संयोग से ऑल्ट न्यूज़ को एक फैक्ट्री का पता चला है – झूठे बयानों की फैक्ट्री। यह मामला सबसे पहले तब सामने आया जब सोशल मीडिया पर Prakash Raj, Swara Bhasker और Farhan Akhtar के हवाले से झूठे उद्धरण सामने आए। इन तीन शख्सियतों ने उनके नाम पर फैलाए जा रहे ऐसे बयान देने की बात साफ तौर पर नकार दी थी। ऑल्ट न्यूज़ द्वारा की गई अतिरिक्‍त खोज से इस तरह के अनगिनत उद्धरण होने की बात सामने आई। झूठे उद्धरणों को अभिनेताओं, लेखकों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और यहां तक कि आम लोगों के नाम से भी फैलाया जा रहा है जिसका उद्देश्य समाज का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना है। आइए इनमें से कुछ पर नजर डालें:

डर को हवा देना:

ऐसे दावे अक्सर निम्न दावे की तरह विचित्र होते हैं। आप यह सोचने पर मजबूर हो सकते हैं कि कोई इन पर भरोसा नहीं करेगा। लेकिन एक बार फिर से सोचिए। ये भड़काऊ संदेश देश के कोने-कोने में व्‍हाट्सऐप के जरिए पहुंच रहे हैं।

“बांगलादेश, पाकिस्‍तान, कश्‍मीर, असम, केरल और भारत के अन्‍य हिस्‍से मिलाकर हम मुसलमानों ने हिन्‍दुओं से 70% जमीन छीन ली हैं। फिर भी हिन्‍दू इस भ्रम में हैं कि हम 1400 साल में उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सके। भारत लगभग इस्‍लामी देश बन चूका हैं।” – ई अबुबकर, PFI, केरल

“जब तक सभी हिन्‍दू, बौद्ध, सिख, इसाई मारे नहीं जाते तब तक हम जिहाद करते रहेंगे। आपकी सहिष्‍णुता और सेक्‍युलरिजम हमारी विचारधारा नहीं बदल सकते। कुरान के अनुसार जो मुसलमान नहीं, उसे जिंदा रहने का अधिकार नहीं।” – अब्‍दुल्‍ला जुबेर, भारत

“सरकारी जमीन पर मस्जिद बनाए। खाली जगह में लाश दफानाके वहा कब्रिस्‍तान बना दे। हिन्‍दू कॉलोनी में अतिक्रमण करे। रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर मजार और दरगाह बनाए। लैंड जिहाद से पूरी दुनिया पर मुसलमानों का कब्‍ज़ा होगा।” – फैज सैयद (वकील)

इस्लाम को बदनाम करना:

इन उद्धरणों में बार-बार दोहराई जाने वाली थीम में इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ गलत सूचनाएँ फैलाना भी शामिल है।

“मेरे पति कमाल अमरोही ने मुझे तलाक दे दिया। दुबारा शादी के लिए अमान उल्‍लाह खान (जीनत अमान के पिता) से मेरा हलाला करवाया। ये इस्‍लाम कैसा धर्म है जिस में पति पराये मर्द से खुद के बीबी का बलात्‍कार करवाते हैं ?” – मीना कुमारी (महज़बीन बानो)

“मुसलमानों में मर्दानगी हैं इसीलिए हम 10 बच्‍चे पैदा करते हैं। अगर जनसंख्‍या विस्‍फोट से बेरोजगारी, झुग्‍गी बस्तिया, पानी की किल्‍लत, आतंकवाद बढ़ रहा हैं तो ये भारत सरकार की समस्‍या हैं, मुसलमानों की नहीं।” – असादुद्दीन ओवैसी

मुस्लिम हस्तियों को निशाना बनाना

मुसलमानों के साथ-साथ उदारवादी सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाना भी इन उद्धरणों की एक और थीम है। इसका उद्देश्य उन्हें गलत तरह से पेश करना और उनके खिलाफ सार्वजनिक राय तैयार करना है।

“सत्‍यमेव जयते में मैंने हिन्‍दू धर्म की दहेज़, जातिवाद आदि प्रथाए उजागर की। लेकिन इस्‍लाम धर्म की चार बीबीयां, 10-12 बच्‍चे पैदा करना, मदरसों में बच्‍चो को आतंकवादी बनाना जैसी प्रथाए उजागर करके मैं मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहता ।” – आमिर खान

हमने अरुंधति रॉय के हवाले से झूठे उद्धरण पेश करके उनकी विश्वसनीयता खत्म करने के इसी तरह के प्रयास देखे हैं। इसमें हैरानी की बात यह है कि इस तरह के स्वाभाविक झूठे उद्धरणों को नियमित रूप से सच मानने वाले लोगों की संख्या काफी है।

ऊपर सोशल मीडिया पर फैलाई गई ऐसी असंख्य उग्र पोस्टों का छोटा-सा नमूना दिया गया है। ऐसे उग्र संदेश थोक भाव से बनाए जा रहे हैं और हिंदी का प्रयोग उन्हें एक व्यापक पाठक वर्ग प्रदान करता है।

हमने इन उद्धरणों में पैटर्न ढूंढा है:

  1. इन उद्धरण की प्रकृति सांप्रदायिक है और इनका बेहद स्पष्ट एजेंडा हिंदुओं और मुसलमानों का ध्रुवीकरण करना है।
  2. ये मुसलमानों की गलत छवि पेश करते हैं और इस नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं कि हिंदू खतरे में है।
  3. हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता लेकिन ये संदेश अक्सर उदारवादी हस्तियों के खिलाफ सार्वजनिक राय तैयार करने पर फोकस करते हैं।
  4. वे कोई मौजूदा मुद्दा उठाते हैं जैसे रोहिंग्या शरणार्थी या इंस्टैंट ट्रिपल तलाक और परस्‍पर अविश्वास को हवा देने तथा दूसरे समुदाय का डर बैठाने के लिए इस मुद्दे पर आपकी राय एक दिशा में मोड़ने की कोशिश करते हैं। इनके साथ अक्सर यह सवाल पूछा जाता है: ‘’इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है?’’
  5. ये संदेश सरासर झूठे होते हैं. इन्हें जिन लोगों के हवाले से कहा गया बताया जाता है, सच्चाई में उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया होता है।

ऐसे संदेश कोई हाल की परिघटना नहीं है और उनमें से कुछ तो 2014 से फैलाए जा रहे हैं। हम इनके मूल स्रोत तक पहुंचने में सफल नहीं हुए लेकिन एक जैसे रंग और एक आकार के फॉन्‍ट का इस्तेमाल, इशारा करता है कि सोशल मीडिया पर काफी तालमेल से चलाए जा रहे इस हमले के पीछे व्यक्ति या व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह है। स्वरा भास्कर और फरहान अख्तर के झूठे उदाहरणों में आदतन झूठी खबरें फैलाने वाली वेबसाइट शंखनाद और पोस्टकार्ड न्यूज़ का लोगो लगा है लेकिन हम नहीं जानते कि क्या उनका हाथ उन झूठी खबरों को फैलाने में भी है जिन पर उनका लोगो नहीं लगा है।

साफ तौर पर ये झूठे उद्धरण बहुसंख्यक समुदाय के भीतर खुद के पीड़ित होने की भावना भरने के लिए तैयार किए जा रहे हैं। ये संदेश डर की उस भावना का फायदा उठाते हैं जिसका मकसद दो समुदायों के बीच एक विभाजन पैदा करना और इसे बनाए रखना होता है। वे सोशल मीडिया के सबसे भोले-भाले यूजर्स को लक्षित करते हैं जो अपने पूर्वाग्रहों की पुष्टि करने वाली सामग्री ढूंढ रहे होते हैं। इन उद्धरणों के पीछे की दुर्भावनाग्रस्त मंशा के प्रति व्यापक जागरूकता फैलाने की जरूरत है। इन झूठे उद्धरणों की फैक्ट्री चलाने वाले षडयंत्रकारियों की पहचान की जानी चाहिए और इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस तरह की सामग्री शेयर करने वाले लोगों के झूठ को सामने लाने के लिए सोशल मीडिया के यूजर्स को एकजुट होने की जरूरत है। यह समय है कि इस तरह के धूर्त तत्वों से सोशल मीडिया के स्पेस को वापस हासिल किया जाए। गंदगी फैलाने की फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।

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