‘द केरल स्टोरी’ फ़िल्म का टेलर 26 अप्रैल को रिलीज हुआ. इसके साथ ही कई सोशल मीडिया यूज़र्स इसे शेयर कर लोगों से इसे देखने की अपील करने लगे. गुजरात में भड़काऊ भाषण देने के लिए गिरफ़्तार हो चुकी काजल शिंगला ने इस फ़िल्म का टीज़र शेयर करते हुए इसे सत्य घटना पर आधारित फ़िल्म बताया. (आर्काइव लिंक)
हिंदू बेटीयो की वेदना, अब्दुल-आफ़ताब से मिल रही प्यार की सज़ा…
सत्य घटना पर आधारित कहानी #TheKeralaStory ज़रूर देखे और अपनी बेटी के साथ बैठकर देखे…!!प्यार की आड़ में हो रहा व्यापार है
ये कोई लव नहीं मेरी जान, ये #लव_Gहाद है। pic.twitter.com/w4auDIvfp9— Kajal HINDUsthani (@kajal_jaihind) April 25, 2023
एक अन्य यूज़र ने भी इसे शेयर किया और लिखा कि सिर्फ केरल में 32000 लड़कियों के साथ ‘जिहाद’, अगवा, रेप, मर्डर, ब्लैकमेल किया गया. यूज़र ने लिखा कि इस फ़िल्म को अपनी बेटियों को ज़रूर दिखाना चाहिए. अभी ये केरल में हो रहा है कल आपके शहर में हो सकता है. (आर्काइव लिंक)
The true story of Love
Jihad-Kidnapping-Rape-Murder-Blackmail-Extremism-Terrorism-Deception with 32000 girls in #Kerala alone. #TheKeralaStory is coming on May 5,Must show your daughters,what is happening in Kerala tomorrow Can happen in ur city too.That’s why watch Kerala… pic.twitter.com/EBM2CGwzlY
— Stroke0Genius🇮🇳 (@Stroke0Genius18) April 25, 2023
सोशल मीडिया पर इस फ़िल्म का टीज़र नवंबर 2022 में काफी शेयर किया गया था. इसमें बुर्का पहने एक महिला अपने अतीत को याद करते हुए कहती है कि वो हिंदू थी जिसका नाम शालिनी उन्नीकृष्णन था और वो नर्स बनना चाहती थी. इसके बाद वो बताती है कि फ़िलहाल वो अफ़ग़ानिस्तान की जेल में बंद एक ISIS आतंकवादी है. और अब उसे फ़ातिमा बा के नाम से जाना जाता है. फ़ातिमा का ये भी कहना है कि उनके जैसी 32 हज़ार लड़कियां और हैं जिन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर सीरिया और यमन भेज दिया गया. वो आगे कहती हैं, ”नार्मल लड़कियों को ख़तरनाक टेररिस्ट बनाने का एक डेंजरस खेल चल रहा है केरल में और वो भी ख़ुलेआम.”
कई यूज़र्स ने ये टीज़र शेयर करते हुए बताया कि ये केरल के एक महिला की असली कहानी है. वहीं कुछ यूज़र्स ने हैशटैग ‘#TrueStory‘ का भी इस्तेमाल किया.
सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित ‘द केरल स्टोरी‘, केरल में 32 हज़ार महिलाओं के लापता होने के पीछे की घटनाएं सामने लाने का दावा करती है.
फ़िल्म का टीज़र शेयर करते हुए सुदीप्तो सेन ने ट्वीट किया, “शालिनी, गीतांजलि, निमाह और आसिफ़ा ने पिछले 5 सालों से मेरी जीवन रेखा को चिह्नित किया है. मुझे तब तक घुटन होती रहती जब तक मैं उनकी कहानियां नहीं बताता. जल्द ही आपको एक ऐसी फ़िल्म देखने को मिलेगी जिसकी आपने कभी दूर-दूर तक कल्पना भी नहीं की होगी. अंबिकाजी, @YaduVJ Krishnan, @sunshinePicture और विपुल ए शाह को मेरे दिल की गहराइयों से धन्यवाद.” (आर्काइव लिंक)
Shalini, Geetanjali, Nimah &Asifa marked my lifeline since last 5yrs. Choking me till I tell their stories. Soon u’ll get to see a film which u never imagined, in ur remotest imagination. Thank u Ambikaji, @YaduVJkrishnan, @sunshinepicture & Vipul A Shah from bottom of my heart pic.twitter.com/NmSltqzpf3
— Sudipto SEN (@sudiptoSENtlm) November 3, 2022
ANI के साथ हुई बातचीत का एक हिस्सा मार्च 2022 में द प्रिंट में प्रकाशित किया गया था जिसमें सुदिप्तो सेन बताते हैं, “हाल में हुई एक जांच के मुताबिक, 2009 के बाद से केरल और मैंगलोर से हिंदू और ईसाई समुदायों की लगभग 32 हज़ार लड़कियों को इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया है और उनमें से ज़्यादातर अब सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य ISIS और हक्कानी प्रभावशाली क्षेत्रों में हैं. इन फ़ैक्ट्स को स्वीकार करने के बावजूद, सरकार ISIS से प्रभावित ग्रुप्स के नेतृत्व में इतनी बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिशों के खिलाफ़ किसी निश्चित कार्य योजना पर विचार नहीं कर रही है.”
टीज़र में फातिमा का किरदार अभिनेत्री अदा शर्मा ने निभाया है. उन्होंने भी ये टीज़र हैशटैग ‘#TrueStory’ के साथ ट्वीट किया.
Heart breaking and gut wrenching stories of 32000 females in Kerala!#ComingSoon#VipulAmrutlalShah @sudiptoSENtlm @adah_sharma @Aashin_A_Shah#SunshinePictures #TheKeralaStory #UpcomingMovie #TrueStory #AdahSharma pic.twitter.com/M6oROuGGSu
— Adah Sharma (@adah_sharma) November 3, 2022
अदा शर्मा के ट्वीट से ठीक पहले ट्विटर पर ‘#ISIS’ और ‘द केरल स्टोरी’ ट्रेंड हो रहे थे. ऑपइंडिया, ज़ी न्यूज़, फ़िल्म कम्पैनियन, द स्टेट्समैन, आउटलुक, ई टाइम्स सहित कई न्यूज़ मीडिया आउटलेट्स ने इस पर रिपोर्ट की. कई रिपोर्ट्स में ज़िक्र किया गया है, “हाल की एक जांच के मुताबिक, 2009 से, केरल और मैंगलोर में हिंदू और ईसाई समुदायों की लगभग 32 हज़ार लड़कियों ने इस्लाम धर्म अपना लिया, उनमें से ज़्यादातर अब सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य ISIS और हक्कानी प्रभावित क्षेत्रों में हैं.”
इस टीज़र को कई वेरिफ़ाइड हैंडल ने भी ट्वीट किया है. RSS द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य ने टीज़र को इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया, “शालिनी से फातिमा बनी लड़की !! नर्स बनने वाली लड़की कैसे बन गयी ISIS की आतंकवादी !! फ़िल्म “The Kerala Story” 32 हजार महिलाओं की कहानी लेकर आ रही है जिसे जबरन मुस्लिम बनाकर ISIS का आतंकवादी बनाया गया !!” (आर्काइव लिंक)
शालिनी से फातिमा बनी लड़की !!
नर्स बनने वाली लड़की कैसे बन गयी ISIS की आतंकवादी !!
फ़िल्म “The Kerala Story” 32 हजार महिलाओं की कहानी लेकर आ रही है जिसे जबरन मुस्लिम बनाकर ISIS का आतंकवादी बनाया गया !! pic.twitter.com/hdFIqRx4NA
— Panchjanya (@epanchjanya) November 4, 2022
इस टीज़र के बारे में वनइंडिया ने रिपोर्ट पब्लिश की थी जिसे पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने ट्वीट करते हुए लिखा, “32 हज़ार लड़कियों ने इस्लाम धर्म अपनाया और ISIS की गुलामों के रूप में बेचीं गईं: ये ‘केरल स्टोरी’ है.” (आर्काइव)
32,000 girls converted to Islam and sold as ISIS slaves: This is ‘The Kerala Story’. https://t.co/8sVWjYTpUI
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) November 3, 2022
व्यवसायी अरुण पुदुर ने ये वीडियो इसी कैप्शन के साथ ट्वीट किया. (आर्काइव)
32,000 girls converted to #Islam, sold as #ISIS slaves and now in Jail or buried in sand: This is #TheKeralaStory pic.twitter.com/2Vk7G6iJtc
— Arun Pudur 🇮🇳 (@arunpudur) November 3, 2022
हमेशा की तरह सांप्रदायिक आधार पर ग़लत सूचना ट्वीट करने वाले पत्रकार तारिक फ़तह ने भी ये वीडियो इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया, “#भारत की 32,000 #हिंदू लड़कियों को #इस्लाम में परिवर्तित किया गया, #ISIS गुलामों के रूप में बेचा गया और अब वे रेत में दबी हैं या जेल में बंद हैं: ये है उनकी कहानी, #TheKeralaStory.” (आर्काइव)
32,000 #Hindu girls from #India were converted to #Islam, sold as #ISIS slaves and are now in Jail or buried in sand: This is their story, #TheKeralaStory.
Watch and weep. pic.twitter.com/MzVvdEF3Xm
— Tarek Fatah (@TarekFatah) November 3, 2022
ये टीज़र ट्वीट करते हुए लेखक और स्वतंत्र कॉलमिस्ट अंशुल पांडे ने लिखा, “केरल ISIS की कहानी जल्द आ रही है.” (आर्काइव)
THE KERALA ISIS STORY COMING SOON! pic.twitter.com/2gcUFSGKcB
— Anshul Pandey (@Anshulspiritual) November 3, 2022
कई अन्य वेरीफ़ाईड ट्विटर यूज़र्स ने ये वीडियो क्लिप शेयर करते हुए ऐसा ही दावा किया. इस लिस्ट में पिंकविला के फ़िल्म पत्रकार हिमेश मांकड़, फ़िल्म समीक्षक जोगिंदर टुटेजा, मनोरंजन पत्रकार हरिचरण पुदीपेड्डी, फ़िल्म व्यापार विश्लेषक सुमित कदेल, कम्प्लीट सिनेमा के संपादक अतुल मोहन, फ़िल्म संवाददाता राजशेखर और अभिनेता आरोह वेलंकर शामिल हैं.
32 हज़ार-दावे के समर्थन का कोई सबूत नहीं
ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब चैनल ‘द फ़ेस्टिवल ऑफ़ भारत’ पर निर्देशक सुदीप्तो सेन का एक इंटरव्यू मिला. इसमें उन्होंने बताया कि कैसे इस आंकड़े का हिसाब लगाया गया. वीडियो में 45 सेकंड के बाद उन्होंने कहा, “2010 में केरल के पूर्व सीएम ओमन चांडी ने केरल विधानसभा के सामने एक रिपोर्ट रखी. मेरे कैमरे के सामने उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कुछ हुआ था. लेकिन 2010 में मैंने एक मामला दर्ज किया जहां उन्होंने (ओमन चांडी) कहा कि हर साल लगभग 2,800 से 3,200 लड़कियां इस्लाम धर्म अपना रही हैं. बस इससे अगले 10 सालों का हिसाब लगा लें. ये संख्या लगभग 32 हज़ार है.”
हमने ये पता लगाने के लिए सुदिप्तो सेन से फ़ोन पर बात की कि क्या टीज़र में बताए गए 32 हज़ार के आंकड़े के आधार पर सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा किए गए दावों का कोई वास्तविक आधार था. उन्होंने कहा, “ये आंकड़ा (32 हज़ार) मेरा नहीं है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ये खबर थी… एक बात मैं आपको बता सकता हूं कि केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने ये आंकड़ा राज्य विधानसभा में रखा था. तो ये मेरा नंबर नहीं है. मेरे पास सारे डाक्यूमेंट्स हैं.”
उन्होंने ये भी कहा, “VS अच्युतानंदन ने साफ़ तौर पर कहा है कि केरल एक इस्लामिक राज्य बन जाएगा…”
ऑल्ट न्यूज़ को किसी भी मीडिया आउटलेट की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें कहा गया हो कि केरल की 32 हज़ार महिलाएं ISIS में शामिल हुई थीं. संख्या इतनी बड़ी है कि अगर किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान दिया होता तो निश्चित तौर पर ये सुर्खियां बटोरता.
हालांकि, हमें 2012 की इंडिया टुडे की रिपोर्ट मिली जिसमें कहा गया था, “25 जून को केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने राज्य विधानमंडल को सूचित किया कि 2006 से राज्य में 2,667 युवतियों ने इस्लाम धर्म अपना लिया है.” (मतलब 2006 से 2012 तक) महिलाओं के ISIS में शामिल होने की रिपोर्ट में कोई ज़िक्र नहीं है. रिपोर्ट में ओमन चांडी के हवाले से कहा गया है कि राज्य में जबरन धर्मांतरण के कोई सबूत नहीं हैं और ‘लव-जिहाद’ की आशंकाएं निराधार हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने भी ओमन चांडी का हवाला देते हुए इसी डेटा का ज़िक्र किया है. किसी भी रिपोर्ट में पूर्व CM द्वारा बताए किसी वार्षिक आंकड़े के बारे में बात नहीं की गई है जैसा कि सुदिप्तो सेन ने दावा किया था.
जब ऑल्ट न्यूज़ ने इंडिया टुडे की रिपोर्ट सुदीप्तो सेन के साथ शेयर की और उनसे उस ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट’ या उनके पास मौजूद अन्य सोर्स को हमारे साथ शेयर करने का अनुरोध किया तो सुदिप्तो सेन ने एक व्हाट्सऐप मेसेज पर कहा, “इनटॉलेरेंस को चरम पर पहुंचने दें. फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद मैं अपना डेटा शेयर करूंगा. मैं अपनी फ़िल्म के मकसद का नुकसान क्यों करूं?”
टीज़र में अच्युतानंदन की टिप्पणी का ग़लत इस्तेमाल
यूट्यूब इंटरव्यू में सुदिप्तो सेन ने ये भी कहा, “15-16 साल पहले, 2005 में उस वक्त के मुख्यमंत्री और CPM के संरक्षक VS अच्युतानंदन दिल्ली आए और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि ISIS के नेतृत्व में इस्लामिक चरमपंथियों द्वारा एक भयानक योजना बनाई गई है कि वे केरल को ISIS का केंद्र बनाना चाहते हैं. इसके लिए वो तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.”
सुदिप्तो सेन ने मार्च 2022 में जारी ‘द केरल स्टोरी’ के पहले टीज़र में प्रेस कॉन्फ्रेंस की एक वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया. जब हमने वामपंथी नेता द्वारा दिए गए कथित बयानों की छानबीन की तो हमें दो चीजें मिलीं –
- प्रेस कॉन्फ्रेंस असल में 24 जुलाई, 2010 को हुई थी. अच्युतानंदन ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के बारे में बात की थी और उनके बयान के कारण बहुत विवाद हुआ था.
- टीज़र में जिस वीडियो क्लिप का इस्तेमाल किया गया वो भ्रामक है क्योंकि अच्युतानंदन द्वारा बोले गए शब्द और इसमें इस्तेमाल किए गए सबटाइटल बिल्कुल अलग हैं. असली शब्दों का अनुवाद है, “15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस …हालांकि, राष्ट्रवादी और देशभक्त इस समारोह में भाग लेते हैं .. युवा प्रभावित होते हैं .. पैसे के लालच में …”, जबकि ‘द केरल स्टोरी’ प्रोमो के सबटाइटल में लिखा है, “द पॉपुलर फ्रंट प्रतिबंधित संगठन NDF के एजेंडे की तरह केरल को मुस्लिम राज्य बनाने की कोशिश कर रहा है. उनकी योजना 20 साल के भीतर केरल को मुस्लिम राज्य बनाने की है.
दरअसल, कुछ दर्शकों ने वीडियो के कमेंट सेक्शन में बताया था कि सबटाइटल और बोले गए शब्द मेल नहीं खाते. यानी, ये स्पष्ट है कि फ़िल्म निर्माता ने केरल की स्थिति को विश्वसनीयता देने के लिए ओमन चांडी और वीएस अच्युतानंदन, दोनों के बयान को गलत तरीके से उद्धृत किया है.
कई और यूज़र्स ने भी इसे पॉइंट आउट किया.
हालांकि, रिडर्स ध्यान दें कि VS अच्युतानंदन ने ‘लव जिहाद’ के बारे में बात की थी. ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने इस वामपंथी नेता के हवाले से कहा, “PFI राज्य में मुस्लिम संख्या को बढ़ाने की कोशिश कर रहा था”. अन्य धर्मों के युवाओं को प्रभावित करके और उन्हें पैसे देकर, मुस्लिम महिलाओं से शादी करके इस समुदाय के बच्चे पैदा कर रहा था. कांग्रेस ने इसे बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए वामपंथियों की योजना बताते हुए इसकी आलोचना की. दिलचस्प बात ये है कि CM के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देने वालों में ओमन चांडी (जो उस समय विपक्ष के नेता थे) भी थे. अच्युतानंदन ने बाद में राज्य विधानसभा में अपना रुख साफ़ करते हुए बताया कि PFI के खिलाफ़ उनके बयान का ‘ग़लत मतलब’ निकाला जा रहा था और इसे पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ दिखाया गया था.
2018 की फ़िल्म में भी 32 हज़ार धर्म परिवर्तन की बात थी
2018 में सुदिप्तो सेन ने ‘इन द नेम ऑफ़ लव!’ टाइटल से 52 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी. इंटरनेट मूवी डेटाबेस (IMDB) में मौजूद इस डॉक्युमेंट्री के प्लॉट में लिखा है, “हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 से केरल की 17 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों और हिंदू, ईसाई समुदायों की मैंगलोर की 15 हज़ार से ज़्यादा लड़कियों को इस्लाम में परिवर्तित किया गया है जिनमें से ज़्यादातर सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य ISIS और तालिबान प्रभावशाली क्षेत्रों में हैं.” दिलचस्प बात ये है कि 32 हज़ार (17000+15000) का आंकड़ा यहां भी दिखता है. JNU में इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग के बाद छात्रों के दो ग्रुप्स के बीच हाथापाई हो गई थी.
ऑल्ट न्यूज़ ने फ़िल्म निर्माता से फ़िल्म के सारांश में उल्लिखित ‘हालिया रिपोर्ट’ और अन्य सबूतों को हमारे साथ शेयर करने की रिक्वेस्ट की जिससे इन संख्याओं की पुष्टि हो सके. लेकिन हमें उनकी और से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. अगर वो हमारे सवाल का जवाब देते हैं, इस आर्टिकल को अपडेट कर दिया जाएगा.
अपनी फ़िल्म की स्क्रीनिंग को लेकर JNU में हंगामे के बाद सुदिप्तो सेन ने दावा किया कि उनकी फ़िल्म ‘लव जिहाद’ के बारे में नहीं थी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि फ़िल्म के कुछ क्रू मेंबर्स ने उनके दावे का खंडन किया था.
द प्रिंट को दिए एक बयान में सुदिप्तो सेन ने कहा, “सबसे पहले तो मैं साफ़ कर दूं कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंधित नहीं हूं. मैं एक कम्युनिस्ट परिवार से आता हूं और ‘लव जिहाद’ में विश्वास नहीं करता. एक ऐसी अवधारणा जिसे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे लोग भी प्रचारित करते हैं. और ठीक यही मैं अपनी फ़िल्म के जरिए दिखाना चाहता था.”
हालांकि, ऊपर बताए गए यूट्यूब इंटरव्यू में 19 मिनट 48 सेकेंड के बाद सुदिप्तो सेन ने कहा, ”अब मैं लव जिहाद के विषय पर एक फ़ीचर फ़िल्म बना रहा हूं… कैसे इन लड़कियों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. ये एक बहुत बड़ी भयावह योजना है…”
ISIS से जुड़े भारतीय मूल के लड़ाकों पर मौजूद डेटा
ऑल्ट न्यूज़ ने केरल पुलिस से संपर्क किया. हमसे बात करते हुए एक जनसंपर्क अधिकारी ने ‘द केरल स्टोरी’ के टीज़र में किए गए दावे के बारे में कहा कि केरल से 32 हज़ार महिलाओं को सीरिया ले जाने का दावा ‘पूरी तरह से निराधार’ है.
यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट्स कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज़्म 2020 के मुताबिक, नवंबर 2020 तक ISIS से संबद्ध 66 भारतीय मूल के ज्ञात लड़ाके थे. द हिंदुस्तान टाइम्स और द इंडियन एक्सप्रेस सहित कई मेनस्ट्रीम मीडिया घरानों ने इस रिपोर्ट को कवर किया और हैडलाइन में 66 नंबर का ज़िक्र किया. उसी रिपोर्ट में कहा गया है, “सितंबर के अंत तक, NIA ने 34 आतंकवाद मामलों की जांच की थी और ये संकेत दिया था कि ये ISIS से संबंधित थे और 160 लोगों को गिरफ़्तार किया था.”
द हिंदू ने जून 2021 में रिपोर्ट किया कि चार भारतीय महिलाएं अफ़ग़ानिस्तान की जेल में बंद थीं जो अपने पतियों के साथ खुरासान प्रांत (ISKP) के इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए आई थीं. और उन्हें देश लौटने की अनुमति नहीं थी.
‘द वीक’ ने रिपोर्ट किया कि सोनिया सेबेस्टियन उर्फ़ आयशा, रफीला, मेरिन जैकब उर्फ़ मरियम और निमिशा उर्फ़ फातिमा ईसा जैसी चार महिलाओं ने 2016 और 2018 के बीच अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार की यात्रा की थी.
एक प्रमुख थिंक टैंक, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन ने 2019 में ‘द इस्लामिक स्टेट इन इंडियाज़ केरल: ए प्राइमर‘ टाइटल से एक डॉक्यूमेंट पब्लिश किया. ‘व्हाई IS एंड केरल?’ टाइटल वाले पेपर में लिखा है, “2014 से 2018 तक भारत में रिपोर्ट किए गए IS समर्थक मामलों की संख्या 180 – 200 के बीच है. इस पेपर में ‘IS समर्थक मामलों’ को शेयर करने या प्रचारित करने के रूप में परिभाषित किया गया है. IS प्रचार ऑनलाइन, खलीफ़ा के अधिकार क्षेत्र में शामिल होने के मकसद से पश्चिम एशिया की यात्रा करने की कोशिश कर रहा है. और असल में खलीफ़ा के अधिकार क्षेत्र में शामिल हो रहा है या अपने लक्ष्यों के लिए काम कर रहा है. भारतीय गृह मंत्रालय में इसकी संख्या 155 दी गई है.”
लेखक मोहम्मद सिनान सियाच ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “भारत से इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट में शामिल होने वाली 32 हज़ार महिलाओं का आंकड़ा वाजिब नहीं है. पूरी दुनिया से ISIS में शामिल होने वाले लोगों की कुल संख्या 110 देशों के 40 हज़ार विदेशी लड़ाकों तक है. (सोर्स: द सौफ़न ग्रुप की रिपोर्ट ‘बियॉन्ड द कैलिफ़ेट, 2017’) सबसे ज़्यादा योगदान करने वालों में यूरोपीय संघ, रूस और सऊदी अरब थे. भारत इस लिस्ट में मुश्किल से ही शामिल है. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत से कुल 100-200 से ज़्यादा लोग ग्रुप में शामिल नहीं हुए. केरलवासी इन आंकड़ों का लगभग 20- 25% हिस्सा हैं. (सोर्स: ‘ISIS घटना: दक्षिण एशिया और परे’ – एक ORF रिपोर्ट).”
मोहम्मद सिनान सियाच ने कहा, “किसी भी सोर्स में किसी भी आंकड़े का ज़िक्र नहीं है जिसमें ये दिखाया गया हो कि 200 से ज़्यादा लोग भारत से ISIS में शामिल हुए थे. असल में ये संख्या इतनी कम है कि ज़्यादातर अकैडेमिक्स और विशेषज्ञ अक्सर ये सवाल पूछते हैं कि ‘भारतीय मुसलमानों को इस्लामिक स्टेट में शामिल होने से किसने रोका था?”
कुल मिलाकर, ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि ‘द केरल स्टोरी’ के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने बार-बार दावा किया है कि भारत या सिर्फ केरल से 32 हज़ार महिलाएं ISIS में शामिल हुई हैं. उन्होंने बिना किसी सबूत के अपनी फ़िल्म में इस बात का ज़िक्र करते हुए ये दावा किया. सार्वजनिक डोमेन में मौजूद आंकड़े बताते हैं कि ‘ISIS से जुड़े भारतीय मूल के लड़ाकों’ की संख्या उससे काफी कम है.
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