“इन सुअरों द्वारा ये शिक्षा दी जाती है मदरसों में..फिर कहते हैं हिन्दू भाईचारा नही रखते Hinduism -0 and Islam -3 (हिंदू धर्म -0 और इस्लाम -3.)” यह पोस्ट एक फेसबुक ग्रुप वी सपोर्ट नरेंद्र मोदी (WE SUPPORT NARENDRA MODI) में पोस्ट किया गया था, जिसमें 28 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इस पोस्ट में मदरसे के शिक्षक द्वारा इस्लाम को हिंदू धर्म की तुलना में एक बेहतर धर्म होने का दावा करते हुए दिखाया जा रहा है।

इस पोस्ट को कई फेसबुक पेज ने पोस्ट किया है। आजाद भारत नामक पेज जिसके 6 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स है, इस पेज ने भी इसी दावे के साथ इसे पोस्ट किया है। यह फोटो फेसबुक पर कई ग्रुप में इसी दावे के साथ शेयर की गई है जैसे R.S.S. (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)एक करोड़ हिंदुओं का ग्रुप” (एड होते ही 150 हिंदुओ को एड करो) “जय श्री राम ग्रुप में पांच लाख से ज्यादा सदस्य हैं, I Am Proud Indian में ग्यारह लाख से ज्यादा सदस्य हैं, अगर आप राजपूत हैं तो Join कीजिये” ये ग्रुप, देखते हैं FB पर कितने राजपूत है जिसमें 18 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इसके अलावा, यह फेसबुक और ट्विटर पर विभिन्न शब्दों के साथ व्यापक रूप से साझा किया गया है लेकिन सबका संदर्भ एक ही है।

एक यूजर पूजा गोस्वामी (@PoojaGoswami_01) के द्वारा किये गए एक ट्वीट को 650 से अधिक बार पसंद व् रीट्वीट किया गया है। इन्हे 60000 से अधिक लोग ट्विटर पर फॉलो करते है। विवादास्पद पत्रकार जागृति शुक्ला ने भी पूजा गोस्वामी (@PoojaGoswami_01) के ट्वीट को रिट्वीट किया था। पूजा गोस्वामी ने अब इस ट्वीट को डिलीट कर लिया है।

फ़ोटोशॉप की गई तस्वीर

ऑल्ट न्यूज़ ने GOOGLE reverse image search द्वारा खोज की और पाया कि यह फोटो 10 अप्रैल, 2018 की एक रिपोर्ट से ली गयी थी।

यह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिनी नामक मदरसा की एक तस्वीर है। कई समाचार संगठनों ने इस असली फोटो के साथ न्यूज़ दिखाई थी, जिसमें से आउटलुक के एक लेख ने बताया, “ये मदरसा बना आधुनिक शिक्षा का केंद्र, जहां अरबी, अंग्रेजी के साथ पढ़ाई जाती है संस्कृत भी” यह आगे बताता है, “इस मदरसे में खास बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए यहां मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है।”

Photo Courtesy: ANI

अक्सर यह देखा जाता है कि कैसे असली फोटो को फोटोशॉप करके उसे गुमराह करने के लिए शेयर कर दिया जाता है। यह सब बस एक तस्वीर में मामूली एडिटिंग से हो जाता है। गलत जानकारी पोस्ट करने और शेयर करने पर बताए जाने के बावजूद, सोशल मीडिया के कुछ ग्रुप और खाते जहर फैलाना जारी रखते हैं।

अनुवाद: चंद्र भूषण झा के सौजन्य से

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.