सोशल मीडिया में 2 तस्वीरों को ये कहते हुए शेयर किया जा रहा है कि उड़ीसा में एक बेटे ने अपनी मां के मृत शरीर के हाथ-पैर इसलिए तोड़े क्योंकि वो उन्हें आसानी से घर ले जा सके. दावा किया गया कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलने के कारण बेटे ने ऐसा किया. 31 मई 2020 को फ़ेसबुक पेज ‘I support Vinay dubay’ ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, “#मोदी जी ऐसे #आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं सरकारी कोई सूबीधा नेही मिलने से अपने #मां के मृतक शरीर के #हाथ पैर तोड़ कर बस्ता में घुसा के ले जा रहा है बेटा,,,यह घटना #उडीसा के बताया जा रहा है,” पोस्ट को आर्टिकल लिखे जाने तक 7,700 बार शेयर और 1,300 बार लाइक किया गया है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
#मोदी जी ऐसे #आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते हैं सरकारी कोई सूबीधा नेही मिलने से अपने #मां के मृतक शरीर के #हाथ पैर तोड़ कर बस्ता में घुसा के ले जा रहा है बेटा,,,
यह घटना #उडीसा के बताया जा रहा है,Posted by I support Vinay dubay on Saturday, 30 May 2020
एक ट्विटर यूज़र ने भी 31 मई को ये तस्वीरें ट्वीट कीं.
कुछ और यूज़र्स भी इसी दावे से तस्वीरों को फ़ेसबुक और ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने जुलाई 2019 में इन तस्वीरों की जांच की थी जिसमें हमने पाया कि ये घटना 2016 की है. 27 अगस्त 2016 के “वन इंडिया” के एक आर्टिकल में बताया गया है कि तस्वीर में दिखने वाले लोग स्वास्थ्यकर्मी हैं न कि महिला के परिवारवाले.
‘द इंडियन एक्सप्रेस’, ‘इंडिया टीवी, ‘NDTV’, ‘इंडिया टुडे’ और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने भी इस घटना को रिपोर्ट किया था. इन रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ओडिशा के बालासोर (बालेश्वर) में एक ट्रेन हादसे में इस वर्षीय बुज़ुर्ग महिला की मौत हो गई थी. उस इलाके में कोई अस्पताल नहीं था. सिर्फ़ एक स्वास्थ्यकेंद्र ही था. महिला की लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए 30 किमी दूर ले जाना था इस वजह से स्वास्थ्यकर्मियों ने महिला के पैरों को तोड़ दिया ताकि वो आसानी से लाश को बोरी में बांधकर ले जा सकें. ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस मामले की निंदा करते हुए इस पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था.
इस तरह, 4 साल पुरानी घटना की तस्वीरों को सोशल मीडिया में झूठे दावों के साथ चलाया जा रहा हैं. इन तस्वीरों को शेयर कर ये झूठा दावा किया गया कि महिला के पैरों को तोड़ने वाले उसके परिवारवाले थें जबकि हकीकत में ये लोग स्वास्थ्यकर्मी थें.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.