दिल्ली सेशन कोर्ट ने 22 फ़रवरी को 22 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को एक-एक लाख रुपये के दो श्योरिटी अमाउंट के बाद ज़मानत दी. वो 14 फ़रवरी से न्यायिक हिरासत में थीं. दिशा पर किसान आन्दोलन से जुड़ी एक ‘टूलकिट’ एडिट करने का आरोप लगा था. स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुन्बेरी ये टूलकिट शेयर करने वालों में शामिल थीं. दिल्ली पुलिस की ओर से मुकदमा लड़ रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने दलील दी कि ये ‘टूलकिट’ भारत के खिलाफ़ ‘विदेशी साज़िश’ का हिस्सा है और यह गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी हुई है.
बार ऐंड बेंच के मुताबिक, ASG ने दिशा की ज़मानत से कुछ दिन पहले ही अदालत में कहा था, “लाल किला पर अलगाववादी झंडा फहराया गया था. सैकड़ों पुलिसवाले घायल हुए थे.”
गणतंत्र दिवस को हुई घटना के बाद से ही ‘खालिस्तानी झंडे’ का दावा वायरल
26 जनवरी को किसान आन्दोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों का एक समूह परेड के लिए तय किये गए रास्ते का उल्लंघन कर दिल्ली के लाल किला में घुस गया. लाल किला और ITO समेत कुछ अन्य जगहों पर भीड़ काबू से बाहर हो गयी. पुलिस को आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल करना पड़ा. विरोध कर रहे कई लोग लाल किला के अंदर दाखिल हो गए और इस ऐतिहासिक ईमारत पर अपना झंडा फहराया.
इस हिंसा के बाद से ही ये दावा वायरल है कि लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहराया गया था. ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे 2 वीडियो का फ़ैक्ट-चेक किया था जिसे शेयर करते हुए लोगों ने दावा किया था कि राष्ट्रीय ध्वज को हटाकर खालिस्तानी झंडा फहराया गया था. ये दोनों रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं- पहली रिपोर्ट और दूसरी रिपोर्ट.
इसके ठीक बाद ही दो झंडे फहराए जाने वाला एक और वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया गया. वीडियो में दिख रहा है कि कुछ प्रदर्शनकारी किले के गुम्बद पर तिरंगे के ठीक नीचे पीला और केसरिया झंडा लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
ये वीडियो ट्विटर हैंडल @rosy_K01 ने शेयर किया जिसे कोट ट्वीट करते हुए अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा, “जो चाटुकार मीडिया कह रहे हैं कि खालिस्तानी झंडा नहीं फहराया गया वो झूठ बोल रहे हैं. उनसे सावधान रहें.” ये आर्टिकल लिखने तक 5,000 से ज़्यादा लोग इसे रीट्वीट कर चुके हैं. ओरिजिनल ट्वीट पर ट्विटर ने ‘manipulated media’, यानी भ्रामक कॉन्टेंट का टैग लगा दिया था.
Chatukaar media who is reporting Khalistan flag wasn’t hoisted is lying. Beware of them … https://t.co/KMaHgeY06I
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 27, 2021
फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री, जो ट्विटर पर अक्सर भ्रामक जानकारी शेयर करते रहते हैं, ने यही क्लिप शेयर करते हुए लिखा, “आज की वो सच्चाई जिसे सभी राजदीप (सरदेसाई) और सेक्युलर गैंग लीपा-पोती करने की कोशिश करेंगे. प्लीज़ ये न होने दें. भारत के सबसे बड़े दुश्मनों को हराएं – #UrbanNaxals.” इस ट्वीट को करीब 3,000 लोगों ने रीट्वीट किया.
This is the truth which today all kinds of Rajdeeps and Secular gang will try to whitewash. Pl don’t let that happen. Defeat India’s biggest enemies – #UrbanNaxals pic.twitter.com/Hz74AtnnpC
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) January 27, 2021
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने गेटी इमेजेज़ पर मौके की हाई क्वालिटी तस्वीरें देखीं और पाया कि एक तस्वीर में झंडे पर लिखा हुआ टेक्स्ट इतना साफ़ दिख रहा है कि उसे पढ़ा जा सकता है.
पीला झंडा
हमने लाल किला के ऊपर पर लगाये गए झंडे की तुलना उसके जैसे ही एक अन्य झंडे से की जिसे एक प्रदर्शनकारी ने पकड़ा हुआ है. इसपर टेक्स्ट लिखा है, ‘ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ’. इसका मतलब है, ‘राज करेगा खालसा.’
ऑक्सफ़ोर्ड हैंडबुक ऑफ़ सिख स्टडीज़ के मुताबिक ‘ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ (राज करेगा खालसा)’ दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा दिया गया एक छंद है. ये एक लोकप्रिय धार्मिक छंद है जिसका सिख समुदाय के झंडे पर लिखा जाना आम बात है. इसे गुरुद्वारे में अरदास के दौरान भी दोहराया जाता है.
पूरा छंद इस तरह है, “राज करेगा खालसा आकी रहे न कोई; ख्वार होई सब मिलेंगे, बचे सरन जो होई.” इसका अर्थ है- खालसा राज करेगा, कोई दुश्मन नहीं रहेगा; जो भटके हैं और जिनका कोई नहीं, उन्हें शरण दी जाएगी.
ये छंद सिख समुदाय में काफ़ी लोकप्रिय है. उदहारण के लिए, ‘ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ (राज करेगा खालसा)’ प्रिंट वाला झंडा एक ट्विटर यूज़र की प्रोफ़ाइल इमेज में है जो आखिरी बार जुलाई 2018 में ऐक्टिव था. इसी टेक्स्ट वाला झंडा फ़ेसबुक पेज ‘ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ’ की प्रोफ़ाइल इमेज में भी था. इसे दलेर मेहंदी और दिलजीत दोसांझ जैसे पंजाबी कलाकारों ने भी अपने गानों में दोहराया है.
अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी तीन साल पहले इस छंद के बारे में अपने विचार शेयर किए थे. उन्होंने ये ट्वीट किया था:
#RajKaregaKhalsa
“राज करेगा खालसा”
मैं हज़ार बार; लाख बार कहूँगा
न तो सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन किया है और न ये कभी बैन होगा
हम अरदास में बोलते है – राज करेगा खालसा; आकी रहे न कोई
जिसका मतलब है सच्चे सुच्चे (खालस) लोग धरती पर राज करें और पापी (आकी) लोगों का ख़ात्मा हो। pic.twitter.com/VsPOqkIxDG— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) June 25, 2018
कंगना रनौत ने 31 जनवरी को राइट विंग प्रोपगेंडा वेबसाइट ऑप-इंडिया का एक आर्टिकल शेयर किया जिसमें कहा गया था कि झंडे का आयताकार होना उसके खालिस्तानी होने का सबूत है.
Chacha @jack get hold on your communist minions… Every day exposing you … ha ha https://t.co/lfWHYOLpKw
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 31, 2021
ऑप-इंडिया ने दावा किया, “जैसा कि देखा जा सकता है, खालिस्तानी झंडे में कोई तय आकार नहीं है, लेकिन निशान साहिब हमेशा त्रिकोण आकार में भगवा रंग का होता है. कोई भी पहचान जाएगा कि पीला आयताकार झंडा खालिस्तान का है या निशान साहिब का, चाहे उसपर ‘खालिस्तान’ प्रिंट हो या नहीं.”
लेकिन पूरी दुनिया में कई जगह खालिस्तानी झंडे तभी पहचाने जा सकते हैं जब उनपर खालिस्तान लिखा हो. हमने ‘पंजाब: जर्नीज़ थ्रू फ़ॉल्ट लाइन्स’ के लेखक अमनदीप संधु से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, “अभी तक खालिस्तान का कोई तय झंडा नहीं है. कुछ लोग इसे चौकोर बनाते हैं तो कुछ त्रिकोणीय. वो सिख झंडे पर ही खालिस्तान लिख देते हैं.”
उन्होंने आगे बताया, “इंसानों के किसी भी समूह का सबसे बड़ा प्रतीक उनका झंडा होता है- चाहे टीम हो, यूनियन हो या देश.” आमतौर पर झंडे संगठन के लोग या चयनित प्रतिनिधि चुनते हैं. कभी-कभी इन्हें सम्मलेन के द्वारा चुना जाता है जैसे किसी समुदाय के लिए. कुछ देश जैसे ऑस्ट्रिया, लाटविया, डेनमार्क आदि भी इसके उदहारण हैं.”
ऑप-इंडिया का ये दावा कि निशान साहिब का झंडा हमेशा तिकोना होता है, बेबुनियाद है.
उदहारण के लिए, दस साल पहले यूट्यूब पर निशान साहिब के इस एनीमेशन वीडियो में झंडा चौकोर और केसरिया रंग का है. पीछे बैकग्राउंड में ‘राज करेगा खालसा’ की अरदास बज रही है.
ये स्पष्ट करने के लिए कि क्या झंडे का खालिस्तान से सम्बन्ध हो सकता है, ऑल्ट न्यूज़ ने स्वतंत्र पत्रकार संदीप सिंह से संपर्क किया. उन्होंने किसान आन्दोलन का एक वीडियो शेयर किया जिसमें एक व्यक्ति ने पीला ध्वज पकड़ा हुआ है और उसपर ‘राज करेगा खालसा’ लिखा हुआ है. होशियारपुर निवासी सुखविंदर सिंह ने ये दावा ख़ारिज किया कि ये झंडा खालिस्तान से सम्बंधित है. उन्होंने कहा, “हम इसको निशान साहिब से जोड़ते हैं. आप इसको खालिस्तान से जोड़ना चाहते हो तो बेशक जोड़ो, हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है. पर ये हमारे खालसे की निशानी है.”
ऐतिहासिक सन्दर्भ
1860 की एक वॉटरकलर पेंटिंग है जिसमें अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में चौकोर निशान साहिब बना है. इसमें गहरे रंग का बॉर्डर है. सिख इतिहासकार संदीप सिंह बरार द्वारा संभाली जा रही वेबसाइट सिख म्यूज़ियम के मुताबिक, “इसका किनारा आड़ा-तिरछा है और इसे चौकोर आकार दे रहा है. आधुनिक बैनर्स समेत अन्य निशान साहिब तिकोने ही हैं.” यानी, बीते वक़्त में निशान साहिब का झंडा चौकोर हुआ करता था.
भारत के बाहर चौकोर निशान साहिब लोकप्रिय
हमने पाया कि पीले रंग के चौकोर निशान साहिब ज़्यादातर यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा में देखे जाते हैं. पिछले साल भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह ने भी चौकोर निशान साहिब की तस्वीर शेयर की थी. इसे अमेरिका के होलियोक में महामारी के दौरान सिख समुदाय के सम्मान में अमेरिकी ध्वज के बगल में एक महीने तक फहराया गया था.
‘सिख हेरिटेज मंथ’ मनाते हुए कनाडा के पार्लियामेंट हिल में पीले रंग का चौकोर निशान साहिब फहराया गया था. (पहला सोशल मीडिया पोस्ट, दूसरा पोस्ट, तीसरा पोस्ट, चौथा पोस्ट, पांचवा पोस्ट)
Celebrated #SikhHeritageMonth on Parliament Hill yesterday. Proud to join in Sikh flag raising ceremony. #Brampton #CdnPoli #Khalsa pic.twitter.com/FPSnHeWQ2d
— Sonia Sidhu (@SoniaLiberal) April 4, 2017
इसके अलावा अमेज़न पर सर्च करने पर अमेरिका में बिक रहे चौकोर निशान साहिब की तस्वीरें सामने आती हैं. (पहला, दूसरा)
केसरिया झंडा
हमने एक बार फिर लाल किला पर फहराये गए केसरिया झंडे की तुलना उसी के जैसे एक अन्य झंडे से की जिसे ट्रैक्टर परेड में शामिल व्यक्ति ने पकड़ा हुआ है.
एक साधारण सा रिवर्स इमेज सर्च बता देता है कि ये झंडा निशान साहिब है जो बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है. झंडे पर टेक्स्ट लिखा है-‘ਡੇਗ ਤੇਗ ਫਤਿਹ, ਪੰਥ ਦੀ ਜਿੱਤ’ यानी, देग तेग फतह, पंथ की जीत. ये भी सिखों की अरदास का एक हिस्सा है.
अपनी किताब ‘सिख स्टडीज़‘ में डॉक्टर HS सिंह लिखते हैं, “देग का मतलब केतली से है. ये गरीबों का पेट भरना दर्शाता है. तेग मतलब तलवार है. ये कमज़ोरों और मजबूर लोगों की रक्षा का प्रतीक है. फ़तह का मतलब जीत से है. इस पूरे दोहे का मतलब है- गुरु नानक देव और गुरु गोविन्द सिंह से सिखों ने शक्ति, दया और जीत पायी है. बंदा सिंह बहादुर ने इस दोहे को प्रतीक के तौर पर अपनाया है क्योंकि ये सिख धर्म के आदर्शों का निचोड़ दर्शाता है.” भारतीय सेना की सिख लाइट इन्फ़ेंट्री के सैनिकों को भी ये शब्द दोहराते हुए सुना जा सकता है.
‘पंथ की जीत’ का सीधा अर्थ है – समुदाय की जीत.
पूरा छंद है- ‘जहां-जहां खालसा जी साहिब, तहां-तहां रुचेया रियायित, देग तेग फ़तेह, श्री साहेब जी सहाय, बीर की पैज, पंथ की जीत, श्री साहेब जी सहाय, खालसे जी के बोल-बाले, बोलो जी वाहेगुरु’.
ऑस्ट्रेलिया की गोल्ड कोस्ट सिख काउंसिल ने इसका अनुवाद किया है- “जब भी खालसा मौजूद हों, सिर झुकाएं और उनकी शरण में चले जायें, लोगों के लिए भोजन का भंडार और तलवार कभी निराश न करें, अपने भक्तों का गौरव बनाये रखें, सिखों को विजयी बनायें, ये सम्मानित तलवार हमेशा हम सबकी रक्षा के काम आये, खालसा हमेशा गौरवपूर्ण रहे. वाहेगुरु.”
लाल किला पर धार्मिक सिख झंडा लगाये जाने वाला वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया कि प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तानी झंडा फहराया था. ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे कई भ्रामक दावों का फ़ैक्ट-चेक किया है. इन सभी वायरल वीडियो के साथ ग़लत दावे किये गये थे इसलिए ASG एसवी राजू के दावे बेबुनियाद हैं कि प्रदर्शनकारियों ने कोई अलगाववादी झंडा फहराया था.
पतंजलि ने कहा कि WHO ने कोरोनिल को दे दी मंज़ूरी, मीडिया ने बगैर जांचे ख़बर चलाई
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