कुछ दिन पहले, इंडिया टुडे ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में 5 जनवरी की हिंसा, जिसमें 36 लोग घायल हुए थे, की पड़ताल करते हुए स्टिंग ऑपरेशनों की एक श्रृंखला प्रसारित की थी। इस प्रसारण के एंकर पत्रकार राहुल कंवल थे।

12 जनवरी से, कंवल की 20-सेकंड की एक क्लिप सोशल मीडिया में इस दावे के साथ प्रसारित हो रही है कि उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ का नारा लगाने को राष्ट्र-विरोधी कहा है। मुंबई से भाजपा प्रवक्ता सुरेश नाखुआ ने वीडियो को इस सन्देश के साथ पोस्ट किया – “तो, @IndiaToday के @rahulkanwal का कहना है “वंदे मातरम के नारे लगाना राष्ट्र विरोधी है”। अब देखते हैं कि राहुल इसे कैसे घुमाते हैं” (अनुवाद)। इस लेख के लिखे जाने तक नाखुआ के ट्वीट को 4,500 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चूका है।

दिलचस्प बात यह है कि नाखुआ ने फरवरी 2016 में भी ऐसे ही एक दावे के साथ यह क्लिप ट्वीट के ज़रिये साझा की थी। उस समय, उस ट्वीट को करीब 120 बार रिट्वीट किया गया था।

जम्मू-कश्मीर भाजपा की युवा शाखा BJYM के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रोहित चहल ने यही वीडियो इस सन्देश के साथ पोस्ट किया – “@rahulkanwal के अनुसार वंदे मातरम गाना राष्ट्र विरोधी गतिविधि है! #RahulKanwalExposed” (अनुवाद)।

आंध्र भाजपा के सोशल मीडिया और आईटी सेल के सदस्य सौरभ खमार, जिनकी प्रोफ़ाइल तस्वीर में वह पीएम मोदी के साथ दिखाई दे रहे हैं, एक स्टेडियम की भीड़ द्वारा वन्दे मातरम का नारा लगाते हुए वीडियो को ट्वीट किया और कंवल की चुटकी ली। उनके ट्वीट के मुताबिक, “@rahulkanwal ??? क्या हम इन 30 हज़ार लोगों पर देश विरोधी होने का आरोप पत्र दाखिल कर सकते हैं?” (अनुवाद)।

क्लिप्ड वीडियो, भ्रामक दावा

राहुल कंवल ने एक ट्वीट के ज़रिये वायरल दावे का जवाब दिया है। पत्रकार ने जवाब देते हुए लिखा, “जो हुआ वह इस प्रकार है। @indiatoday SIT ने वकीलों को बेनकाब किया, जिन्होंने कैमरे के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने कन्हैया को अदालत में पीटा, जबकि पुलिस देखती रही। कन्हैया पर हमला करने वाले वकीलों ने वंदे मातरम के नारे लगाए। किसी पर हमला करना और वंदे मातरम के नारे लगाना राष्ट्र-विरोधी है। तब कहा, अब भी कहूंगा। जय हिंद।” (अनुवाद)

इंडिया टुडे के यूट्यूब चैनल पर सम्बंधित कीवर्ड से सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वायरल वीडियो 17 फरवरी, 2016 के प्रसारण का हिस्सा है। इसके विवरण में लिखा है, “पटियाला कोर्ट के बाहर जैसे ही JNUSU अध्यक्ष को लाया गया, अनियंत्रित वकीलों के समूह ने कन्हैया कुमार पर हमला करते हुए फिर से गुंडागर्दी का प्रदर्शन किया।” (अनुवाद)

कंवल एक चर्चा का संचालन कर रहे थे, जिसमें अधिवक्ता राजीव यादव भी एक अतिथि के रूप में वहाँ पर मौजूद थे। 2016 में, जब शीर्ष अदालत में JNU राजद्रोह मामले की सुनवाई चल रही थी, तब यादव ने अदालत में ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाया था और पीठ ने उन्हें इसके लिए फटकार लगाई थी। सुरक्षा अधिकारियों द्वारा यादव को बाहर कर दिया गया और उन्हें अपने कृत्यों के लिए बिना शर्त माफीनामा उच्चतम न्यायालय में दाखिल करना पड़ा था।

इंडिया टुडे की बहस के दौरान यादव ने अपने नारे का बचाव किया था। उनका मानना ​​था कि JNUSU के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का बचाव करने वाले वकील “देशद्रोह” का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस पर कंवल ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, “लेकिन इसके लिए न्यायाधीश हैं। एक न्यायाधीश तय करेंगे कि कौन सा मुद्दा सही है, कौन से वकील गलत हैं। आप अदालत में बहस कर रहे हैं। आप अदालत में प्रशांत भूषण से बहस करते हैं। आप इस तरह से नारे क्यों लगा रहे हैं? आप देश-विरोधी गतिविधि क्यों कर रहे हैं? आप कानूनी-विरोधी गतिविधि क्यों कर रहे हैं? मैं आरोप लगाता हूं कि आपने जो किया वह राष्ट्र-विरोधी है। आपने वंदे मातरम के नारे लगाए, वह भी एक देश-विरोधी गतिविधि है।” (अनुवाद)

यादव का यह तर्क — कि वंदे मातरम के नारे लगाना राष्ट्र-विरोधी नहीं है — पर कंवल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अदालत के अंदर [नारे लगाना], सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को खराब करना है। यह पूरी तरह से गलत है। इससे देश की गरिमा को ठेस पहुंचती है। आपका कृत्य गलत है।” (अनुवाद)

राहुल कंवल को ‘वंदे मातरम’ नारे का विरोधी चित्रित करने के लिए, इस पूरी चर्चा में से बिना किसी सन्दर्भ के 20-सेकंड की एक (क्लिप) ले ली गई, जबकि वास्तव में वह सुझाव दे रहे थे कि अदालत के अंदर नारेबाज़ी अस्वीकार्य है।

झूठे दावे को हवा देते दक्षिणपंथी अकाउंट

स्वराज्य की कॉलमनिस्‍ट शेफाली वैद्य और शिवसेना के पूर्व सदस्य रमेश सोलंकी ने भी यह क्लिप इस झूठे दावे के साथ ट्वीट की। उनके ट्वीट के संयुक्त रूप से लगभग 3,600 रिट्वीट हुए हैं।

IAS अधिकारी संजय दीक्षित ने भी यह समान वीडियो क्लिप उद्धृत करते हुए ट्वीट किया और अपनी राय कुछ इस प्रकार रखी- “राहुल उवाच: @rahulkanwal ने घमंड के साथ वंदे मातरम को राष्ट्र-विरोधी घोषित किया। खिलाफत 1.0 में, मुस्लिम नेतृत्व ने भी इसे राष्ट्रीय माना था, लेकिन 100 साल बाद भी, ‘सिकुलर’ मीडिया इसे राष्ट्र-विरोधी मानती है। खिलाफत 2.0 का नेतृत्व ऐसे ही घृणित नमूने कर रहे हैं!” (अनुवाद)।

फेसबुक और ट्विटर पर कई अन्य लोगों ने यह क्लिप्ड वीडियो प्रसारित किया है।

यह दोहराया जा सकता है कि पत्रकार राहुल कंवल ने ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाने को राष्ट्र-विरोधी नहीं कहा, बल्कि कानून की अदालत में नारेबाज़ी करने को राष्ट्र-विरोधी और कानून-विरोधी बताया था।

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.