राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की 19-सेकंड की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ साझा संदेश में यह दावा किया गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक नया कानून पेश किया है, जिसमें बलात्कार के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान है। संदेश के अनुसार – “#Breaking_News बलत्कार करने वालो को फांसी पर लटकाया जाऐगा, मोदी सरकार ने कानून लागू कर दिया है। मोदी है तो मुमकिन है…”
एक फेसबुक उपयोगकर्ता तनुज ठाकुर के अकाउंट से पोस्ट किए गए इस वीडियो को करीब 5 लाख से ज़्यादा बार देखा और 25,000 शेयर किया जा चूका है। वीडियो में, राष्ट्रपति को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि- “बलात्कार करने की जघन्य अपराध की सज़ा के लिए सरकार ने अपराधी को फांसी की सज़ा देने का प्रावधान किया है. कई राज्यों में तेज़ी से सुनवाई के बाद, दोषियों को फांसी की सज़ा मिलने से ऐसी विकृत सोच रखने वाले लोगों में कड़ा सन्देश गया। ”
#Breaking_News
बलत्कार करने वालो को फांसी पर लटकाया जाऐगा, मोदी सरकार ने कानून लागू कर दिया है। 🙏🚔 मोदी है तो मुमकिन है…
Posted by Tanuj Thakur on Tuesday, 3 December 2019
क्लिप्ड वीडियो
यूट्यूब पर कुछ कीवर्ड से सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को इसका मूल वीडियो मिला। इसे एबीपी न्यूज़ द्वारा 31 जनवरी 2019 को अपलोड किया गया था। यहां राष्ट्रपति, बच्चे से बलात्कार के अपराधियों को दंडित करने के लिए एक नए कानून के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति “नाबालिग” के साथ बलात्कार करता है उसे मौत की सज़ा दी जानी चाहिए। मूल वीडियो में शब्द “नाबालिग” हटा कर सोशल मीडिया में इस तरह प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह दर्शाया जा सके कि यह कानून सबके लिए बनाया गया है।
वर्तमान में, बलात्कार के अपराधों के लिए मौत की सज़ा के प्रावधानों वाले कानून- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013, आपराधिक कानून (संशोधन), 2018 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 है।
21 अप्रैल 2018 को, एक अध्यादेश जारी किया गया था, जिसमें अन्य मुद्दों के अलावा 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के जुर्म पर न्यूनतम बीस वर्ष का कारावास, जिसे आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकेगा, का प्रावधान किया गया। वैसे ही प्रावधान प्रदान करने वाला आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, 2018 जुलाई 2018 में संसद में पेश किया गया था और अगस्त 2018 में यह कानून बनाया गया। बिल में कहा गया कि यह अध्यादेश की तारीख से ही लागू होगा।
पीआरएस के अनुसार, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक को 18 जुलाई 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था और 24 जुलाई, 2019 को पारित किया गया था। 1 अगस्त, 2019 को संसद के नीचले सदन में भी इस विधेयक को पारित कर दिया गया। इस अधिनियम को 5 अगस्त, 2019 को भारत के राष्ट्रपति की भी स्वीकृति मिल गयी।
कानून में “उत्तेजित प्रवेशक यौन हमला (aggravated penetrative sexual assault)” के लिए मृत्युदंड की अधिकतम सज़ा है, जिसमें ऐसे मामले शामिल हैं – “जब कोई पुलिस अधिकारी, सशस्त्र बलों का सदस्य या लोक सेवक किसी बच्ची पर प्रवेशक यौन हमला करता है। इसमें अन्य के साथ उन मामलों को भी शामिल किया गया है, जिनमें अपराधी बच्ची का रिश्तेदार हो, या यदि हमले से बच्ची के यौनांग घायल हुए हों या बच्ची गर्भवती हुई हो।” (अनुवाद) इस विधेयक की परिभाषा में दो और आधार जोड़े गए है- “(i) हमले के परिणामस्वरूप बच्ची की मृत्यु, और (ii) प्राकृतिक आपदा के दौरान या हिंसा की किन्हीं समान परिस्थितियों में किया गया हमला।” (अनुवाद)
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को निर्भया मामले के बाद पारित किया गया था। इसमें बलात्कार के मामलों में मौत की सज़ा की अनुमति दी गई थी, लेकिन केवल उन मामलों में जिनमें सम्मिलित क्रूरता के कारण पीड़िता की मृत्यु हुई हो या पीड़िता को घोर निष्क्रिय अवस्था में छोड़ दिया गया हो और यदि यह अपराधियों द्वारा दोहराया गया कृत्य हो।
क्लिप्ड वीडियो वायरल
क्लिप किए गए वीडियो को फेसबुक पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया है।
वीडियो की पड़ताल करने के लिए ऑल्ट न्यूज़ एप्प पर भी कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा बच्ची से बलात्कार के अपराधियों को मृत्युदंड देने की बात करने का एक पुराना भाषण सोशल मीडिया में भ्रामक दावे के साथ साझा किया गया। मोदी सरकार ने बलात्कार को लेकर इस अपराध से संबंधित सभी मामलों के लिए मौत की सज़ा के प्रावधानों के साथ कोई नया कानून पेश नहीं किया है। हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद से, सोशल मीडिया में ऐसी ही कई गलत सूचनाएं प्रसारित की गई है।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.