पुलिस द्वारा कुछ लोगों को बेरहमी से मारने का वीडियो इस दावे से सोशल मीडिया में वायरल है कि उत्तर प्रदेश पुलिस सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाने वाले पत्थरबाजों की पिटाई कर रही है. अक्षस RSS की ट्वीट के अनुसार, “UP Police प्रस्तुत शॉर्ट फिल्म अंजाम ऐ पत्थरबाजीदेश की संपत्ति को नुकसान पहुचाने वालो के साथ यही होना चाहिये।”
UP Police प्रस्तुत शॉर्ट फिल्म अंजाम ऐ पत्थरबाजी
देश की संपत्ति को नुकसान पहुचाने वालो के साथ यही होना चाहिये pic.twitter.com/6nrAtv7Oiz— Akash RSS (@Satynistha) January 2, 2020
आकाश RSS का नाम ‘आकाश सोनी’ है. 2017 की एक रिपोर्ट में, ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी जांच में पाया कि लोकप्रिय फ़र्ज़ी समाचार चैनल ‘कवरेज टाइम्स ‘के पीछे का चेहरा आकाश सोनी ही हैं. जून 2018 में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि प्रोपोगंडा और फ़र्ज़ी जानकारियां साझा करने वाले फेसबुक पेज ‘BJP All India’ के पीछे के एकमात्र व्यक्ति वह ही थे. सोनी को व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिये पत्रकार रविश कुमार को परेशान करने के पीछे भी पाया गया है.
2 जनवरी को, एक संतोष भारद्वाज नामक उपयोगकर्ता ने भी इस वीडियो को समान दावे से ट्वीट किया था.
जो लोग यह बोल रहे थे कि यह तो अभी शुरुआत है पत्थरबाजी कि, ये उनके लिए स्पेशल अंजाम ए पत्थरबाजी 😂😂👇👇 pic.twitter.com/SpJZtt8Gm6
— Santosh Bhardwaj (@SKBhardwaj_) January 2, 2020
हार्दिक शांडिल्य ने भी समान दावे से वीडियो को ट्विटर पर पोस्ट किया है -“2020 की यूपी पुलिस की प्रस्तुति एक शॉर्ट फिल्म जिसका टाइटल है :- “अंजाम-ऐ-पत्थरबाज़ी एवं तोड़फोड़.” आश्चर्य से, वीडियो के साथ शेयर किये जा रहे सभी सन्देशों में एक ही मुहावरा इस्तेमाल किया गया है -“अंजाम-ऐ-पत्थरबाज़ी”
2020 की यूपी पुलिस की प्रस्तुति एक शॉर्ट फिल्म
जिसका टाइटल है :- अंजाम-ऐ-पत्थरबाज़ी एवं तोड़फोड़#नए_वर्ष_नया_अंदाज़#यूपी_पुलिस_जिंदाबाद pic.twitter.com/I9qW9C6WXU— 🚩हार्दिक सिंह🚩 (@hardikshandilya) January 1, 2020
2015 का मध्यप्रदेश का वीडियो
यूट्यूब पर की-वर्ड्स से सर्च करने पर, ऑल्ट न्यूज़ को 29 मई, 2015 को साझा की गई ABP News की एक रिपोर्ट मिली. वीडियो का शीर्षक है, “इंदौर पुलिस ने अपराधियों की सार्वजनिक रूप से पिटाई की.”
रिपोर्ट के मुताबिक, शहर में बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए मध्यप्रदेश की इंदौर पुलिस ने तालिबान का रुख अपनाया था. पुलिस ने इंदौर के लगभग 15 पुलिस स्टेशन के अपराधियों को एक जुलुस के रूप में बाहर निकाला था. अपराधियों और संदिग्धों, दोनों की पुलिस सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस इन लोगों के डर को आम जनता के मन से दूर करने के लिए उन्हीं के इलाके में उनकी पिटाई कर रही थी.
यूपी पुलिस के तथ्य जांच टीम ने भी ट्विटर पर यह स्पष्ट किया कि यह वीडियो उनके राज्य का नहीं है.
वीडियो में दिखायी जा रही घटना @UPPolice से संबंधित नहीं है कृपया भ्रामक प्रचार न करें!#UPPAgainstFakenewshttps://t.co/WDp95grvnX https://t.co/d60Mlj0vL0
— UPPOLICE FACT CHECK (@UPPViralCheck) January 17, 2020
इस तरह मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा एक व्यक्ति की सार्वजनिक तौर पर पिटाई करने का चार साल पुराना वीडियो, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पत्थरबाज़ी करने वाले लोगों की सरेआम पिटाई करने के दावे से शेयर किया गया.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.