सोशल मीडिया पर नेपाल की मस्ज़िदों को लेकर एक दावा किया जा रहा है. दावे के मुताबिक, नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िदों के लाउडस्पीकर पर बैन लगा दिया है. ट्विटर यूज़र दीपक शर्मा के ट्वीट के मुताबिक, “नेपाल में अब नहीं लगेंगे मस्जिदों पे लाउडस्पीकर ! नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी में रखा!” आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 9,500 बार लाइक 2 हज़ार बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव लिंक)

भाजपा नेता और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ीं साध्वी प्राची के नाम से बने ट्विटर अकाउंट से भी ऐसे ही दावे के साथ एक ट्वीट किया गया. साध्वी प्राची के ऑफ़िशियल अकाउंट के नाम पर 3 ट्विटर अकाउंट मिलते हैं. तीनों ही गैर-वेरीफ़ाइड अकाउंट हैं.

कल्पना श्रीवास्तव, जो खुद को वकील बताती हैं, ने भी ये दावा ट्वीट किया है. (आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पेज ‘हिन्दू राष्ट्र भारत’ ने भी ऐसी ही बातें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं. इसमें कुछ डॉक्युमेंट्स की तस्वीरें भी शेयर की गई हैं.

ये दावा ट्विटर और फ़ेसबुक पर वायरल है.

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फ़ैक्ट-चेक

हमने इस मामले पर आये किसी भी फ़ैसले के बारे में जानने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया. हमें ऐसी कोई भी ख़बर नहीं मिली जो ये कहती हो कि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िदों के लाउडस्पीकर पर बैन लगा दिया है. इसके बाद ऑल्ट न्यूज़ ने नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट भी खंगाली लेकिन यहां भी ऐसे किसी फ़ैसले का ज़िक्र नहीं मिला.

इस पूरे मामले में जानकारी इकट्ठा करने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने साउथ एशिया चेक के एडिटर दीपक अधिकारी से बात की. उन्होंने बताया कि कोर्ट के फैसले को ग़लत तरीके से पेश किया गया है. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िद के लाउडस्पीकरों की आवाज़ धीमी रखने का फ़ैसला सुनाया था न कि उनपर बैन लगाया था.

दीपक अधिकारी ने इस मामले में ऑल्ट न्यूज़ की मदद करते हुए नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता भद्रकाली पोखरेल से बात की. भद्रकाली ने इस मामले पर बयान देते हुए बताया : “ये एक टेम्परेरी स्टे-ऑर्डर है. जज ने एक पिटीशन पर सुनवाई देते हुए ये फ़ैसला सुनाया था. उन्होंने मस्ज़िद के लाउडस्पीकर की आवाज़ धीमा रखने का फ़ैसला सुनाया था. उन्होंने लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. ये ऑर्डर कोर्ट ने 29 नवंबर को दिया था. इस पिटीशन पर अगली सुनवाई की तारीख 10 दिसम्बर दी गई थी. बचाव पक्ष के लोग हाज़िर नहीं हुए थे जिस वजह से सुनवाई रद्द कर दी गई थी.” दीपक ने हमें बताया कि इस मामले में अभी सुनवाई चल रही है.

फ़ेसबुक पर जो डॉक्युमेंट्स की तस्वीर शेयर की गई है वो 29 नवंबर की सुनवाई के डॉक्युमेंट्स ही हैं.

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इंडिया टुडे और दैनिक भास्कर भी इस वायरल दावे के बारे में फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट पब्लिश कर चुके हैं.

इस तरह, नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िदों के लाउडस्पीकर की आवाज़ धीमी रखने का फ़ैसला सुनाया था. इस फैसले पर अभी भी सुनवाई चल रही है. जबकि भारतीय सोशल मीडिया पर इस फैसले को अलग ही रंग देकर शेयर किया गया. यहां ये झूठा दावा किया गया कि नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने मस्ज़िदों के लाउडस्पीकर पर बैन लगा दिया है.

गौर करें कि इस मामले में जैसे ही कोई नतीजा आता है, या दूसरी पेशी को लेकर ऑल्ट न्यूज़ को सूचना मिलती है, इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.


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Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.