“कृपया। तुमच्याकडे जेवढे ग्रुप आणि कॉन्टॅक्ट नंबर असेल त्यांना हि बातमी पटकन पाठवा लगेच ताबडतोब. आत्ताच अक्कलकोट मध्ये लहान मुलांना घेऊन जाणारे चोर पकडले आहे, मिरजगी ता.अक्कलकोट. लहान मुलांना पळविणे व किडणी, लिव्हर, हार्ट कडून मारून टाकने यांची टोळी 3000 हुन जास्त आहे तरी आपल्या मुलांन वर लक्ष ठेवा नवीन मानुस दिसला की लगेच पोलिसांना कळवा. लहान पोर उचलणारे सोलापुरात दाखल झाले आहेत। ”
(अनुरोध! अपने सभी संपर्कों और समूहों को इसे तुरंत फॉरवर्ड करें। अभी-अभी, मीरजगाँव, अक्कलकोट जिले में, उन्होंने ऐसे चोर लोगों को पकड़ा है, जिन्होंने छोटे बच्चों का अपहरण किया था। बच्चों का अपहरण कर लेते हैं और फिर उनकी किडनी, लीवर, दिल निकालकर उन्हें मार देते हैं – इस गिरोह के 3000 से ज्यादा सदस्य हैं। इसलिए, अपने बच्चों पर नजर रखें और यदि आप किसी नए व्यक्ति को देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। छोटे बच्चों का अपहरण करने वाले सोलापुर में आ गए हैं- अनुवादित)”

उपरोक्त संदेश को व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा जा रहा है, जिसमें लोगों से महाराष्ट्र के मिरजगांव, अक्कलकोट और सोलापुर जिले में अपने बच्चों को अपहरणकर्ताओं से बचाने का आग्रह किया गया है। यह समान संदेश को कुछ उपयोगकर्ताओं द्वारा फेसबुक पर भी साझा किया गया है।

बच्चा चोरी की गलत अफवाहों में तेजी

पिछले कुछ दिनों में देश भर में बच्चा अपहरण गिरोह के सक्रिय होने की अफवाहें कहर बरसा रही हैं और जिसके परिणामस्वरूप भीड़ द्वारा हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं। इस भय के कारण हाल ही में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में हत्याएं हुईं। अफवाहें फैलाने और डर की मनोविकृति पैदा करने के लिए पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इनमें से अधिकांश या सभी मामलों में, भय और संदेह पैदा करने के लिए तस्वीरों के एक ही सेट को प्रसारित किया गया है।

तस्वीरों के इस सेट का इस्तेमाल इस अफवाह को फैलाने के लिए किया गया था कि बिहार, झारखंड और ओडिशा के अपहरणकर्ता, बच्चों का अपहरण उनके अंगों को निकालने के लिए कर रहे हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने इन वायरल तस्वीरों को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया था, हालांकि कुछ तस्वीरों के स्त्रोत का पता नहीं चल सका, मगर हमने पाया कि उनमें से एक तस्वीर 2017 की एक घटना से असंबधित थी। इस तस्वीर में गिरफ्तार किये गए पांच लोगों को दिखाया गया है। कुछ संदेशों में दावा किया गया कि वे तमिलनाडु के बच्चा चोर हैं, जबकि एक अन्य व्यक्ति ने दावा किया कि वे कर्नाटक के हैं। द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट ने यह बताते हुए कि बेंगलुरु पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से स्पष्ट किया है कि ये तस्वीरें नकली हैं, और उन्होंने इन अफवाहों को खारिज किया था ।

पाकिस्तान का वीडियो, महाराष्ट्र में बच्चा चोरी के दावे से साझा

एक अन्य वीडियो जो पहले तमिलनाडु में बच्चों को अगवा करने की घटना से संबंधित बताया गया था, इसे अब एक मराठी कैप्शन के साथ साझा किया जा रहा है, और अन्य लोगों से यह संदेश फैलाने का आग्रह किया जा रहा है कि बच्चे खतरे में हैं।

इस वीडियो की उत्पत्ति स्थापित करने के लिए, ऑल्ट न्यूज़ ने इनविड टूल की मदद से इस वीडियो को कई की-फ्रेमों में तोड़ा और गूगल के माध्यम से उसे रिवर्स सर्च किया। इस तथ्य-जांच का एक वीडियो को नीचे देखा जा सकता है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह 2016 का एक पुराना वीडियो है जिसे रोशनी हेल्पलाइन नामक एक संस्था द्वारा जागरूकता के उद्देश्य से बनाया गया है। वीडियो इस संदेश के साथ समाप्त होता है : “हर साल, कराची, पाकिस्तान में 3000 से अधिक बच्चे लापता हो जाते हैं। अपने बच्चे पर नज़र रखें।” कराची में बड़े पैमाने पर बच्चे के अपहरण के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए अपहरण का मंचन किया गया था। मूल वीडियो नीचे पोस्ट किया गया है।

बच्चे पर नज़र रखने और अपहरण करने की व्हाट्सएप्प अफवाह के साथ यह सिलसिला, मई 2017 में शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप झारखंड में सात लोगों की मौत हो गई। 2018 में भी ये अफवाहे प्रसारित है। हाल ही में, मध्यप्रदेश के रायसेन में मानसिक रूप से बीमार एक व्यक्ति को, लोगों ने बंदी बनाकर उसपर बच्चा चोरी का झूठा आरोप लगाया था। ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में एक नशे में धुत महिला के वीडियो की पड़ताल की है, जिस पर बच्चे के अपहरण का झूठा आरोप लगाया गया।

ऐसा ही अफवाहों को अब देखा गया है, जिसमें अलग-अलग तस्वीरों को एक साथ व्यापक रूप से प्रसारित करके बच्चा अपहरण गिरोह के सक्रिय होने की अफवाहों को बढ़ाया गया है जिसके परिणामस्वरूप भय की एक मनोविकृति पैदा हो रही है। पाठकों से निवेदन है कि अगर उन्हें ऐसे संदेश मिलते हैं तो सावधानी बरतें और आगे फॉरवर्ड करने से बचें।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.