शेयर की जा रही एक तस्वीर में दिख रहा है कि एक मदरसा में मौलवी इस्लाम को हिंदू धर्म की तुलना में एक बेहतर धर्म होने का दावा करते हुए पढ़ा रहे हैं.
26 जून से 30 जून 2025 के बीच इस तस्वीर को कई यूज़र्स ने X पर शेयर किया है. @Sassy_Soul_, @HPhobiaWatch और @Fatima_Khatun01 इसे शेयर करने वालों की लिस्ट में शामिल हैं.
ये तस्वीर 2018 में खूब शेयर की गई थी. फ़ेसबुक ग्रुप से लेकर बड़ी पहुंच वाले पेज इसे शेयर कर रहे थे. नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं.
फेसबुक ग्रुप वी सपोर्ट नरेंद्र मोदी (WE SUPPORT NARENDRA MODI) में इस तस्वीर को पोस्ट किया गया था, जिसमें 28 लाख से ज्यादा सदस्य हैं. इसके साथ लिखा गया, “इन सुअरों द्वारा ये शिक्षा दी जाती है मदरसों में..फिर कहते हैं हिन्दू भाईचारा नही रखते हिंदू धर्म -0 और इस्लाम -3.”
इस पोस्ट को कई फेसबुक पेज ने पोस्ट किया. 6 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाला फ़ेसबुक पेज आजाद भारत ने भी इसी दावे के साथ इसे पोस्ट किया. इसे फेसबुक पर कई ग्रुप में शेयर किया गया, जैसे R.S.S. (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)“एक करोड़ हिंदुओं का ग्रुप” (एड होते ही 150 हिंदुओ को एड करो) “जय श्री राम” ग्रुप में पांच लाख से ज्यादा सदस्य हैं. I Am Proud Indian में ग्यारह लाख से ज्यादा सदस्य हैं, अगर आप राजपूत हैं तो Join कीजिये” ये ग्रुप, देखते हैं FB पर कितने राजपूत है जिसमें 18 लाख से ज्यादा सदस्य हैं.
यूज़र पूजा गोस्वामी (@PoojaGoswami_01) के पोस्ट को 650 से अधिक लाइक मिला था. विवादास्पद पत्रकार जागृति शुक्ला ने भी पूजा गोस्वामी (@PoojaGoswami_01) के ट्वीट को रिट्वीट किया था.
एडिटेड तस्वीर
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल रिवर्स इमेज में पाया कि असली फोटो 10 अप्रैल, 2018 की एक रिपोर्ट से ली गयी थी.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिनी नामक मदरसा है. कई समाचार संगठनों ने इस असली फोटो के साथ न्यूज़ दिखाई थी. आउटलुक की एक रिपोर्ट में लिखा है, “ये मदरसा बना आधुनिक शिक्षा का केंद्र, जहां अरबी, अंग्रेजी के साथ पढ़ाई जाती है संस्कृत भी”. आगे लिखा है, “इस मदरसे में खास बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए यहां मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है. संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है.”

कुल मिलाकर, एक बार फिर इस तस्वीर को एडिटेड कर झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. असल में एक मुस्लिम शिक्षक मदरसा में संस्कृत पढ़ा रहा था.
अनुवाद: चंद्र भूषण झा के सौजन्य से
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