न्यूज़ एजेंसी IANS और आउटलेट ज़ी न्यूज़ ने एक अनजानी वेबसाइट ‘ग्रीक सिटी टाइम्स’ के एक आर्टिकल के आधार पर लेखक और कार्यकर्ता पीटर फ़्रेडरिख को लेकर एक दावा किया. इन्होंने लिखा कि “पीटर फ़्रेडरिख के न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म TRT के पत्रकार बाबा उमर से सम्बन्ध हैं और माना जाता है कि उमर पाकिस्तान ISI के लिए काम करते हैं.”
ज़ी न्यूज़ और IANS ने ‘ग्रीक सिटी टाइम्स’ की रिपोर्ट को कोट करते हुए लिखा, “दोनों लोग (फ़्रेडरिख और उमर) एक दूसरे को फ़ॉलो करते हैं और एक-दूसरे के कॉन्टेंट भी शेयर करते हैं. इसके अलावा, पीटर फ़्रेडरिख ने बाबा उमर के साथ पहले भी बातचीत की है. बाबा उमर के साथ बनाये गए और फिर पाकिस्तान द्वारा प्रमोट किये गये एक वीडियो में उन्होंने कश्मीर को लेकर प्रो-पाकिस्तानी बात करते हुए भारत पर हमला किया.”
ज़ी न्यूज़ ने इंटरव्यू का एक स्क्रीनशॉट भी लगाया. लेकिन पाठक गौर करें कि पीटर फ़्रेडरिख ने ट्वीट में दिख रहे दूसरे व्यक्ति का नाम ‘उमर बाबा’ लिखा है.
राइट-विंग प्रोपगेंडा वेबसाइट्स द फ़्रस्ट्रेटेड इंडियन और क्रिएटली ने भी दावा किया कि कश्मीरी पत्रकार बाबा उमर के ISI से सम्बन्ध हैं.
पीटर फ़्रेडरिख ने पत्रकार बाबा उमर का इंटरव्यू नहीं लिया था
जिस इंटरव्यू की ग्रीक सिटी टाइम्स ने बात की वो 2019 में किया गया था. पीटर फ़्रेडरिख ने कश्मीर को लेकर ‘उमर बाबा’ से बात की थी न कि, TRT के पत्रकार बाबा उमर से.
Who has the most right to speak about the #KashmirIssue? #Kashmiris, of course. Speaking with @tmturkee about her perspective on #Kashmir. #KashmirBleeds #KashmirBleedsForJustice #StandwithKashmir #KashmirWantsFreedom #EndKashmirBlockade
Full interview: https://t.co/LRmIgBYfLl pic.twitter.com/kLrPs1XJ26
— Pieter “Spidey” Friedrich (@FriedrichPieter) August 13, 2019
उमर बाबा ने खुद का परिचय साउथ कोरिया में रिसर्च प्रोजेक्ट कर रहे कश्मीरी के रूप में दिया. पूरा इंटरव्यू यहां देख सकते हैं.
पत्रकार बाबा उमर ने इस दावे को ग़लत बताते हुए ट्वीट थ्रेड में लिखा, “ज़ी न्यूज़ और IANS द्वारा बढ़ावा दिए गये इन ग़लत दावों की वजह से मैं काफ़ी परेशान हूं. मुझे और मेरे परिवार को हद से ज़्यादा अपशब्द और नफ़रत भरी बातों का सामना करना पड़ रहा है.”
I deny having ever interviewed by @FriedrichPieter as claimed by @greekcitytimes in its baseless article, amplified by @ZeeNewsEnglish @ians_india through their dishonest journalism.
Pieter talked to Umar Baba, a scientist/ different person, NOT ME.
It’s a cock-and-bull story https://t.co/QQwNgH4nqp
— Baba Umar (@BabaUmarr) February 22, 2021
पीटर फ़्रेडरिख ने भी इस ग़लत दावे के बारे में ट्वीट किया.
This is the level of stupidity of allegations leveled against me & the quality of research. They assail me for having ties to @BabaUmarr, a @trtworld journalist, because I interviewed a Kashmiri named Baba Umar. A different Baba. Good going. 🙄https://t.co/BrWpN0alvY
— Pieter “Spidey” Friedrich (@FriedrichPieter) February 20, 2021
इस ग़लत दावे का सोर्स
एक न्यूज़ वेबसाइट Disinfo Lab (ये EU Disinfo Lab नहीं है) जो मुख्यतः एशिया में ‘ग़लत न्यूज़ और प्रोपगेंडा’ के बारे में खुलासा करने का दावा करती है, ने 15 फ़रवरी को एक रिपोर्ट पब्लिश की. इसका टाइटल था, “THE UN-ENDING WAR: From Proxy War to Info-War against India.”
The #toolkit dropped by @GretaThunberg had many key players but the name of the foreign expert Pieter Friedrich was dramatic as he was the part of a true story we were working(About group which tried every possible way to unsettle India)#UnendingWar(1/17)https://t.co/4KixWXZkS1
— DisInfo Lab (@DisinfoLab) February 15, 2021
इस रिपोर्ट में लेखक और कार्यकर्ता पीटर फ़्रेडरिख के बारे में कई बड़े दावे किये गए हैं. बता दें कि पीटर का नाम किसान आन्दोलन के समर्थन में बनायीं गयी टूलकिट में था. दिल्ली पुलिस ने पीटर फ़्रेडरिख को किसान आन्दोलन की आड़ में भारत के खिलाफ़ ‘खालिस्तान’ की साज़िश में बड़ा भागीदार माना था. स्पेशल सेल के DCP ने कहा था कि भारतीय एजेंसियां फ़्रेडरिख की तलाश में थीं जिनपर भजन सिंह भिंडर से ताल्लुक रखने के आरोप हैं. पीटर ने टूलकिट के ज़रिये किसी भी ‘अलगाववादी साज़िश’ में हाथ होने से इनकार किया था. फ़र्स्ट पोस्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जिस खालिस्तान मूवमेंट की बात हो रही है, मेरी नज़र में वो पूरी तरह से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बुना गया है और इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है. इसका मकसद फ़्रैंकेंस्टाइन मॉन्स्टर तैयार करके अपनी सारी कमियों को छिपाना है.”
भजन सिंह भिंडर एक अमेरिकी कार्यकर्ता हैं जो पीटर फ़्रेडरिख के करीबी भी हैं. दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि भिंडर पाकिस्तान ISI के “K2 (कश्मीर ऐंड खालिस्तान) डेस्क” का नेतृत्व कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक पीटर भिंडर के साथ अपनी नज़दीकियों की वजह से 2006 से ही भारत सरकार के रडार पर हैं. भजन भिंडर ने कहा था कि K2 भारतीय सरकार और मीडिया द्वारा पैदा की गयी मनगढ़ंत थ्योरी है.
Disinfo Lab की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भिंडर ने 2006-07 में पीटर को भारत के खिलाफ़ ‘इन्फ़ो-वॉर’ के लिए काम पर लगाया था. इसमें ये भी दावा किया गया है कि पीटर को विश्वसनीयता देने और ‘खालिस्तान’ एजेंडा को प्रमोट करने के लिए अमेरिका में कई संस्थान और संगठन स्थापित किये गए. ऑल्ट न्यूज़ को पब्लिक डोमेन में मौजूद ऐसा कोई सोर्स नहीं मिला जो इन दावों को सत्यापित करे.
Disinfo Lab ने आगे बताया है कि किस तरह पीटर ने ट्विटर पर बड़ी संख्या में फ़ॉलोवर्स खड़क किये हैं. इनमें से कई वेरिफ़ाइड यूज़र्स हैं जिनमें ‘बाबा उमर’ शामिल हैं.
एक वेबसाइट ने Disinfo Lab की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट पर एक फ़ॉलो-अप रिपोर्ट पब्लिश की. ग्रीक सिटी टाइम्स ने लिखा, “एक अन्य जाना-माना नाम TRT के पत्रकार बाबा उमर के तौर पर सामने आया और माना जाता है कि वो ISI के लिए काम करते हैं. दोनों लोग (फ़्रेडरिख और उमर) एक दूसरे को फ़ॉलो करते हैं और एक-दूसरे के कॉन्टेंट भी शेयर करते हैं. इसके अलावा, पीटर फ़्रेडरिख ने बाबा उमर के साथ पहले भी बातचीत की है. बाबा उमर के साथ बनाये गए और उसे पाकिस्तान द्वारा प्रमोट किये गये एक वीडियो में उन्होंने कश्मीर को लेकर प्रो-पाकिस्तानी बात करते हुए भारत पर हमला किया.” इसे ज़ी न्यूज़ और IANS ने भी रीपब्लिश किया.
मीडिया आउटलेट्स ने बिना वेरिफ़ाई किये एक अनजानी वेबसाइट की रिपोर्ट रीपब्लिश कर दी. ये ‘न्यूज़’ असल में ग़लत है. बाबा उमर ने ट्वीट करते हुए साफ़ किया कि एक संदेहास्पद वेबसाइट के आधार पर उनका नाम ग़लत तरीके से टूलकिट विवाद में घसीटा जा रहा है. बावजूद इसके, दोनों आउटलेट्स ने अभी तक न कोई सफ़ाई दी है और न ही माफ़ी मांगी है.
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