सोशल मीडिया पर 2 वीडियोज़ सामने आए जिनमें एक धार्मिक स्थल पर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में तीखी बहस कर रहे हैं. वीडियो में लोग दो मज़ारों के पास एक-दूसरे से बहस कर रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों को अल्लाह-ओ-अकबर, और हिंदू समुदाय के लोगों को जय श्री राम कहते हुए सुना जा सकता है. इन दोनों वीडियो को कुछ न्यूज़ आउटलेट्स ने पब्लिश करते हुए बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोग एक मंदिर में आरती में रुकावट पहुंचाने के लिए घुसे थे.

प्रोपगेंडा आउटलेट्स सुदर्शन न्यूज़, ऑप-इंडिया और शिवसेना के मुखपत्र सामना ने ये रिपोर्ट छापी. सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके ने ट्वीट किया, “जिहादियों ने मंदिर में घुस कर रोकी आरती. लगाए अल्लाह हु अकबर के नारे. महाराष्ट्र में साधुओं की हत्या के बाद. अब सन्तों की पवित्र समाधियां निशाने पर. कौन दे रहा है इन जिहादियों को संरक्षण? नाथ संप्रदाय की भूमि पर मज़ार जिहाद की साजिश. महाराष्ट्र ठाणे के मलंग गढ़, (मच्छिंद्रनाथ).” आर्टिकल लिखे जाने तक ये वीडियो 18,000 से ज़्यादा बार देखा गया.

टाइम्स नाउ ने एक बुलेटिन में एक व्यक्ति का इंटरव्यू दिखाया जो मुस्लिमों द्वारा महाराष्ट्र में हिंदू समुदाय पर ‘अत्याचार’ पर अपनी राय दे रहा है.

इंडिया टीवी ने यही वीडियो प्रसारित करते हुए रिपोर्ट किया, “कल्याण का मंदिर जहां कोरोना काल में धर्म युद्ध छिड़ गया है और दो समुदायों के बीच हाथापाई की नौबत तक आ गई है. यह सब कुछ तब हुआ जब मलंगगढ़ के मंदिर में आरती हो रही थी, पूजा-पाठ चल रहा था इसी दौरान मुस्लिम समुदाय के 50-60 लोग आ धमके और मज़हबी नारे लगाने लगे.” न्यूज़ नेशन ने भी यही रिपोर्ट किया.

भाजपा समर्थक संजय दीक्षित ने ऑप-इंडिया की रिपोर्ट शेयर की. उन्होंने लिखा, “मच्छिंद्रनाथ मंदिर में घुसकर 50-60 मुस्लिमों की भीड़ ने लगाए ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे, आरती की बाधित :वीडियो वायरल.” ये वीडियो 1500 से ज्यादा लोगों ने रीट्वीट किया. इसी तरह भाजपा समर्थक आशा नाकुम और लेखक तूहिन ए सिन्हा ने भी ये रिपोर्ट शेयर की.

जैन भट्टारक स्वामी अरिहंत ऋषि और अन्य टि्वटर यूज़र्स @SonuSri795 और @PiyushTweets1 ने भी ये वायरल वीडियो शेयर किया. इन सभी ट्वीट्स को हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया.

कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने ये वीडियो और ऑप इंडिया का आर्टिकल शेयर किया जिनमें फ़ेसबुक पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी‘ भी शामिल है. इसके 1.5 करोड़ से ज्यादा फ़ॉलोवर्स हैं.

महाराष्ट्र के मंदिर में ‘शांतिप्रिय’ कौम का नया बवाल, आरती के दौरान लगाए गए मजहबी नारे, पूजा बाधित करने का प्रयास

Posted by I Support Narendra Modi on Wednesday, March 31, 2021

ये तनाव की स्थिति कहां पैदा हुई और भारत सरकार ने इस जगह को किस प्रकार मान्यता दी है

मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोगों के बीच 28 मार्च को हुए तनाव वाला ये वीडियो महाराष्ट्र के कोंकण ज़िले में स्थित मलंगगढ़ का है. यहां हाजी मलंग दरगाह स्थित है. इस जगह को हिंदू समुदाय मच्छिंद्रनाथ समाधि या मंदिर के रूप में पूजते हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय के लिए यह एक दरगाह है.

योगिंदर सिकंद ने 1999 में ऑनलाइन पोर्टल सबरंग पर दोनों समुदाय के बीच इस तनाव के बारे में विस्तार से चर्चा की थी. उनका ये आर्टिकल ‘कम्युनलिज़्म कॉम्बैट’ की कवर स्टोरी था. उन्होंने लिखा था, “शिवसेना ने 1986 में इस जगह को लेकर एक नया विवाद छेड़ दिया कि यह जगह 700 साल पुराना मच्छिंद्रनाथ मंदिर है. ठाणे से शिवसेना नेता आनंद दिघे ने 1996 में इस मुद्दे को तूल देने में विशेष भूमिका निभाई थी और कहा था कि हम कई वर्षों से इस जगह को लेकर ‘न्याय’ मांग रहे हैं लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया.” सिकंद फ़िलहाल हेनरी मार्टिन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज़, हैदराबाद में सलाहकार हैं. इस विवाद पर अदालत का फ़ैसला आना अभी बाकी है.

यह वीडियो हाजी मलंग दरगाह में रात करीब 8:00 बजे का है. पाठक गौर करें कि इस साल हिंदू पर्व होली और मुस्लिम पर्व शब-ए-बारात एक ही दिन, 28 मार्च को था. लेकिन हाजी मलंग ट्रस्ट ने कहा कि इस विवाद का त्यौहार से कोई लेना देना नहीं है.

महाराष्ट्र के 6 प्रशासनिक विभागों में शामिल कोंकण की ऑफ़िशियल वेबसाइट के मुताबिक, “हाजी मलंग अंबरनाथ में स्थित 300 साल पुरानी दरगाह है जहां बाबा अब्दुर्रहमान मलंग को दफ़नाया गया था. मलंग एक सूफ़ी संत थे जो 12वीं शताब्दी में मध्य पूर्व से भारत आए थे. हाजी मलंग सही मायनों में एक समधर्मी परंपरा को निभाने वाला स्थल है जहां हिंदू वहीवटदार (हिंदू करंदीकर परिवार के पुजारी) और मुस्लिम मुतवल्ली (संत के दूर के रिश्तेदार होने का दावा करने वाले), दोनों ही अपने धर्म के अनुसार प्रार्थना और अन्य धार्मिक क्रियाकलाप करते आए हैं.”

सुप्रीम कोर्ट ने 1968 में गोपाल, कृष्णाजी केतकर बनाम मोहम्मद हाजी लतीफ़ एवं अन्य मामले में हाजी मलंग को दरगाह बताया था.

अंबरनाथ के हिल लाइन पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर मनोज खंडारे ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “ये रिपोर्ट करना सही नहीं है कि वीडियो मंदिर में बनाया गया था. समाधि या मज़ार इसके लिए सही शब्द है क्योंकि इस जगह पर दोनों ही धर्मों के लोग प्रार्थना करते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि दोनों ही समुदाय के लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया है और ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी.”

नीचे गूगल मैप्स पर दिख रही दरगाह की तस्वीर देखी जा सकती है.

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ऑल्ट न्यूज़ को आर्काइविंग वेबसाइट वेबैक मशीन पर 1882 में पब्लिश हुई बॉम्बे प्रेसीडेंसी वॉल्यूम 16 की गजट की कॉपी मिली. इस दस्तावेज को नई दिल्ली की केंद्रीय पुरातत्व लाइब्रेरी ने तैयार किया था. मलंगगढ़ के बारे में पेज संख्या 220 और 221 पर जानकारी मिलती है. ये प्लेसेज़ ऑफ़ इंटरेस्ट नाम के चैप्टर में माहुली फ़ोर्ट वाले हिस्से में है. इसमें लिखे कई तथ्यों में से एक में बताया गया है कि हाजी अब्द-उल-रहमान का मकबरा मलंगगढ़ में है. लेकिन मच्छिंद्रनाथ की समाधि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है.

खास बात ये है कि दस्तावेज के मुताबिक काशीनाथ पंथ केतकर को 1817 में दरगाह का रखवाला घोषित कर दिया गया था. केतकर एक ब्राह्मण परिवार है जो आजतक इसकी जिम्मेदारी संभाल रहा है. हाजी मलंग बाबा दरगाह उन चंद मुस्लिम धार्मिक स्थलों में शामिल है जिसके रख रखाव का ज़िम्मा हिंदू परिवार पर है.

ऑल्ट न्यूज़ ने काशीनाथ पंथ केतकर परिवार से आने वाले विजय केतकर से बात की जो एक वकील हैं. उन्होंने कहा, “मुझे मालूम है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स ने ग़लत रिपोर्टिंग करते हुए इस जगह को मंदिर बताया है. इसे लेकर 1954 में सुप्रीम कोर्ट मामले में इसे दरगाह बताया गया था. मैंने उचित प्रशासन विभाग को इसकी जानकारी दे दी है और जरूरी कदम उठाए जाएंगे.”

ये कोई नई बात नहीं है जब सुदर्शन न्यूज़ ने सांप्रदायिकता फैलाने के लिए झूठ बोला हो. एक और उदाहरण देते हुए आउटलेट ने इस घटना पर रिपोर्ट करते हुए उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर की तस्वीर लगा दी.

वीडियो के आधार पर कहा जा सकता है कि आरती में वाकई रुकावट डाली गई थी. लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग आरती के दौरान क्यों आए, यह जानना बेहद ज़रूरी है. ये समझाने के लिए ये रिपोर्ट आगे तीन हिस्सों में बांटी गई है:

1. विज़ुअल विश्लेषण
2. हाजी मलंग बाबा दरगाह ट्रस्ट से मिले इनपुट्स
3. बजरंग दल से मिले इनपुट्स

विज़ुअल विश्लेषण

यूट्यूब अकाउंट MKT NEWS ने 31 मार्च को 8 मिनट लंबा वीडियो अपलोड किया था. नीचे की तस्वीर में समाधि (हिंदुओं के मुताबिक) या मज़ार (मुस्लिम समुदाय के लिए) के पास लोगों की भीड़ और तनाव की स्थिति देखी जा सकती है.

हाजी मलंग बाबा दरगाह ट्रस्ट के एक सदस्य ने उस जगह की तस्वीर शेयर की जहां यह विवाद हुआ. देखने पर मालूम होता है कि ये निर्माण मंदिर जैसा तो बिल्कुल नहीं है.

हाजी मलंग बाबा दरगाह ट्रस्ट से मिले इनपुट्स

हाजी मलंग बाबा दरगाह ट्रस्ट ने प्रमाणपत्र भी शेयर किया जिसपर ग्रेटर बॉम्बे के डिप्टी चैरिटी कमिश्नर के हस्ताक्षर हैं. इस दस्तावेज के मुताबिक ट्रस्ट को 1953 में इसका ज़िम्मा सौंपा गया था.

हाजी मलंग बाबा दरगाह ट्रस्ट के चेयरमैन नासिर खान ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, ये ट्रस्ट 1953 में रजिस्टर कराया गया था और दोनों ही समुदाय के लोग इसके सदस्य हैं. लेकिन इसके रखरखाव का कानूनी तौर पर ज़िम्मा केतकर परिवार का है. 1986 में इसके राजनीतिकरण के बाद दरगाह में हर साल कम से कम एक बार आरती की जाती है. लेकिन उन्होंने (बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य) दरगाह को मच्छिंद्रनाथ मंदिर कहना शुरू कर दिया. पिछले कुछ वर्षों से यहां हर महीने आरती होने लगी और पिछले 3 महीने से और भी कम समय में ये होने लगा. हमने स्थानीय प्रशासन से कई बार इसकी शिकायत की. इस तरह का व्यवहार न केवल मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत करता है, बल्कि विवाद को भी जन्म दे सकता है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने नासिर खान के बेटे रिजवान से बात की. 28 मार्च को वह घटनास्थल पर मौजूद थे. रिज़वान ने कहा, “मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ दरगाह जाते हैं. शब-ए-बारात का इस विवाद से कोई लेना देना नहीं है. उस दिन आरती बहुत देर तक चल रही थी. जब मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पुलिस से दरगाह में जाने और प्रार्थना करने की अनुमति ली तो उन्हें रोक दिया गया और इसी के चलते ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई. उसी समय बजरंग दल के कुछ लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए और उसके जवाब में मुस्लिम समुदाय के लोग भी अल्लाह-ओ-अकबर बोलने लगे.”

उन्होंने आगे कहा, “पिछले कुछ सालों में दरगाह की परंपराओं को तोड़ते हुए ज़बरदस्ती आरती किए जाने की कई शिकायतें ट्रस्ट सरकारी विभागों जैसे, अल्पसंख्यक सेल, मुंबई हाई कोर्ट के शिकायत विभाग और पुलिस से कर चुका है.” नीचे दिसंबर 2020, फ़रवरी 2020 और 28 मार्च 2020 को प्रेस रिलीज़ जारी कर इस तरह से आरती किए जाने पर विरोध जताया गया है.”

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बजरंग दल से मिले इनपुट्स

कोंकण में बजरंग दल के सदस्य संदीप भगत ने इस घटना पर अपना पक्ष रखते हुए कहा, “पिछले 2 साल से मच्छिंद्रनाथ की समाधि पर हर महीने पूर्णिमा को आरती की जाती है. 1986 में हिंदुओं द्वारा इस मुद्दे को उठाये जाने के बाद से ही हिंदू समुदाय के लोग यहां आरती कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “जिस दिन विवाद हुआ उस दिन मौके पर करीब 25 हिंदू मौजूद थे. हमने स्थानीय पुलिस को आरती से पहले ही इसके बारे में सूचित कर दिया था. हमारी पुलिस से बहस भी हुई थी जिन्होंने आरती में केवल 7 लोगों के जाने की अनुमति दी थी. जैसे ही आरती शुरू हुई वहां मुस्लिम समुदाय के कई लोग घुस गए और आरती में खलल डालते हुए नारे लगाने लगे. मुझे लगता है उन्हें आरती भंग नहीं करनी चाहिए थी. वो आरती खत्म होने के बाद भी अपनी बात कह सकते थे.”

संदीप भगत ने 28 मार्च को मौके पर मौजूद राजेश मंदरंग गायकर से हमारा संपर्क करवाया. गायकर ने ऑल्ट न्यूज़ से कहा, “मैं 16 सालों से हर महीने मच्छिंद्रनाथ की समाधि का दर्शन करने जा रहा हूं. दोनों समुदायों के बीच पहले भी छोटी-मोटी अनबन हो चुकी है. यह पहली बार था जब आरती को बाधित किया गया.”

जब हमने उन्हें बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस घटना के बाद ‘जिहादी’ कहा गया है और यह शब्द इस्तेमाल करने वालों में सुरेश चव्हाणके शामिल हैं, तब गायकर ने कहा, “उन्हें ‘जिहादी’ कहना बिल्कुल ग़लत है.” लेकिन गायकर ने आगे कहा, “अगर पुलिस आरती में विघ्न डालने वालों के खिलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं करती है तो हम इसके विरोध में सत्यनारायण हवन करेंगे.”

हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच 28 मार्च को हाजी मलंग दरगाह में तीखी बहस और अनबन हुई जिसे कुछ प्रोपगेंडा आउटलेट्स ने हथियार बनाकर मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधा. यह सच है कि आरती के दौरान ही ये विवाद शुरू हुआ था लेकिन मुस्लिम किसी मंदिर में नहीं घुसे थे. हाजी मलंग एक दरगाह के तौर पर जाना जाता है जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग प्रार्थना करते हैं.


 

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.