगा। सदैव इतिहास में, केवल प्रजातंत्र की बात मत करो आप, 3,000-4,000 सालों से इस भारत माता की माटी में सभी को अपनाया है। वसुधैव कुटुंबकम – यही भारत की विशेषता रही है पूरे विश्व में और जो अध्यादेश आज लाया जा रहा है, कल लाया गया था, मैं मानता हूँ की जो भारत की विचारधारा है, जो सभ्यता है, की सभी को साथ में लेक चलना है। जो अध्यादेश में भी है की धर्म और राज्य के आधार पर… देशों के आधार पर पूर्व भी हुआ है पर धर्म के आधार पर कभी भी पूर्व में नहीं हुआ। मैं मानता हूँ कि संविधान के विपरीत बात अलग है पर हमारी भारतीय संस्कृति जो है इसके आधार पर नहीं है।”
सिंधिया ने 11 दिसंबर, 2019 को ऐसा ही बयान ट्वीट के ज़रिये भी दिया था।
#CAB2019 संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है,भारतीय संस्कृति के विपरीत भी है। अंबेडकर जी ने संविधान लिखते समय किसी को धर्म, जात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था।भारत का इतिहास रहा है कि हमने सभी को अपनाया है- वासुदेव कुटुंबकम भारत की विशेषता है।धर्म के आधार पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) December 11, 2019
यह ध्यान देने लायक है कि स्वराज्य ने अपने लेख को अपडेट नहीं किया है, जबकि उसके स्त्रोत दैनिक भास्कर ने अपने लेख में बदलाव कर दिया है। अमर उजाला के लेख में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
निष्कर्ष के तौर पर, मीडिया संगठनों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया और झूठा दावा किया कि उन्होंने अपनी पार्टी से बगावत की और संसद से पारित हुए नागरिकता संसोधन विधेयक (CAB) का समर्थन किया। कांग्रेस ने CAB के खिलाफ वोट किया था। अभी हाल ही में, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अलग रुख अपनाया था। हाल ही में, उन्होंने हैदराबाद बलात्कार और हत्या मामले में कथित बलात्कारियों को एक मुठभेड़ में मार गिराने का स्वागत किया था और बाद में अपने ट्वीट को उन्होंने डिलीट कर दिया था। पहले भी, सिंधिया ने संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने पर सरकार के कदम का समर्थन किया है।
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