जैसे ही आप हमारी आवाज़ डॉट इन नामक वेबसाइट पर किसी लेख को पढ़ाने के लिए क्लिक करते है तो आपकी आँखों के सामने सबसे पहले जो चीज़ आती है वह है चार छोटे वर्गाकार एनिमेटेड GIF. यह GIF पेज के दाएं तरफ सबसे ऊपर देखे जा सकते है. हैरान करने वाली बता यह है की यह सारे गिफ्स भद्दे अश्लील क्रियाओं को दिखाते हुए नज़र आते है. दाएं हाथ पे वेबसाइट का एक हिस्सा है जिसका शीर्षक है “महिलाओं के लिए”. अजीब बीत यह है की इस हिस्से में पांच बड़े वर्गाकार विज्ञापन में और भी भद्दी अश्लील क्रियाएं दिखाई जाती है.लेख के प्रमुख हिस्से में पहला भाग शीर्षक को दिया गया है और उसके बाद का हिस्सा लेख के बाकी हिस्से को समर्पित है.लेख के अंत में १५ मध्यम आकर के वार्ग बने हुए है जो की ५ पंक्तियों में फैले हुए है. यह सभी १५ वर्गाकार आकृतियां भी भद्दे अश्लील दृश्यों के गिफ से भरी हुई है. वेबसाइट के उप-शीर्षक के अनुसार यह वेबसाइट “हिंदी खबर, ताज़ा खबर, ब्रेकिंग न्यूज़, हिंदी संचार और इंडिया न्यूज़” को समर्पित है.
मज़े की बात यह है की बहुत सारे मोदी समर्थक इस बात को मानते भी है की इतने भद्दे अश्लील विज्ञापन के बीच लिखे गए यह लेख असल में सच्ची खबर ही हो सकते है. न सिर्फ वह इसे असली खबर मानते है बल्कि वह समर्थक भाकपा माले के नेता कविता कृष्णन से काफी खफा भी है. आपको बताते चले की इस वेबसाइट पर लिखे एक लेख में कविता कृष्णन को प्रधानमंत्री मोदी पर नपुंसक कहने का आरोप लगाया गया है. साथ ही साथ उन पर यह भी आरोप लगाया है की उन्होंने महिलाओं के लिए “फ्री सेक्स” की मांग भी की थी.
इस लेख के मुताबिक़ कविता कृष्णन ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में आदिवासी महिलाओं से मुलाक़ात के दौरान कहा था की महिलाओं के पास किसी भी व्यक्ति के साथ अपनी मर्ज़ी से सेक्स करने की आज़ादी होनी चाहिए. इस लेख में यह भी कहा गया है की कविता ने मोदी पर विमुद्रीकरण के द्वारा आदिवासियों को भुखमरी के मुंह में धकेलने और अमीर डिफॉलटर्स को बचाने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया है. इसी लेख के अगले हिस्से में यह भी कहा गया है की कविता कृष्णन ने श्री मोदी को नपुंसक इसलिए कहा क्यूंकि उन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था. “ऐसे व्यक्ति के हाथो में देश कैसे सौंपा जा सकता है”, ऐसा कहने का आरोप भी इस लेख में कविता कृष्णन पर लगाया गया है.
हालांकि इस लेख को पढ़ने से साफ़ पता चलता है की यह एक झूठी खबर है लेकिन हमने तथ्यों की सत्यता जांचने के लिए कविता कृष्णन से फ़ोन पर बात की. फ़ोन पर बातचीत के दौरना कविता ने हमें बताया की उन्होंने बस्तर में कभी भी किसी मीटिंग को सम्बोधित नहीं किया है और वह सिर्फ एक बार ही बस्तर गयी है, वह भी फैक्ट-फाइंडिंग टीम की सदस्य के तौर पे. जब हमने उनके खिलाफ चल रहे इस तरह के झूठे प्रचार के बारे में उनके विचारो को जानना चाहा तो उनका कहना था की:
इस तरह की खबरें न सिर्फ एक तरह का यौन-उत्पीड़न है बल्कि मुझे, एक महिला के तौर पे खतरे में डालने वाली भी है. इस तरह की खबरों से मुझ पर यौन-उत्पीड़न का खतरा और भी बढ़ जाता है क्यूंकि इस तरह की खबरें मेरा चरित्र हनन करती है और मुझे अनैतिक महिला केरूप में दर्शाती है. हालांकि मैं पितृ-सत्तात्मक नैतिकता को नहीं मानती हूँ लेकिन अपराधी तत्वों को इस तरह की खबरों से महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का लाइसेंस मिल जाता है क्यूंकि उनकी निगाह में यह महिलाएं अनैतिक होती है.
एक फेसबुक पोस्ट में कविता ने लिखा है की वह उन सभी वेबसाइट और पोर्टल्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की योजना बना रही है जिन्होंने इस खबर को छापा है.
कविता से बात करने के बाद हमने इस खबर की और जांच पड़ताल करके इसके स्रोत तक पहुँचने की कोशिश की. हालांकी इतनी देर में ही यह खबर अक्षरशः १५-२० न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित हो चुकी थी और हज़ारो लोगो द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की जा चुकी थी. उदाहरण के तौर पे..
इनमें से कौन सा पोर्टल गुनहगार है और किसने यह श्रृंखला शुरू की? फेसबुक सर्च के दौरान हमें पता चला की कुमार शानू भारद्वाज नामक एक शख्स ने ५ अप्रैल को २ बजकर ५४ मिनट पे “रोहित सरदाना और सुधीर चौधरी फैन क्लब” नामक फेसबुक ग्रुप में एक पोस्ट किया था जो की इस मुद्दे पे किया गया पहला पब्लिक पोस्ट था. और यह लेख चक्रव्यूह इंडिया डॉट इन नामक वेबसाइट से लिया गया था.
ऊपर दिए गए स्क्रीनशॉट में दिखाई गयी ज्यादतर वेबसाइट चलती ही इस तरह की झूठी और सनसनीखेज खबरों की बदौलत है. यह वेबसाइट इस तरह की खबरें प्रकाशित करती है और क्लिक्स द्वारा आने वाले बिज्ञापन से पैसे बनाती है. जैसे ही कोई “खबर” बहुत तेज़ी से फैलती है, दूसरी वेबसाइटें भी इस खबर को अपने पोर्टल पर प्रकाशित कर देती है, इस उम्मीद में की शायद क्लिक-विज्ञापन के द्वारा कुछ पैसे वह भी बना लें. इस पूरी प्रक्रिया में खबर का प्रामाणिक होना या न होना गौड़ हो जाता है.
हाल ही में हमने दिखाया था की किस तरह से नीता पांडेय नामक एक महिला जिस पर भर्ष्टाचार के आरोप लगे थे को झूठे तरीके से NDTV इंडिया के पत्रकार रविश की बहन बताने की कोशिश की गयी थी. हमने यह भी दिखाया था की किस तरह से एक न्यूसपुर डॉट इन नामक वेबसाइट ने ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित सरदाना के खिलाफ एक फतवे की की खबर को प्रकाशित किया था जबकि असल में ऐसा कोई फतवा कभी ज़ारी ही नहीं किया गया था.ट्विटर पर यह झूठी खबर दिन भर ट्रेंड करती रही थी. बिलकुल इस खबर की ही तर्ज पर न्यूसपुर डॉट इन भी क्लिक्स के विज्ञापनों के डैम पर ही चलता है. और इस तरह से झूठी खबरों का धंधा चलता रहता है जबकि फेसबुक, ट्विटर और गूगल का प्रबंधक मंडल इस तरह की साइट्स के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से बचता रहता है, जिसकी वजह से इन झूठी खबरों से प्रभावित लोगो की जिंदगी और विश्वसनीयता खतरे में पड़ती जा रही है.
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