गुजरात के अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट के पास सड़क के किनारे रखी गणेश की मूर्तियों का एक वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित है। फेसबुक उपयोगकर्ता पद्मिनी नटराजन ने दावा किया कि लोगों को मूर्तियों को विसर्जित करने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्होंने मूर्तियों को सड़क के किनारे पर ही छोड़ दिया।
This is Sabarmathi river front of Ahmedabad . Ganpathi visarjan not allowed . So people left them on footpath. So much for God!
Posted by Padmini Natarajan on Saturday, 7 September 2019
ऑल्ट न्यूज़ को इस दावे के साथ वायरल वीडियो की पड़ताल करने के लिए अपने अधिकृत एप पर कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं। ट्विटर हैंडल @iScrew ने बताया है कि यह वीडियो हाल के गणेश चतुर्थी को दर्शाने वाला है।
Leave moon alone, look at what we’re doing to earth. If this continues, environment too will crash like #Chandrayaan2 #GaneshChaturthi pic.twitter.com/RTZT7nxzrl
— TheAgeOfBananas (@iScrew) September 7, 2019
इस वीडियो को सोशल मीडिया में उचित संदर्भ के बिना संदेश के साथ रीट्वीट और इसे देवता के साथ किये गए ‘दुर्व्यवहार’ और ‘अपमान’ बताकर साझा किया जा रहा है। द प्रिंट से जुड़े पत्रकार ज़ैनब सिकंदर ने भी वीडियो को ट्वीट किया और लिखा कि जो लोग प्राकृतिक जल निकायों में मूर्तियों का विसर्जन करते हैं, उन्हें-इको-फ्रेंडली, बायोडिग्रेडेबल (नॉन-टॉक्सिक पेंट) मूर्तियों का उपयोग करना चाहिए।
बागी आप नेता अल्का लाम्बा, जो हाल ही में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुई है, ने इस वीडियो को यह कहते हुए ट्वीट किया है कि,“क्या आज इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने वाला कोई नहीं ???”.
#GaneshChaturthi #GanpatiBappaMorya…
क्या आज इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने वाला कोई नहीं ??? pic.twitter.com/omqwjmzhR5— Alka Lamba – अलका लाम्बा (@LambaAlka) September 9, 2019
तथ्य जांच
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट का है, मगर यह हाल का नहीं है और इसके साथ किया गया दावा भी गलत है। सड़क के किनारे पर रखी हुई देवताओं की मूर्ति दशामाँ की है और यह घटना करीब एक महीने पहले की है।
11 अगस्त को, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के आयुक्त विजय नेहरा ने नागरिकों द्वारा नदी में दशमाँ की मूर्तियों को विसर्जित नहीं करके साबरमती नदी को साफ रखने की पहल के बारे में एक ट्वीट किया था। लोगों द्वारा सड़क पर रखी गई मूर्तियों की तस्वीर को ट्वीट करते हुए नेहरा ने लिखा कि,“दशामाँकी मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के बजाय, उन्होंने सम्मानपूर्वक किनारे पर रख दीजिये!!”-अनुवादित।
Something amazing is happening in #Ahmedabad today.
Ordinary citizens have decided to keep #Sabarmati river clean.
Instead of immersing Dashama idols in the river, they have respectfully left them on the banks!!
Thousands and Thousands of them. Unbelievable change 🙏 pic.twitter.com/t5f0yh9ywr
— Vijay Nehra (@vnehra) August 11, 2019
उन्होंने आगे बताया कि नगर निगम पिछले कई महीनों से ‘स्वच्छ साबरमती’ परिवर्तन पर काम कर रहा है।
We had been working on this behaviour change for several months
Since early morning today, security had been intensified. Several artificial ponds were also created. #SwachhSabarmati campaign has clearly helped change habits
CHANGING HABITS FOR CHANGING CITIES pic.twitter.com/NK87HTYxyG
— Vijay Nehra (@vnehra) August 11, 2019
अहमदाबाद में गणपति विसर्जन
हालांकि प्रसारित वीडियो एक महीने पुराना है, नेहरा ने ट्विटर पर अहमदाबाद के लोगों से अपील की है कि 12 सितंबर को गणेश विसर्जन या अनंत चतुर्थी के दिन गणेश मूर्तियों का विसर्जन ना करें। उन्होंने सूचित किया कि करीब 61 कुंड है जिनमें इन मूर्तियों का विसर्जन करके नदियों को प्रदूषित ना करें ।
વ્હાલા અમદાવાદીઓને મારી નમ્ર અપીલ…#સ્વચ્છસાબરમતી#સ્વચ્છઅમદાવાદ pic.twitter.com/EM6IpNwWo4
— Vijay Nehra (@vnehra) September 9, 2019
हालांकि, 3 सितंबर, 2019 को DNA द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, नदी के किनारे बनाए गए कुंड के अभाव में गणेश की कुछ मूर्तियों को नदी में विसर्जित कर दिया गया। इसके अलावा, स्थायी समिति के अध्यक्ष अमूल भट्ट ने कहा कि विसर्जन कुंड अभी भी निर्माणाधीन है और इसकी वजह से 10 कृत्रिम तालाबों को किनारे पर विसर्जन के लिए बनाया गया है। लेख के मुताबिक,“कृत्रिम तालाबों का निर्माण कार्य अभी बाकी है। मगर पहले दिन विसर्जन के लिए आये श्रद्धालुओं को साबरमती रिवरफ्रंट की तरफ जाना होगा”-अनुवादित।
अहमदाबाद नगर निगम लोगों से नदी में मूर्तियों का विसर्जन नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। AMC द्वारा की गई पहल को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। एक महीने पुराने वीडियो जिसे उस समय लिया गया था जब अहमदाबाद शहर के नगर निगम के नेतृत्व में एक पहल के तहत साबरमती रिवरफ्रंट के पास दशामाँ की मूर्तियों को सड़क के किनारे रखा गया था, उसे गणेश की मूर्ति बताकर पर्यावरण के प्रति गैरज़िम्मेदार और असवेंदनशील बताने का प्रयास किया गया है, जबकि सच्चाई इससे अलग थी।
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