4.46 मिनट की एक ऑडियो क्लिप व्हाट्सएप जैसे मेसेजिंग ऐप्स पर वायरल हो रही है. इसमें एक व्यक्ति को कारपोरेट संचालित, बिना रीढ़ के मीडिया में मुस्लिम समुदाय के कम प्रतिनिधित्व के बारे में बात करते सुना जा सकता है. क्लिप में व्यक्ति मुस्लिम समुदाय की आलोचना स्वतन्त्र मीडिया विकसित न करने के लिए करता है जिसकी मदद से वो अपनी आवाज़ उठा सके. फिर वह सुझाव देता है कि मुस्लिम समुदाय को अब मामला अपने हाथ में लेना चाहिए और अपनी समस्याओं का हल तकनीक के ज़रिए ख़ुद खोजना चाहिए. फ़ेसबुक यूज़र इब्न आदम ने यह ऑडियो क्लिप पत्रकार रवीश कुमार का बताते हुए पोस्ट किया है.
पत्रकार रविश कुमार जी ने हमारी क़ौम को झंझोडने वाली बात कहीं।। इस पर अमल करना ज़रूरी हैं। इसलिए ज़रूर सुने।।👍🙏👏
Posted by Ibn Aadam on Tuesday, 26 May 2020
फ़ैक्ट-चेक
ऑडियो में कही एक लाइन लेकर गूगल सर्च किया तो हमें 2017 मोहम्मद ज़ुबैर ख़ान की फ़ेसबुक पोस्ट मिली. इस पोस्ट पर लिखा टेक्स्ट वायरल ऑडियो क्लिप के टेक्स्ट से मैच करता है. ज़ुबैर ख़ान की पोस्ट में लिखा है, ” देख रहा हूं, पढ़ रहा हूं कि कुछ लोग मीडिया को दलाल कह रहे हैं, और दलाल मीडिया मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। यक़ीनन ये सब मुसलमान कह रहे हैं। बेशक़ मीडिया में बेशूमार कमियां हैं, इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता!!!” वहीं वायरल ऑडियो क्लिप में व्यक्ति को कहते सुना जा सकता है, “मैं देख रहा हूं और पढ़ भी रहा हूं कि कुछ लोग मीडिया को दलाल कह रहे हैं. कुछ मीडिया मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं. यक़ीनन ये सब मुसलमान ही ज्यादातर कह रहे हैं और बेशक़ मीडिया में बेशूमार हमारे यहाँ की कमियां भी हैं, इस बात से भी कोई इनकार नहीं किया जा सकता है”.
#दलाल_मीडिया और #मुसलमान
मैं देख रहा हूं, पढ़ रहा हूं कि कुछ लोग मीडिया को दलाल कह रहे हैं, और दलाल मीडिया मुर्दाबाद के…
Posted by Mohd Zuber Khan on Tuesday, 14 April 2020
हमने वायरल ऑडियो क्लिप के बारे में जानकारी लेने के लिए ज़ुबैर ख़ान से संपर्क किया. ऑल्ट न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने बताया, “मैंने यह पोस्ट 2017 में लिखी थी, मैं ख़ुद एक पत्रकार हूँ और एक न्यूज़ चैनल के साथ जुड़ा हुआ हूँ. मैंने जामिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है. मुझे बहुत बुरा लगा जब एक दोस्त ने कॉल करके पूछा कि मैंने ये कॉन्टेंट कॉपी-पेस्ट तो नहीं किया है? मैंने जब इसे सबसे पहले (20117 में) लिखा था तब यह पोस्ट फ़ेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल हो गई थी.” उन्होंने आगे बताया कि वही कॉन्टेंट कुछ बदलाव के साथ अप्रैल 2020 में लिखा था. नीचे दी गई फ़ेसबुक पोस्ट अप्रैल 2020 की है.
#दलाल_मीडिया और #मुसलमान
मैं देख रहा हूं, पढ़ रहा हूं कि कुछ लोग मीडिया को दलाल कह रहे हैं, और दलाल मीडिया मुर्दाबाद के…
Posted by Mohd Zuber Khan on Wednesday, 23 August 2017
27 मई को उन्होंने फ़ेसबुक पर यह स्पष्ट किया कि ये मूल रूप से उनकी पोस्ट थी जिसे रवीश कुमार का मुस्लिम समुदाय को मेसेज बताकर वायरल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वे वायरल क्लिप सुन चुके हैं और यह रवीश कुमार की आवाज़ नहीं है. ख़ान ने कहा, “एक तरफ़ आप कॉन्टेंट की चोरी करते हैं फिर एक सम्मानित और ज़िम्मेदार पत्रकार का अपमान करने की मुहिम शुरू करते हैं.”
इसके अलावा ऑल्ट न्यूज़ ने पत्रकार रवीश कुमार से भी बातकर उनके नाम पर वायरल हो रही ऑडियो क्लिप के बारे में पूछा. उन्होंने ऐसी किसी क्लिप की रिकॉर्डिंग से पूरी तरह इनकार करते हुए अपनी आवाज़ की रिकॉर्डिंग भेजी. नीचे दी गई ऑडियो क्लिप में आप रवीश कुमार को वायरल क्लिप की शुरुआती लाइनें बोलते सुन सकते हैं. दोनों आवाज़ों में अंतर स्पष्ट है.
यानी पत्रकार ज़ुबैर ख़ान द्वारा 2017 में लिखी गई फ़ेसबुक पोस्ट पर आधारित ऑडियो क्लिप रवीश कुमार के नाम से वायरल की जा रही है. क्लिप को रवीश कुमार का मुस्लिम समुदाय को मेसेज कहकर शेयर किया जा रहा है.
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