कुछ उर्दू और बांग्ला मीडिया आउटलेट्स समेत कई सोशल मीडिया यूज़र्स दो क्लिप शेयर कर रहे हैं. पहली क्लिप में एक बुलडोज़र सैकड़ों मूर्तियों को उठाता नज़र आ रहा है. दूसरी क्लिप में लोग एक पुल से हिन्दू देवता गणेश की कई मूर्तियां नीचे नदी में फेंक रहे हैं. ये दोनों ही क्लिप शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि हिन्दू अपने देवता से निराश होकर उन्हें त्याग रहे हैं क्योंकि उन्होंने कोरोना से उनकी रक्षा नहीं की.

शिया वेव्स नाम के आउटलेट का एक ब्रॉडकास्ट शेयर किया जा रहा है जिसमें ऐंकर कह रहा है कि हिन्दुओं को उनके देवताओं ने कोविड से नहीं बचाया इसलिए वो अब इन मूर्तियां फेंक रहे हैं. आउटलेट ने मूर्तियों के बारे में ये दावा करते हुए आर्टिकल भी पब्लिश किया है.

Idols Thrown On The Street || Indians Destroyed Their Idols

Posted by Saboor Aboo Israaeel Kewdirorunwiyy on Sunday, May 9, 2021

शिया वेव्स के ब्रॉडकास्ट का ये हिस्सा दर्जनों लोग शेयर कर रहे हैं.

एक पाकिस्तानी चैनल असल हकीक़त ने भी पहली क्लिप दिखाते हुए यही दावा किया. चैनल ने ये भी कहा कि अपने भगवान से निराश होकर लोग इस्लाम अपना रहे हैं और मुस्लिम धर्मस्थलों पर दुआएं मांग रहे हैं. इसी तरह कुछ अन्य यूट्यूब चैनलों ने यही दावा किया – पहला, दूसरा और तीसरा वीडियो.

शिया वेव्स के वीडियो में बुलडोज़र वाली जो पहली क्लिप है, उसे फ़ेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है. कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने बांग्ला कैप्शन में लिखा कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में लोग मुर्तिया तोड़ रहे हैं. फ़ास्ट न्यूज़ बांग्लादेश नाम के आउटलेट ने भी वीडियो का यही सन्दर्भ दिया. इसे हज़ारों लोग देख चुके हैं.

ग़लत दावा

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि दोनों ही क्लिप कोरोनाकाल से पहले की हैं और कैप्शन में जो दावा किया जा रहा है वो सभी ग़लत हैं.

पहली क्लिप: बुलडोज़र से रास्ते में पड़ी मूर्तियां उठाते हुए

ऑल्ट न्यूज़ ने सितम्बर, 2019 में भी एक वीडियो का फ़ैक्ट-चेक किया था जिससे हालिया वायरल क्लिप सम्बंधित है. उस समय रास्ते में रखी हज़ारों मूर्तियों के विज़ुअल शेयर कर कहा गया था कि ये हिन्दू देवता गणेश की मूर्तियां हैं और रास्ते में फेंक कर इनका अपमान किया जा रहा है. लेकिन असल में ये नज़ारा अहमदाबाद के साबरमती नदी के किनारे का था जहां लोगों ने नदी को स्वच्छ बनाये रखने के लिए एक पहल में हिस्सा लेते हुए ऐसा किया था. लोगों को नदी की स्वच्छता के प्रति जागरूकता अभियान चलाते हुए स्थानीय प्रशासन ने पूजा के बाद मूर्तियों को नदी में नहीं फेंकने के लिए प्रोत्साहित किया था. लोगों ने भी इस पहल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए प्रशासन की बात मानी और दशामा व्रत के बाद मूर्तियां नदी में विसर्जित करने के बजाय किनारे रख दीं.

आईएस अधिकारी विजय नेहरा ने ट्विटर और फेसबुक पर मौके की अन्य तस्वीरें शेयर करते हुए कहा था कि ये बहुत ही अविश्वसनीय है कि इतने लोगों ने सजगता दिखाई.

उसी मौके पर इन मूर्तियों को बुलडोज़र की मदद से हटाये जाने का वीडियो हाल में वायरल है. विजय नेहरा के ट्वीट और फेसबुक पोस्ट दोनों जगह कमेंट में यूज़र्स ने ये वीडियो शेयर किया है.

गुजराती आउटलेट सन्देश, ABP अस्मिता और द हिन्दू ने भी इस बारे में रिपोर्ट किया था.

दूसरी क्लिप: ट्रक से मूर्तियां फेंकते हुए

हमने दूसरी क्लिप के कीफ्रेम्स का रिवर्स इमेज सर्च किया और सर्च रिजल्ट्स में हमें कई फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें AFP की रिपोर्ट शामिल है. मालूम पड़ा कि ये क्लिप भी पिछले साल वायरल हुई थी. दावा यही किया जा रहा था कि हिन्दू अपने देवता से खफ़ा होकर मूर्तियां फेंक रहे हैं क्योंकि उनके भगवान उन्हें कोविड से नहीं बचा सके.

कई अन्य रिपोर्ट्स में 2015 का एक फेसबुक पोस्ट लगाया है जिसमें 7 मिनट से ज़्यादा लम्बा वीडियो शेयर किया गया है. ये वीडियो उसी मौके का है जो वायरल क्लिप में दिख रहा है, पुलिस की मौजूदगी में गणपति विसर्जन करते हुए. शेयर करने वाले यूज़र Hvkpasad के मुताबिक जहां ये विसर्जन हो रहा है वो जगह तेलंगाना में कृष्णा नदी से लगा NH 44 हाईवे है.

 

ಲೈಕ್ ಮಾಡಬೇಡಿ ಶೇರ್ ಮಾಡಿ
ಇದು NH 44 ಮೆಹಬೂಬ್ ನಗರ್ ಜಿಲ್ಲೆಯ ತೆಲಾ೦ಗಣ ರಾಜ್ಯದ ಕೃಷ್ಣ ನದಿಯ ಸೇತುವೆಯ ಮೇಲೆ
ತೆಲಾ೦ಗಣ ಪೋಲೀಸರು ಗಣಪತಿಯನ್ನು ವಿಸಜ೯ನೆ ಮಾಡುತ್ತಿರುವ ರೀತಿ

Posted by Hvkprasad Prasad on Thursday, September 24, 2015

हमने गूगल अर्थ पर ये जगह वेरिफ़ाई की और पाया कि फ़ेसबुक वीडियो में दिख रही जगह की सही जानकारी दी गयी है.

गूगल अर्थ और फ़ेसबुक पोस्ट में दिख रही जगह में नदी के बीच छोटी सी पहाड़ी और किनारे एक सफ़ेद टंकी देखी जा सकती है.

नीचे गूगल फ़ोटो में पानी की टंकी, पहाड़ और रेलिंग सब दिख रहे हैं जो वायरल वीडियो में नज़र आते हैं.

तेलंगाना पुलिस अधिकारी रमा राजेश्वरी ने AFP से पुष्टि की कि ये वीडियो बीचुपल्ली का ही है जो कि कृष्णा नदी के बगल में ही स्थित है.

कुल मिलाकर, हिन्दू देवताओं की मूर्तियों के विसर्जन वाला दो वीडियो वायरल है जिसे शेयर करते हुए मुस्लिम समुदाय के कई यूज़र्स ने दावा किया कि कोरोना के बाद हिन्दुओं ने भगवन में विश्वास खो दिया है और मूर्तियां फेंक रहे हैं. ये दावा बिल्कुल ग़लत है.

भ्रामक और विवादित ट्वीट के लिए जाने जाने वाले कैनेडियन-पाकिस्तानी लेखक तारिक फ़तह ने भी शिया वेव्स का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि ब्रॉडकास्ट में हिन्दू धर्म का मज़ाक उड़ाया जा रहा है.


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