इस साल जनवरी में कर्नाटक में हिजाब पहनने की वजह से 6 मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. इसके बाद, पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए थे.
कुछ महिला प्रदर्शनकारियों के याचिका दायर करने के बाद ये मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया. इसमें तर्क दिया गया था कि संविधान ने उन्हें हेडस्कार्फ़ पहनने का अधिकार दिया है. एक महीने से ज़्यादा की सुनवाई के बाद, अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा हिजाब बैन करने के फैसले को बरकरार रखा. इस फैसले को जनता की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली और मुस्लिम समुदाय ने राज्य में बंद का आह्वान किया.
इस विवाद के बीच, सोशल मीडिया पर एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब विवाद के याचिकाकर्ताओं का बचाव करने वाले “वकील को फटकार लगाई”. इस वीडियो में मुख्य न्यायाधीश को माननीय न्यायालय से मटेरियल फ़ैक्ट्स छिपाने की वजह से एक वकील को डांटते हुए देखा जा सकता है.
The court stripping the lawyer who was defending the petitioners on Hijab …. people must know how serious is this issue and how foolish the lawyer to bring this up to CJI Karnataka .. pic.twitter.com/eHkSOAcfnT
— Sehgal (@sudheer18799) March 18, 2022
ये वीडियो इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
वीडियो ध्यान से देखने पर हमने नोटिस किया कि जजों में से एक ने काले रंग का मास्क पहना है, और घड़ी में 11 बजकर 20 मिनट हुए हैं. वीडियो में दाढ़ी वाले एक व्यक्ति और एक मूंछ वाले व्यक्ति दिखते हैं.
इसे ध्यान में रखते हुए हमने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मौजूद वीडियोज़ की तलाश की. वहां हमें असली वीडियो मिला. 3 मार्च 2022 को अदालत की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया गया था. वायरल हिस्सा 36 मिनट पर शुरू होता है.
हमने ये भी देखा कि वीडियो स्ट्रीम में सिर्फ 2 जज दिखते हैं. जबकि हिजाब विवाद मामले का नेतृत्व तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने किया था. इस बात से भी मालूम चलता है कि वीडियो का हिजाब मामले से कोई लेना-देना नहीं है.
ऑल्ट न्यूज़ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की ऑफ़िशियल वेबसाइट पर इस केस के बारे चेक किया. मालूम चला कि वायरल वीडियो में दर्ज अदालती कार्यवाही का किसी भी तरह से हिजाब विवाद से कोई सबंध नहीं है. साथ ही ये मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत दर्ज एक व्यावसायिक अपील से संबंधित है. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अदालत में चल रही थी.
इसके अलावा, वकील का लाइसेंस ‘रद्द किये जाने’ का दावा भी ग़लत है. क्योंकि अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वकील की कम उम्र को देखते हुए अदालत कोई भी कार्रवाई नहीं चाहती है.
इस तरह, एक व्यावसायिक अपील में मटेरियल फ़ैक्ट्स को छिपाने की वजह से कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक वकील को फटकार लगाई थी. इस घटना का वीडियो हिजाब विवाद से जोड़कर शेयर किया गया.
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