“सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की। यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं।”
उपरोक्त संदेश, यह दावा करते हुए कि सऊदी अरब सरकार ने भगवद् गीता का अरबी अनुवाद जारी किया है, सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है। इसे ट्विटर और फेसबुक दोनों पर शेयर किया गया है। इस संदेश के साथ एक पुस्तक के आवरण की तस्वीर है, जिसमें कृष्ण और अर्जुन को एक रथ पर, कुछ अरबी-जैसे पाठ के साथ दिखलाया गया है।
सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की।
यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं। pic.twitter.com/psj9d6VgEB
— Pushpendra Kulshrestha (@Nationalist_Om) June 24, 2019
24 जून को इसके पोस्ट किए जाने के बाद से उपरोक्त ट्वीट को करीब 1000 बार रीट्वीट किया गया है। एक और ट्वीट को 600 से अधिक बार ‘लाइक’ किया गया है।
सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की।
यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं।
🤔😡
यहाँ जो इस्लाम के नाम से वंदे मातरम कहने से मना करते है,सऊदी अरब वाले उन्हें मुसलमान ही नहीं मानते!
😜😝
जय श्री कृष्णा..🙏🚩🚩🙏 @narendramodi pic.twitter.com/2Wlp2vCDJD— Atul Kushwaha (@UP_Silk) June 25, 2019
यह संदेश फेसबुक पर 24 जून को, हिंदुत्व मेरी शान नामक एक पेज ने पोस्ट किया था। तब से इसे 1600 से अधिक बार साझा किया गया है। इसे कई व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं ने भी अपनी टाइमलाइनों पर पोस्ट किया है।
सऊदी अरब सरकार ने अरबी में “भगवद्गीता” रिलीज की, यहाँ तो “भारत माता की जय” बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता हैं..
Posted by हिन्दुत्व मेरी शान on Sunday, 23 June 2019
सच क्या है?
सऊदी अरब सरकार द्वारा भगवद्गीता का अरबी अनुवाद जारी किए जाने का दावा, सरासर झूठ है। ‘सउदी अरब भगवद्गीता अरबी अनुवाद‘ कीवर्ड्स से सामान्य गूगल खोज के परिणाम में एक भी खबर मौजूद नहीं है। इस तरह की घटना को मुख्यधारा के मीडिया संगठनों द्वारा व्यापक तौर पर कवर किया जाना चाहिए। इसी से पता चल जाता है कि यह दावा महज़ काल्पनिक उड़ान है।
इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने किताब की तस्वीर की रिवर्स खोज की तो हम एक इस्कॉन भक्त को समर्पित एक वेबसाइट तक पहुंचे। रावनारी प्रभु नामक ये इस्कॉन भक्त फिलिस्तीन में पैदा हुए और 1973 में जर्मनी में कृष्ण पंथ में शामिल हुए थे।
कई ऑनलाइन स्रोतों के अनुसार, प्रभु ने भगवद्गीता का अरबी में अनुवाद किया था। हमें 2015 की एक फेसबुक पोस्ट भी मिली जिसमें यही दोहराया गया था।
रावनारी प्रभु की एक वेबसाइट www.ravanari.com भी है, जहां भगवद्गीता का अरबी अनुवाद उपलब्ध है।
यही नहीं, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद द्वारा भी भगवद्गीता का अरबी में अनुवाद किया गया था, जो कई वर्षों से इसे प्रकाशित करता आ रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, “यह दैरतुल मैरिफ़िल उस्मानिया (सेंटर फॉर रिसर्च एंड एडिटिंग ऑफ मैन्यूस्क्रिप्ट/ पांडुलिपि शोध एवं संपादन केन्द्र) था जिसने 1918 में पवित्र गीता का अरबी में अनुवाद और प्रकाशन किया था।”- (अनुवाद) विश्वविद्यालय ने भगवद्गीता के अरबी अनुवाद के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाया था।
अरबी में भगवद्गीता का इतिहास
भगवद्गीता का अरबी में अनुवाद केवल कोई आधुनिक समय की परियोजना नहीं है। आधुनिक समय के तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान में फैले क्षेत्र ख़्वारिज़्म में 973 ईश्वी में पैदा हुए विद्वान यात्री अल बिरूनी द्वारा 11वीं शताब्दी में इसे आरंभ किया गया था। अल बिरूनी 11वीं शताब्दी की शुरुआत में महमूद गज़नी के साथ भारत आए और इस उप-महाद्वीप की अपनी यात्राओं पर विस्तार से लिखा। अल बिरूनी के ये कार्य अरबी में हैं।
कार्ल डब्ल्यू. अर्नेस्ट ने अपनी पुस्तक ‘रिफ्रेक्शंस ऑफ इस्लाम इन इंडिया : सिचुएटिंग सूफीज्म एंड योगा‘ में लिखा है- ”अल बिरूनी ने भारत पर अपने विश्वकोश संबंधी ग्रंथ के क्रम में, कई संस्कृत कृतियों का अरबी में अनुवाद किया (पतंजलि के चयनित योगसूत्रों और भगवद्गीता समेत)।” इसी प्रकार, अरविंद शर्मा की किताब ‘स्टडीज़ इन अल्बेरुनीज़ इंडिया‘ के एक पूरे अध्याय का शीर्षक है, ‘अल बिरूनी और द भगवद गीता’, जिसमें इस पवित्र पुस्तक को लेकर अल बिरूनी के दृष्टान्त के बारे में लंबी चर्चा है।
निष्कर्ष रूप में, सऊदी अरब सरकार ने भगवद्गीता का अरबी संस्करण जारी नहीं किया है। इसके अलावा, अरबी में गीता का अनुवाद कई वर्षों से उपलब्ध है, और यह कोई हाल की घटना नहीं है।
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