हरियाणा के पिपली में कई महीनों से किसान सरकार के लाये गये 3 अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि 20 सितम्बर को राज्यसभा में विपक्ष की ओर से किये गये तगड़े विरोध के बावजूद केंद्र ने बिल पास कर दिया. पिपली में 10 सितम्बर को विरोध प्रदर्शन में किसानों पर लाठी चार्ज हुआ और पुलिसवालों पर पथराव भी किया गया. इसमें दोनों पक्ष के लोगों को चोटें आयीं. इस हंगामे के बाद सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी तस्वीरों की बाढ़ आ गयी.
छत्तीसगढ़ के कसडोल से कांग्रेस विधायक शकुन्तला साहू ने एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ..! मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ..! #kishanVirodhiNarendraModi.” इस ट्वीट पर करीब 2,000 लाइक्स आ चुके हैं. (आर्काइव लिंक)
मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ..!
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ..!#kishanVirodhiNarendraModi pic.twitter.com/L33Wrb4nee— Shakuntala Sahu MLA (@shakuntalasahu0) September 20, 2020
इसे छत्तीसगढ़ यूथ कांग्रेस के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल ने भी शेयर किया. शेयर करते वक़्त उन्होंने लिखा – “जिस-जिस ने अपने अधिकार की आवाज उठाई मोदी जी आपने सभी पर लाठियां बरसाई है… ” (आर्काइव लिंक)
जिस जिस ने अपने अधिकार की आवाज उठाई मोदी जी आपने सभी पर लाठियां बरसाई है… #kishanVirodhiNarendraModi pic.twitter.com/9p9RRiFZqX
— Chhattisgarh Youth Congress (@IYCChhattisgarh) September 20, 2020
अन्य ट्विटर यूज़र्स @jayman_sharma और @sandypal123 ने भी इस तस्वीर को ऐसे ही कैप्शंस के साथ शेयर किया.
ये तस्वीर ट्विटर के साथ-साथ फ़ेसबुक पर भी वायरल हो रही है. फ़ेसबुक यूज़र अर्शद अंसारी ने विधायक शकुंतला साहू वाले कैप्शन के साथ ये तस्वीर शेयर की जिसे 200 से ज़्यादा बार लाइक किया जा चुका है.
मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ.
#kishanvirodhinarendramodiPosted by Arshad Ansari on Saturday, September 19, 2020
एक फ़ेसबुक ग्रुप ‘जन जन की आवाज़ (राजधनवार)‘ में भी ये तस्वीर ठीक इसी कैप्शन के साथ पोस्ट की गई.
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का ऑल्ट न्यूज़ ने 2018 में भी फ़ैक्ट चेक किया था. उस वक्त अक्टूबर में हुए किसानों के प्रदर्शन का बताकर इसे शेयर किया गया था. अक्टूबर में ही भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में हो रहे विरोध के समय प्रदर्शनकारियों को दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोका गया था.
2013 की तस्वीर
इस तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर कई पुराने आर्टिकल्स मिलते हैं जिनसे साफ़ होता है कि ये हाल की नहीं है. ये 2013 में उत्तर प्रदेश के मेरठ में खींची गयी थी. द पायनियर की 30 सितम्बर, 2013 की एक रिपोर्ट में इस तस्वीर को लगाया गया है. यही तस्वीर ठीक उसी दिन द इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी रिपोर्ट में पब्लिश की थी. इसमें इस तस्वीर का क्रेडिट पीटीआई को दिया गया है. द हिन्दू ने भी ये तस्वीर उसी दिन पब्लिश की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के आरोपी भाजपा विधायक संगीत सोम पर NSA लगाए जाने के बाद उनके भाई ने खेड़ा गांव में महापंचायत बुलाने का फ़ैसला किया था. पुलिस ने साम्प्रदायिक भावनाओं को काबू करने के उद्देश्य से महापंचायत बैन कर दी और इलाके में धारा 144 लगा दी. ग्रामीणों ने धारा 144 का उल्लंघन शुरू कर दिया. ये तस्वीर इसी मौके की है जहां पुलिस भीड़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी.
यानी, जिस तस्वीर को हाल में हुई किसानों के प्रदर्शन का बताकर शेयर किया गया, वो मेरठ के खेड़ा गांव की है. इसे 2018 में भी किसानों के प्रदर्शन का बताकर शेयर किया जा चुका है.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.