इन्टरनेट पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें दो लोग बाइक से एक रिलायंस ऑक्सीजन टैंकर के पीछे-पीछे जा रहे हैं. एक आदमी टैंकर का वीडियो बनाते हुए बता रहा है कि ये ऑक्सीजन सऊदी अरब से भेजा गया है लेकिन रिलायंस टैंकर पर अपनी कंपनी का स्टीकर लगवा कर उसका क्रेडिट ले रहा है. वीडियो में शख्स रिलायंस के स्टीकर के पीछे बने लोगो की तरफ़ इशारा कर रहा है जिसमें अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है.

 

विडियो हुआ वाइरल। अंबानी खानदानी चोर.. क्रेडिट लेने की जल्दबाज़ी में पोस्टर भी छोटा बनवा बैठे… 😜😝😛

Posted by Yusuf Jamal on Friday, May 7, 2021

फ़ेसबुक यूज़र मतिन पटेल ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “अंबानी खानदानी चोर.. क्रेडिट लेने की जल्दबाज़ी में पोस्टर भी छोटा बनवा बैठे.” ये वीडियो आर्टिकल लिखे जाने तक 2 लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.

कई फेसबुक और ट्विटर यूज़र्स ने अरबी टेक्स्ट को हाईलाइट करते हुए टैंकर की तस्वीर शेयर की. यूज़र @tondupar’s post के पोस्ट को 1,200 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है.

ऑल्ट न्यूज़ को व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) पर इसके वेरिफ़िकेशन की कई रिक्वेस्ट भेजी गयी. पाठक फ़ैक्ट-चेक रिक्वेस्ट या सवाल हमारी मोबाइल ऐप पर भेज सकते हैं. (ऐंड्रॉइड, iOS)

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में एक 13 सेकंड के वायरल वीडियो की सच्चाई बताई थी जिसमें दो लोग ऑक्सीजन टैंकर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और रिलायंस फ़ाउंडेशन का स्टीकर लगा रहे थे. उसे शेयर करते हुए भी यही दावा किया गया था कि रिलायंस सऊदी अरब से आये ऑक्सीजन का क्रेडिट ले रहा है. लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के प्रवक्ता ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया था, “RIL सऊदी अरब, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड और थाईलैंड से 24 ISO कंटेनर भारत लाने का इंतज़ाम कर रहा है जिससे 500 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट की क्षमता बढ़ेगी. पिछले एक सप्ताह में उन्हें अहमदाबाद और जामनगर हवाई अड्डे के ज़रिये जामनगर रिफ़ाइनरी लाया गया था.”

ये 24 ISO टैंकर खाली थे और उन्हें सऊदी से खाली ही भेजा गया था. ऑक्सीजन भरने के लिए उन्हें रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के जामनगर प्लांट ले जाया जा रहा था.

ऑक्सीजन और इसके ट्रांसपोर्ट में जो दिक्कतें आती हैं उन्हें समझाने के लिए रिपोर्ट को आगे तीन हिस्सों में बांटा गया है:

  1. तरल ऑक्सीजन (O2) क्या है और इसे कैसे रखा जाता है?
  2. क्या तरल ऑक्सीजन को हवाई रास्ते से ला सकते हैं?
  3. भारत में क्रायोजेनिक टैंकर्स (जिनमें अति ठंडे पदार्थ रखे जाते हैं) कहां से आ रहे हैं?

तरल ऑक्सीजन (O2) क्या है और इसे कैसे रखा जाता है?

तरल ऑक्सीजन को कैसे सुरक्षित रखा जाये इसपर अमेरिका के एयर प्रोडक्ट्स ऐंड केमिकल्स का एक दस्तावेज़ (पीडीएफ़ देखें) कहता है, “तरल ऑक्सीजन प्राकृतिक तौर से क्रायोजेनिक होती है. क्रायोजेनिक तरल, गैस का अति ठंडा किया हुआ तरल पदार्थ होता है जिसका क्वथनांक (Boiling point) –130°F (–90°C) से नीचे होता है. तरल ऑक्सीजन का क्वथनांक –297°F (–183°C) होता है.” ये ज्वलनशील तो नहीं होता है मगर कुछ विशेष पदार्थों के संपर्क में आने से खतरनाक रिऐक्शन हो सकता है जिनमें स्टेनलेस स्टील, कार्बन, ज़िंक जैसे अज्वलनशील पदार्थ भी शामिल हैं. यही नहीं, कैनेडियन सेंटर फ़ॉर ऑक्यूपेशनल हेल्थ ऐंड सेफ्टी के मुताबिक इससे विस्फ़ोट होने का भी खतरा होता है.

इस दस्तावेज़ में बताया गया है, “तरल ऑक्सीजन ज़रूरत के हिसाब से विभिन्न तरह के कंटेनरों में रखा और ट्रांसपोर्ट किया जाता है. ये विभिन्न तरह के कंटेनर हैं, ड्यूअर, क्रायोजेनिक लिक्विड O2 सिलिंडर और क्रायोजेनिक लिक्विड O2 स्टोरेज टैंक. इनमें भी छोटे से लेकर हज़ारों गैलन की क्षमता वाले टैंक होते हैं.”

रिलायंस का जो टैंकर वायरल पोस्ट में दिख रहा है वो क्रायोजेनिक लिक्विड O2 टैंकर है.

क्या तरल ऑक्सीजन को हवाई रास्ते से ला सकते हैं?

इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन/ इंटरनेशनल सिविल एयर ऑर्गेनाइज़ेशन (IATA/ICAO) के मुताबिक, पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर को चेक्ड-इन बैगेज या कैरी-ऑन बैगेज (साथ में या अलग कार्गो कम्पार्टमेंट में) के तहत ले जाने की इजाज़त होती है. ऑक्सीजन से भरे 5 किलो गैस वाले सिलिंडर को भी पायलट-इन-कमांड और एयरलाइन ऑपरेटर की अनुमति लेकर ले जाया जा सकता है, साथ ही उन्हें लोकेशन के बारे में भी सूचित करना पड़ता है. लेकिन तरल ऑक्सीजन सिस्टम को हावाई जहाज़ से ले जाने की इजाज़त नहीं होती है. (पीडीएफ़ देखें)

एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट IATA के सदस्य हैं. एयर इंडिया के स्पेशल मेडिकल रिक्वायरमेंट्स के तहत एयरबस के साइज़ के हिसाब से 300 लीटर वाले 13 से 24 ऑक्सीजन सिलिंडर लाने की इजाज़त होती है. लेकिन इतना ऑक्सीजन तो उड़ान के दौरान यात्रियों के आपातकाल ज़रूरतों को ही पूरा कर सकता है.

भारत में क्रायोजेनिक टैंकर्स (जिनमें अति ठंडे पदार्थ रखे जाते हैं) कहां से आ रहे हैं?

कोरोना की दूसरी लहर ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को हिला कर रख दिया है. देश में ऑक्सीजन की कमी पड़ने से कई लोगों की जान चली गयी. इसकी वजह ये भी है कि ऑक्सीजन को उत्पादन स्थल से अस्पतालों तक ट्रांसपोर्ट करना पेचीदा होता है. इसलिए कई देश ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने में मदद के लिए हाथ बढ़ाते हुए खाली क्रायोजेनिक सिलिंडर भेज रहे हैं जिसे मीडिया ने भी रिपोर्ट किया है.

RIL के प्रवक्ता ने ऑल्ट न्यूज़ से स्पष्ट किया कि क्रायोजेनिक लिक्विड ऑक्सीजन टैंकर्स जो सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे हैं, उन्हें खाली भेजा गया था. हालांकि ऑल्ट न्यूज़ इस बात कि स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है, लेकिन किसी भी रिपोर्ट में अबतक भरे हुए टैंकर्स आने की जानकारी नहीं दी गयी है. लेकिन खाली सिलिंडर लाये जाने पर कई मीडिया रिपोर्ट्स हैं (पहली, दूसरी और तीसरी रिपोर्ट). कुछ भारतीय सीमा में ही एयर लिफ्ट कर देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाये गये (पहली, दूसरी और तीसरी रिपोर्ट). विदेशों से जो खाली टैंकर्स आये उनमें भारत में ही ऑक्सीजन भरी गयी है.

इसके अलावा, बाहर से समुद्र के ज़रिये तरल ऑक्सीजन लाये जाने के बारे में केवल एक रिपोर्ट है. सऊदी अरब, अदानी और लिंडे के बीच तरल ऑक्सीजन का समझौता हुआ था. 24 अप्रैल को भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर बताया था कि सऊदी अरब भारत को 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचाएगा. अदानी और रिलायंस के साथ तरल ऑक्सीजन का एक और समझौता किया गया है, हालांकि ये समझौता वीडियो वायरल होने के बाद किया गया था.

CNBC न्यूज़18 ने 23 अप्रैल को एक ब्रॉडकास्ट में बताया था कि ऑक्सीजन के उत्पादन और ट्रांसपोर्ट में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर टीवी नरेंद्र ने बताया, “ये (क्रायोजेनिक टैंकर) बहुत टेक्निकल उत्पाद है. इसे हलके में नहीं लिया जा सकता है और कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. यही वजह है कि इंडस्ट्रियल गैस सिलिंडर को भी ऑक्सीजन सिलिंडर में बदलने के लिए नियम बने होते हैं. आप ऐसे ही कोई भी सिलिंडर या टैंकर में ऑक्सीजन नहीं भर सकते हैं और देरी होती है… दिक्कत ये है कि अभी इतने कंटेनर भी नहीं हैं कि रेलवे से ट्रांसपोर्ट हों. अभी सबसे बड़ी समस्या कंटेनर की है. एक बार जब कंटेनर की संख्या बढ़ जाये तो कई रास्ते खोले जा सकते हैं.”

पीटीआई की एक हालिया रिपोर्ट में रेल मंत्री पियूष गोयल का बयान था, “देश में अभी ऑक्सीजन रखने का इंतजाम दुरुस्त है.” रिपोर्ट में आगे लिखा है, “ऑक्सीजन आयात करने के लिए फ़ास्ट-ट्रैक सिस्टम का इंतज़ाम किया गया है उन्होंने कहा कि रेलवे और वायुसेना टैंकर्स से ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने में मदद ली जा रही है ताकि समय की बचत हो पाए. चूंकि वायुसेना भरे हुए टैंकर्स नहीं ले जा सकती है, उत्पादन स्थल पर खाली टैंकर्स प्लेन से ले जाया जा रहा है ताकि उनके वापिस खाली जाने का समय बच सके.”

कुल मिलाकर, RIL और रिलायंस फ़ाउंडेशन ने विदेशों से 24 क्रायोजेनिक लिक्विड ऑक्सीजन टैंकर आयात करवाये थे ताकि भारत में ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट में मदद मिल सके. कई सोशल मीडिया यूज़र्स को लगा कि रिलायंस सऊदी अरब से आये ऑक्सीजन का क्रेडिट ले रहा है क्योंकि टैंकर्स पर रिलायंस का स्टीकर लगा था. लेकिन ये टैंकर खाली थे जिन्हें जामनगर स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के ऑक्सीजन प्लांट में भरा जाना था.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.