ब्रिटेन के ‘डेली एक्सप्रेस’ और ‘संडे एक्सप्रेस’ की डिजिटल इकाई, ‘express.co.uk’ ने एक विवादित रिपोर्ट पब्लिश की. इस रिपोर्ट का टाइटल भ्रामक था, “कोरोना वायरस से हुए नुकसान की भरपाई के लिए जर्मनी ने चीन को 130 बिलियन यूरो का बिल भेजा – बीजिंग में हड़कंप”. ये रिपोर्ट 20 अप्रैल को पब्लिश हुई थी.

इसके बाद कई मीडिया संगठनों जैसे कि, ‘इंडिया टीवी न्यूज़’, ‘द आउटलुक’, ‘ओड़िसा पोस्ट’, ‘अमर उजाला’, ‘पंजाब केसरी’ और ‘द इकॉनमिक टाइम्स’, ने ऐसी ही हेडलाइन लगाकर ये ख़बर चलाई. ‘द आउटलुक’ और ‘द इकॉनमिक टाइम्स’ ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस (IANS) के हवाले से रिपोर्ट पब्लिश की.

दक्षिणपंथी वेबसाइट, ‘ऑप इंडिया’ के लिए लिखने वाले आशुतोष मुगलिकार (आर्काइव लिंक) और ‘डेमोक्रेसी न्यूज़ लाइव’ के एडिटर-इन-चीफ़ रोहित गांधी (आर्काइव लिंक) ने भी 20 अप्रैल को एक्स्प्रेस की रिपोर्ट को शेयर किया था. मुगलिकार के ट्वीट को 800 से अधिक बार री-ट्वीट किया गया.

फ़ैक्टचेक

हमने जांच में पाया कि ‘द एक्सप्रेस’ की हेडलाइन पूरी तरह से भ्रामक है. आर्टिकल की पहली पंक्ति में लिखा है, “जब से जर्मन टैबलॉयड, बिल्ड, ने कोरोना वायरस महामारी से हुए नुकसान वाली ‘चीन पर कर्ज़’ 130 बिलियन यूरो की रसीद बनाई है, चीन में तहलका मचा हुआ है.” इससे साफ़ पता चलता है कि ये बिल जर्मनी ने नहीं बल्कि जर्मनी के एक टैबलॉयड अख़बार ने बनाया था.

लगभग 25 घंटों के बाद, ‘द एक्सप्रेस’ ने अपनी रिपोर्ट की हेडलाइन को बदल कर लिखा, “कोरोना वायरस से हुए नुकसान की भरपाई के लिए जर्मन अख़बार की 130 बिलियन यूरो की रसीद से चीन परेशान”. गौर करने वाली बात है कि ये आर्टिकल, वेबसाइट के मुताबिक़, ‘वर्ल्ड’ केटेगरी में सबसे ज़्यादा पढ़ा गया था.

ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया – Bild China ‘Rechnung’ (रसीद के लिए जर्मन शब्द). हमें वियतनामी ब्लॉग Thoibao पर पब्लिश एक आर्टिकल मिला. इस ब्लॉग में बिल्‍ड की उस रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट (नीचे देख सकते हैं) लगा था, जिसमें चीन के लिए तैयार किए गए बिल का ज़िक्र था. जैसा कि स्क्रीनशॉट में दिख रहा है, 15 अप्रैल को, बिल्ड ने इसी हेडलाइन के साथ एक आर्टिकल पब्लिश किया था – ‘Was China uns jetzt schon schuldet (हिंदी अनुवाद – चीन पर हमारा कितना बकाया हो चुका है)’.

18 अप्रैल को, जर्मनी के न्यूज़ चैनल ‘DW’ ने यूट्यूब पर एक रिपोर्ट अपलोड किया. ये रिपोर्ट बिल्ड द्वारा तैयार की गई रसीद पर केंद्रित थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, बिल्ड का आर्टिकल 15 अप्रैल (बुधवार) को पब्लिश हुआ था.

‘DW’ ने ‘बिल्ड की रसीद’ में शामिल कुछ बिंदुओं को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया – जैसे कि, पर्यटन के क्षेत्र में 24 बिलियन यूरो का नुकसान, फ़िल्म उद्योग के राजस्व में 7.2 बिलियन यूरो का नुकसान, जर्मन एयरलाइन कंपनी लुफ़्थांसा को हर घंटे 1 मिलियन यूरो प्रति घंटे का नुकसान और छोटे उद्योगों को 50 बिलियन यूरो का नुकसान.

आगे, ब्रिटेन की फ़ैक्ट-चेक वेबसाइट फ़ुल फ़ैक्ट, ने 20 अप्रैल को ख़बर दी कि जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने बिल्ड से बात करते हुए कहा कि चीन से पैसों की मांग करने की बात बचकानी है.

15 अप्रैल को, बर्लिन में चीन के दूतावास ने बिल्ड के मुख्य संपादक जूलियन राइख़ट को खुला पत्र लिखकर, चीन पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया. जर्मनी में चीन के दूतावास की प्रवक्ता, ताओ लिली ने दो आरोपों – चीनी नेतृत्व ने कोरोना वायरस संक्रमण की जानकारी हफ़्तों तक दबाए रखी और आर्थिक नुकसान के लिए कानूनी तौर पर चीन की ज़िम्मेदारी बनती है, पर अपनी बात रखी.

चीन ने जानकारी नहीं छिपाई, ये तथ्य स्थापित करने के लिए उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का एक लिंक शेयर किया जिसमें कोरोना वायरस की पूरी टाइमलाइन लिखी है. लिली ने पत्रकारीय भावना पर सवाल खड़े किए और ‘बिल्ड’ पर राष्ट्रवाद, पूर्वाग्रह और नस्लभेद को उकसाने का आरोप भी लगाया.

इसके दो दिन बाद, राइख़ट ने, 3-मिनट का वीडियो बनाकर, लिली के ओपेन लेटर का जवाब दिया. इस वीडियो में, उन्होंने सर्विलांस और सेंसरशिप पर चीन की राष्ट्रीय नीतियों पर सवाल उठाए. वीडियो में एक जगह वो कहते हैं, “आप आलोचना करने वाले अख़बारों और वेबसाइटों को तो बंद करवा देते हैं, लेकिन चमगादड़ के सूप बेचने वाली दुकानों पर रोक नहीं लगवा पाते. आप न सिर्फ़ अपने लोगों पर निगरानी रख रहे हैं, बल्कि उनको खतरे में भी डाल रहे हैं – और उनके साथ-साथ, पूरी दुनिया को भी.”

China‘s embassy in Berlin wrote me an open letter because they weren‘t too happy with our Corona coverage. I responded.

Posted by Julian Reichelt on Saturday, 18 April 2020

इसलिए, कई भारतीय मीडिया संस्थानों ने ब्रिटेन की ‘दी एक्सप्रेस’ के हवाले से एक भ्रामक रिपोर्ट चलाई, जिसमें दावा किया गया कि जर्मनी ने चीन से कोविड-19 का मुआवज़ा मांगा है. जबकि सच ये है कि जर्मन टैबलॉयड बिल्ड ने एक ओपिनियन पीस पब्लिश किया था. इसी आर्टिकल में एक रसीद भी लगाई गई थी, जिसमें कोरोना वायरस की वजह से हुए नुकसान के लिए चीन को भुगतान करने के लिए कहा गया.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.