पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया में चल रही एक क्लिपिंग इस चुनावी मौसम में फिर सामने आई है। यह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बचपन की कथित घटनाओं के बारे में है। क्लिपिंग का शीर्षक है- “मोदी के भाई बहन नरेंद्र मोदी को ही अपने पिताजी के मौत का जिम्मेदार मानते है”।
इसमें कहा गया है कि पीएम मोदी के पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी जेब काटकर और रेलवे स्टेशन से कोयला और लोहा चोरी करके गुज़ारा करते थे, जहाँ वो चाय बेचने का काम किया करते थे। उन्होंने चुराए गए सामानों से सोना खरीदा, जिसे नरेंद्र मोदी ने चुरा लिया था, जब वह छोटे थे। उनके पिता अपने बेटे की करतूतों को नहीं झेल पाए और उनकी साँसे रुक गई। एफआईआर दर्ज करने के बावजूद परिवार चोरी किए गए सोने को वापस नहीं पा सका और दामोदरदास मूलचंद मोदी की बाद में मृत्यु हो गई,क्योंकि उनका परिवार ईलाज़ का खर्च नहीं झेल सकता था। कहानी यह दावा करते हुए समाप्त होती है कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ मामले और एफआईआर को दबा दिया था।
सोशल मीडिया में कई यूज़र्स के द्वारा यह विस्तृत कहानी शेयर की जा रही है।
इसे फेसबुक पर काफी यूज़र्स ने शेयर किया है।
Posted by Sujit kumar on Saturday, 13 April 2019
यह दावा व्हाट्सएप पर भी चल रहा है।
ऑल्ट न्यूज़ को इस कहानी का सबसे पुराना उदाहरण वेलारम एम पटेल के 2017 के पोस्ट का मिला, जिनके फेसबुक परिचय में लिखा है कि वह कांग्रेस के सदस्य हैं।
सब के मन में यह सवाल बार बार उठता होगा नरेंद्र मोदी अपने पिता का नाम क्यों नहीं लेते… रेल्वे स्टेशन पर चाय बेचते समय…
Posted by Velaram M. Patel on Thursday, 8 June 2017
पीएम मोदी के परिवार का बयान
ऑल्ट न्यूज़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाइयों से इस पर बयान के लिए संपर्क किया। उनके बड़े भाई सोमा मोदी ने कहा, “मेरे पिता को हड्डी का कैंसर था और 1989 में उनकी मृत्यु हुई।” उन्होंने कहा कि उस समय नरेंद्र मोदी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर थे। उन्होंने बताया, “नरेंद्र घर वापस आए और पिता को मानसरोवर का प्रसाद दिया। अगले दिन पिता का निधन हो गया।”
इस सूचना को पीएम मोदी के छोटे भाई प्रहलाद मोदी ने ऑल्ट न्यूज़ के साथ अलग बातचीत में दोहराया। “यह पूरी तरह से गलत है,” उन्होंने कहा, “हमारे पिता का 1989 में हड्डी के कैंसर से निधन हो गया। नरेंद्र उस समय आरएसएस के प्रचारक थे और पिता के अंतिम संस्कार के लिए घर आए थे।”
हमने प्रधानमंत्री के जीवनी लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय से भी संपर्क किया, जिन्होंने हमें पीएम मोदी के परिवार के बयानों के समान ही जानकारी दी। “मेरी जानकारी के मुताबिक जब मैं अपनी किताब के लिए शोध कर रहा था, उस दौरान श्री मोदी के साथ हुई बातचीत में, उन्होंने कहा था कि उनके पिता की मृत्यु 1989-90 में हुई थी।”
मुखोपाध्याय लिखित पीएम मोदी की जीवनी- ‘नरेंद्र मोदी: द मैन, द टाइम्स’ के अंशों के स्क्रीनशॉट नीचे पोस्ट किए गए हैं। इस किताब के अनुसार, नरेंद्र मोदी ने 1967 में अपना गांव छोड़ दिया था और अपने परिवार से नाता भी तोड़ लिया था। 1989 में जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वह कुछ घंटों के लिए घर आए थे।
एक अन्य स्थान पर, पुस्तक यह भी कहती है कि जब उनके पिता मृत्यु के करीब थे, तब नरेंद्र मोदी कैलाश मानसरोवर की अपनी तीर्थयात्रा से लौटे थे। किताब में पीएम मोदी के हवाले से लिखा है, “मैंने उन्हें मानसरोवर का पवित्र जल दिया।” इसमें कहा गया है कि 1989 में, जब दामोदरदास मूलचंद का निधन हुआ, नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के संगठन महासचिव थे।
दामोदरदास मूलचंद के निधन की अनुमानित तारीख प्रधानमंत्री के द्वारा 2018 में एक भाषण में भी कही गई थी, जब उन्होंने कहा था कि उनके पिता की मृत्यु “30 साल पहले” हुई थी।
पीएम मोदी के बयान और उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा ऑल्ट न्यूज़ को दी गई जानकारी, इस वायरल क्लिपिंग को खारिज करने के लिए पर्याप्त हैं।
सबसे पहले, कटआउट/क्लिपिंग का दावा है कि पीएम मोदी के भाई और बहन ने यह आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी ने उनका सोना चुरा लिया, जिस सदमे को नहीं झेल पाने के कारण दिल का दौरा पड़ने से उनके पिता कीं मृत्यु हो गई। अपने पिता के निधन के लिए वो मोदी को दोषी ठहराते हैं। यह गलत है, क्योंकि परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनके पिता की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं, बल्कि हड्डी के कैंसर से हुई।
दूसरी बात, क्लिपिंग का दावा है कि दामोदरदास मूलचंद का निधन तब हुआ जब पीएम मोदी बच्चे थे। उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार, उनके पिता की मृत्यु 1989 में हुई थी, इसलिए पीएम मोदी उस समय किशोर नहीं हो सकते थे। प्रधानमंत्री का जन्म 1950 में हुआ था और पिता के निधन के समय उनकी आयु लगभग 40 वर्ष रही होगी।
मनगढ़ंत कहानी
इस क्लिपिंग में ही कई सुराग छिपे हैं, जो इसके फ़र्ज़ी होने का सुझाव देते हैं।
1. पहली नज़र में, यह क्लिपिंग किसी अखबार का कटआउट प्रतीत होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। हालांकि यह कहानी अखबारों में प्रकाशित लेखों की तरह छपी हुई दिखलाई गई है, लेकिन रिपोर्ट में कोई तारीख नहीं है। इसके अलावा, यह कहानी ऐसी जानकारी देती है जिसके लिए तथ्यात्मक डेटा जैसे दिनांक, समय और स्थान का कोई समर्थन नहीं है। इसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने अपने पिता का सोना चुरा लिया, लेकिन उनकी उम्र या कथित घटना के वर्ष का उल्लेख नहीं है। इसने केवल इतना किया कि पाठकों के लिए पीएम मोदी की छोटे लड़के के रूप में एक तस्वीर लगा दी। इसे दृश्य संबंधी जालसाजी कहा जा सकता है। हालांकि इस कहानी से उनकी उम्र का पता नहीं चलता, लेकिन यह तस्वीर पाठक के यह अनुमान लगाने का कारण बनती है कि जब वह घटना हुई, तब प्रधानमंत्री किशोरावस्था में रहे होंगे। इसके अलावा, इस क्लिपिंग का कहना है कि उनके पिता का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। लेकिन यह मृत्यु का वर्ष नहीं बतलाता।
2. यदि कोई गूगल पर इस कथित घटना को देखने का प्रयास करता है, तो सर्च इंजन कोई परिणाम नहीं देता है।
3. लेख में वर्तनी की कई त्रुटियाँ हैं। उदाहरण के लिए, ‘पुलिस’ को कई स्थानों पर ‘पोलिस’ के रूप में लिखा गया है। ‘पकड़ा’ शब्द को ‘पकडा’ लिखा गया है। लेख में कई वाक्य पूर्ण विराम के साथ समाप्त नहीं होते, बल्कि कुछ बिंदुओं से होते हैं।
पीएम मोदी के पिता का साधारण चोर होना और प्रधानमंत्री के द्वारा उनका सोना चुराना, जिससे उनके पिता की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो जाना, यह विस्तृत कहानी, निराधार है। इन दावों का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं है।
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