“तुम मुझे मत दो, मैं तुम्हें अच्छे बूचडखाने दूँगा” ये ओवैसि या आज़म खान नहीं, बल्कि मल्लपुरम, केरल के भाजपा सांसद प्रतिनिधि एन. श्रीप्रकाश का कहना है। बीफ़ या गोमांस उनके हिसाब से उन्ही राज्यों में खाना ग़लत है जहाँ बीफ़ पे रोक लगी हुई है। भाजपा के बाक़ी नेता इस मामले में काफ़ी अलग सोच रखते हैं, यहाँ तक की क़ीरेन रिजीजु ने जब कहा कि “हमारे यह सब बीफ़ खाते हैं”, तो उस ही शाम वे अपना बयान वापस लेने पर मजबूर हो गए।
“अपनी पसंद का भोजन चुनने में क्या आपत्ति है? बीफ़ पे रोक नहीं है, ये सब झूठी ख़बरें हैं। आजीवन जेल केवल उन लोगों के लिए है जो गौहत्या करते पकड़े जाएँगे। बीफ़ पे प्रतिबंध नहीं है। मेरा पूरा प्रयास रहेगा की मैं अच्छे कसाईघर शुरू करूँ जहाँ उत्तम बीफ़ मिलें, यदि आप मुझे मत देके विजयी करें। बीफ़ बैन, कई राज्यों में, कोंग्रेस्स के राज में हुआ था। कुछ राज्यों में, मृत पशुओं का मास अब लोगों का भोजन बन रहा है, जो की दुर्भाग्य की बात है।”
श्रीप्रकाश अच्छे से जानते है की यदि वे भाजपा के अन्य नेताओं के तरह बीफ़ पे आपत्ति जताएँ तो उनका पत्ता कट जाएगा। मल्लपुरम ना ही केवल केरल का हिस्सा है परंतु ऐसा हिस्सा है जहाँ मुसलमान बहुसंख्य हैं। रिजीजु, पर्सिकर के बाद अब श्रीप्रकाश भाजपा के दोगलेपन का उदाहरण हैं। दो दिन पहले, उत्तर पूर्व के कुछ भाजपा नेताओं ने भी यह कहा था कि वे कभी बीफ़ बंध करने की सोच भी नहीं सकते। ये उस ही दिन की ख़बर है जब गुजरात की भाजपा सरकार ने बिल पास किया जिसके अनुसार गोहत्या में पाए जाने पर, अपराधी को उम्र क़ैद होगी। रमन सिंघ, जो की छत्तीसगढ़ के मुखायमंत्रि हैं, वे तो अपराधी को फाँसी चढ़ाने का दावा करते हैं।
मल्लपुरम में उपचुनाव मुस्लिम लीग के नेता ई॰ अहमद के संसद में गुज़र जाने के कारण हो रहे हैं। उनकी मृत्यु भी विवाद से घिरी हुई थी। न ही करवाहि रुकी, न उनके घर वाले अस्पताल में उनसे मिल पाएँ, और विपक्षी दलों के नेताओं ने भी काफ़ी आपत्ति जाताइ। अहमद की बेटी एवं उनके दामाद ये कहते सुने गए की दोनों डॉक्टर होने के बावजूद उनसे न मिलने दिए गए।
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