न्यूज़ नेशन के पत्रकार दीपक चौरसिया ने 17 अगस्त को एक ट्वीट कर कहा कि असम के एक पेंटर अकरम हुसैन ने गुवाहाटी आर्ट गैलरी में हिन्दू देवता कृष्ण की आपत्तिजनक तस्वीर का विमोचन किया है. उन्होंने लिखा, “आप सभी को बेंगलुरु घटना याद ही होगा फिर भी हम असहिष्णु हैं.!! ऐसे निंदनीय कृत्य करने वाले क्षमा योग्य तो नहीं है।” इस लेख के लिखे जाने तक इस ट्वीट पर 22,000 से ज़्यादा लाइक और 7,000 से ज्यादा रिट्वीट आ चुके हैं.
यह पेंटिंग बेंगलुरु हिंसा के बाद शेयर की जा रही है, जो कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भांजे नवीन द्वारा कथित तौर पर इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के ऊपर आपत्तिजनक पोस्ट के बाद हुई थी. इस हिंसा में पुलिस फ़ायरिंग के दौरान 3 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है.
चौरसिया के ट्वीट से पहले न्यूज़ एक्स (NewsX) के एंकर शहजाद पूनावाला ने भी कृष्ण की ‘अपमानजनक पेंटिंग’ को ट्वीट किया था और असम के डीजीपी एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए हुसैन के खिलाफ ऐक्शन लेने की मांग की थी. न्यू यॉर्क के इस्कॉन लॉन्ग आइलैंड (ISKON Long Island) ने भी इसे ट्वीट किया था. इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता राधाराम दास ने भी बीजेपी विधायक हेमंत बिस्वा शर्मा से हुसैन को गिरफ़्तार करने का अनुरोध किया था.
मधु कीश्वर जो अक्सर अपने टि्वटर अकाउंट से गलत सूचनाएं शेयर करती रहती हैं, ने अरुण पुदुर का ट्वीट रिट्वीट किया. कीश्वर ने इसके साथ कैप्शन लिखा, “वो लोग अपने पैगंबर के साथ 72 हूर को चित्रित करने के लिए आज़ाद हैं लेकिन हमारे देवताओं और पवित्र चिन्हों से अपने हाथ और दिमाग को दूर रखें.” अन्य कई लोगों ने भी इसको आगे शेयर किया जिसमें बीजेपी ओबीसी मोर्चा, हरियाणा की उपाध्यक्ष माया यादव और ट्विटर यूज़र करुणेश शुक्ला, मनीषा मिश्रा और रूप डराक शामिल हैं.
घटना 2015 की, आरोपी हुआ था गिरफ़्तार
यह घटना अप्रैल 2015 की है जब गुवाहाटी पुलिस ने पेंटर हुसैन अकरम के खिलाफ हिंदू जागरण मंच की शिकायत के आधार पर एफ़आईआर दर्ज की थी. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार गुवाहाटी डीसीपी अमिताभ सिन्हा ने कहा था, ”कलाकार ने तुरंत ही उस पेंटिंग को हटा लिया था और इसके लिए माफ़ी मांग ली थी.” रिपोर्ट में आगे लिखा है, ”पुलिस अब हुसैन की तलाश कर रही थी जो रिपोर्ट अनुसार गोलपारा का है. राज्य के सांस्कृतिक निदेशालय ने स्टेट आर्ट गैलरी में इस तरह की सभी तस्वीरों के बारे में पता करने के लिए इंक्वायरी बिठाई थी.”
इन वायरल हो रहे दावों का संज्ञान लेते हुए गुवाहाटी पुलिस ने ट्वीट किया कि हुसैन को 30 मई, 2015 को गिरफ़्तार किया गया था.
Pls refer to info shared by concerned citizens regarding an objectionable painting of Lord Shri Krishna. This incident is of 2015. Accordingly, Latasil PS Case No. 127/15 was registered, accused Akram Hussain arrested on 30/5/2015 & painting seized. It is not on display now.
— Guwahati Police (@GuwahatiPol) August 17, 2020
पुलिस के ट्वीट के बाद दीपक चौरसिया और इस्कॉन लोंग आईलैंड ने अपडेटेड ट्वीट किया, हालांकि भ्रामक ट्वीट अभी भी नहीं हटाया गया है.
कुछ मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स ने इस भ्रामक सूचना को दिया बढ़ावा
हिंदी की न्यूज़ संस्थाओं अमर उजाला और पंजाब केसरी ने इस गलत जानकारी को पब्लिश किया और लिखा कि इस्कॉन ने हुसैन अकरम की गिरफ़्तारी की मांग की है. इस लेख में सोशल मीडिया के पोस्ट दिए गए हैं लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि यह 5 साल पुराना है या आरोपी को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका था.
कुछ अन्य वेबसाइट्स जैसे न्यूज़ ट्रैक और ऑप इंडिया ने भी इस मुद्दे को दोबारा चलाया. हालांकि उन्होंने साथ में यह भी लिखा कि ये घटना 2015 की है.
असम के एक व्यक्ति अकरम हुसैन की पुरानी ‘भड़काऊ तस्वीर’ को कई पत्रकारों, मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और बीजेपी सदस्यों एवं समर्थकों ने धड़ल्ले से शेयर किया. हुसैन को 2015 में ही गिरफ़्तार किया गया था लेकिन ट्विटर पर कुछ गुस्साए लोगों ने पुलिस और मुख्यमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. एक हफ़्ते पहले ही एक फे़सबुक पोस्ट के कारण बेंगलुरु हिंसा झेल चुका है लेकिन कुछ लोग अभी भी इस बात को न समझते हुए 5 साल पुरानी पेंटिंग को दोबारा शेयर कर रहे हैं जिसके नतीजे गंभीर हो सकते हैं.
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