पेड़ से लटकते पुजारी के शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. सुदर्शन न्यूज़ से जुड़े गौरव मिश्रा ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “मेरठ के बाद अब सुल्तानपुर में इस पुजारी की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि ये मंदिर परिसर में सावन मास की पूजा घंटा संख बजाकर पूरे विधि विधान के साथ कर रहे थे शांतिदूतों को अच्छा नही लगा?” (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

[ट्वीट में दिख रही तस्वीर विचलित कर सकती है इसलिए हम इसे एम्बेड नहीं कर रहे हैं और स्क्रीनशॉट को ब्लर करके लगा रहे हैं.]

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दीक्षा पाण्डेय नाम की एक यूज़र ने ये तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया है, “यूपी के कोइरीपुर सुल्तानपुर में मंदिर के पुजारी “सत्येंद्र आनंद सरस्वती” का शव पेड़ पर लटका मिला, एक दिन पहिले ही पुजारी की पड़ोस के “शान्तिदूतो” से सावन के पूजा को लेकर बहस की थी, पर इस ब्राम्हण पुजारी की आवाज उठाने कोई नही आएगा क्योंकि ये कोई टोपी वाला नही बल्कि भगवाधारी है.”

ट्वीट को 4 हज़ार से भी ज़्यादा रीट्वीट मिले हैं.

ये तस्वीर फ़ेसबुक पर भी इसी दावे से शेयर की जा रही है. यूपी कॉंग्रेस के हैंडल ने भी तस्वीर को ट्वीट किया है और हत्या की आशंका जताते हुए ‘जंगलराज’ लिखा है.

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सुदर्शन न्यूज़ ने 23 जुलाई को घटनास्थल का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था, “UP में एक और साधु की पेड़ से लटकती लाश मिली.” इस ट्वीट में सुल्तानपुर पुलिस को टैग करते हुए ये भी लिखा गया है, “जबकि @PROCell19 बता रही आत्महत्या.”

फ़ैक्ट-चेक

सुल्तानपुर पुलिस ने 23 जुलाई को सुदर्शन न्यूज़ के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए ये जानकारी दी – “सतेन्द्रा नन्द सरस्वती जी महाराज उम्र-25वर्ष लगभग ने पेड़ की डाल में अंगौछा से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस द्वारा पंचायतनामा की कार्यवाही कर शव को पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया है.”

हमने सुल्तानपुर के एडिशनल एसपी शिव राज से बात की. उन्होंने हमें बताया, “इस मामले की जांच अभी चल रही है. गांव वालों से पूछताछ वगैरह में पता चला है कि सरस्वती जी महाराज की किसी से कोई आपसी दुश्मनी नहीं थी. और हाल में किसी से भी कोई विवाद की बात भी अभी तक सामने नहीं आयी है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी है मौत का कारण हैंगिंग आया है. वो यहाँ अकेले रहते थे और कभी-कभार गांजा पीते थे. उनके घर वाले भी आये थे, उन लोगों ने भी किसी पर आरोप नहीं लगाया है. कुछ मीडिया ऐसा लिख रहे हैं कि एक और बाबा की हत्या हो गयी, ये पूरी तरह गलत है. हत्या का नहीं सुसाइड का मामला है. लेकिन ये वजह से की गयी ये अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है.”

इस तरह हमने देखा कि इस तस्वीर को शेयर करते हुए मामले को सांप्रदायिक ऐंगल देने की कोशिश की गयी. दो तरह के दावे किए गए पहला कि पुजारी की हत्या हुई है और दूसरा कि ‘शांतिदूतों’ से सावन की पूजा को लेकर बहस हुई थी. ‘शांतिदूत’ मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है. पुलिस ने इन दोनों दावों को खारिज किया है. साथ ही ये स्पष्ट किया है कि ये हत्या नहीं बल्कि सुसाइड का केस है.

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