इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने 2 मार्च 2021 को एक इन्फ़ोग्राफ़िक शेयर किया. इस ग्राफ़िक में चीन, यूरोप, अमेरिका, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, ब्राज़ील और भारत में वैक्सीन के दाम दिखाए गए हैं. चार्ट के मुताबिक, भारत में वैक्सीन के दाम बाकी देशों से कम है. (आर्काइव लिंक)

3 मार्च को भाजपा ने भी ये ग्राफ़िक ट्वीट करते हुए लिखा की अगर कोई नागरिक वैक्सीन के लिए भुगतान करना चाहता है तो बाकी देशों के मुकाबले भारत में वैक्सीन के दाम सबसे कम हैं. (आर्काइव लिंक)

4 मार्च को भाजपा कर्नाटका ने भी यही दावा किया. (आर्काइव लिंक)

सांसद संजयकाका पाटिल ने भी ये ऐसा ही एक ग्राफ़िक ट्वीट किया. (आर्काइव लिंक)

कुछ यूज़र्स इंडिया टुडे के लोगो वाला एक ग्राफ़िक शेयर कर रहे हैं. ग्राफ़िक में भारत में वैक्सीन के दाम बाकी देशों के मुकाबले कम दिखाए गए हैं.

DD ओड़िया न्यूज़ ने एक ग्राफ़िक ट्वीट करते हुए भारत में कोरोना वैक्सीन के दाम बाकी देशों से कम होने का दावा किया. (आर्काइव लिंक)

और भी कई यूज़र्स ने ये दावा फ़ेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ पहले ही अमेरिका और इंग्लैंड को लेकर किये गए ऐसे एक दावे की जांच कर चुका है. इस आर्टिकल में हम ग्राफ़िक में दिख रहे देशों में कोरोना वैक्सीन के दाम जानेंगे.

इंडिया टुडे के इस ग्राफ़िक की जानकारी का स्रोत यूनिसेफ़ है. इस बात को ध्यान में रखते हुए जब हमने यूनिसेफ़ की वेबसाइट चेक की तो मालूम हुआ की ये वैक्सीन ख़रीदे जाने के आंकड़े हैं न कि जिन दामों पर वैक्सीन नागरिकों को दी जा रही है. यूनिसेफ़ की लिस्ट में सिर्फ़ भारत ही ऐसा अकेला देश है जिसमें वैक्सीन के 2 अलग-अलग दाम दिए गए हैं. इनमें से एक प्राइवेट सेक्टर में उपलब्ध वैक्सीन के दाम हैं और दूसरा, सरकार ने जिन दामों पर वैक्सीन खरीदी है, वो हैं.

यानी इंडिया टुडे ने बाकी देशों के वैक्सीन खरीदने के दाम के साथ भारत में प्राइवेट सेक्टर में मिल रही वैक्सीन के दामों से तुलना की.

भारत

भारत में वैक्सीनेशन का दूसरा चरण 1 मार्च 2021 से शुरू हो गया था. इसे लेकर जारी की गई गाइडलाइन चेक करने पर मालूम चला कि सरकारी सेंटर्स पर मुफ़्त में लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी. लेकिन निजी अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन के दाम देने होंगे.

27 फ़रवरी को केंद्र सरकार ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर में लोगों को वैक्सीन की एक डोज़ के लिए 250 रुपये ही देने होंगे. ये कीमत इंडिया टुडे के ग्राफ़ में भी दी गई है लेकिन ये आंकड़ा यूनिसेफ़ के डाटा में प्राइवेट सेक्टर में मिलने वाली वैक्सीन के दाम से मेल नहीं खाता है. यूनिसेफ़ ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के पहले के स्टेटमेंट का हवाला देते हुए बताया की सरकार को वैक्सीन के डोज़ 219 से 292 रुपये तक में दिए जायेगे लेकिन ये रकम प्राइवेट सेक्टर में दोगुनी होगी. यूनिसेफ़ ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के दाम भी बताए हैं. केंद्र सरकार ने भारत बायोटेक को 55 लाख डोज़ 295 रुपये प्रति डोज़ के भाव से सप्लाई करने के लिए कहा है.

सरकार ने हाल ही में प्राइवेट सेक्टर में 250 रुपये प्रति डोज़ की कीमत तय की है. इसके अलावा, 60 साल की उम्र से ज़्यादा के और गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल की उम्र से ज़्यादा के व्यक्तियों को वैक्सीन के लिए छूट मिली है. समय-समय पर ये नियम सरकार बदलती रहेगी.

बाकी देशों में वैक्सीनेशन अभियान फ़्री ऑफ़ चार्ज है

चीन

चीन के हेल्थ डिपार्टमेंट की वेबसाइट खंगालने पर मालूम चला कि चीन ने अपने नागरिकों के लिए मुफ़्त में वैक्सीन देने का ऐलान किया है.

इंडिया टुडे के ग्राफ़िक में बताया गया है कि चीन के लोगों को वैक्सीन के लिए 2,200 रुपये का भुगतान करना होगा. जबकि ये वो दाम हैं जिनपर चीन की सरकार ने वैक्सीन खरीदी है.

अमेरिका

अमेरिकन सेंटर्स फ़ॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (CDC) के मुताबिक, अमेरिकी सरकार टैक्सपेयर के पैसों से वैक्सीन खरीद रही है और इस कारण अमेरिका के लोगों को मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन दी जाएगी. वैक्सीन प्रोवाइडर्स, शॉट देने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन फ़ीस चार्ज कर सकते हैं. वैक्सीन प्रोवाइडर्स ये चार्ज, मरीज़ की पब्लिक या प्राइवेट इन्श्योरेन्स कंपनी से वसूल कर सकते हैं. जबकि बगैर इन्श्योरेन्स के मरीज़ों के लिए ये चार्ज, हेल्थ रिसोर्सेज़ एंड सर्विसेज़ एडमिनिस्ट्रेशन के प्रोवाइडर रीलीफ़ फ़ंड से लिया जाएगा.

अमेरिका के हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस (HHS) के वैक्सीनेशन अभियान को मुफ़्त बताया है.

इंडिया टुडे ने फ़ाइज़र और बायो एन टेक की वैक्सीन BNT162b2 का दाम अमेरिका में 1400 रुपये या $19.17 (प्रति डोज़) बताया है जबकि अमेरिका में कम दामों वाली एस्ट्राजेनेका के दाम प्रति डोज़ 292.10 रुपये या $4 है.

यूरोपीय संघ

युरोपियन कमिशन की वेबसाइट देखने पर कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़े सवाल-जवाब सेक्शन में लिखा हुआ है कि वैक्सीन के भुगतान की ज़िम्मेदारी सदस्य राज्यों की है. लेकिन ज़्यादातर राज्यों ने मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन मुहैया करवाने का फ़ैसला लिया है.

नीचे यूरोप द्वारा वैक्सीन के लिए चुकाये गए दामों की लिस्ट दी गई है. ये लिस्ट द गार्डियन ने दिसम्बर 2020 में पब्लिश की थी.

यूरोप के केस में भी इंडिया टुडे ने मॉडर्ना वैक्सीन के दाम $18 (1300 रुपये) दिए हैं जो यूरोप में महंगी मिलने वाली वैक्सीन है. जबकि यूनिसेफ़ ने एस्ट्राजेनेका के दाम $2.19 बताए है जो बाकी वैक्सीन के मुकाबले सस्ती है.

रूस

रूस के हेल्थ डिपार्टमेंट ने 19 जनवरी 2021 को एक रिपोर्ट शेयर कर बताया कि रूस मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन मुहैया करवाएगा.

रॉयटर्स के साल 2020 के एक आर्टिकल में भी यही बताया गया है कि रूस अपने नागरिकों को मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन देगा.

सऊदी अरब

सऊदी अरब की हेल्थ डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर बताया गया है कि सभी नागरिकों के लिए वैक्सीन मुफ़्त रहेगी.

ब्राज़ील

बिज़नेस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा सरकार ने फ़ैसला लिया है कि ब्राज़ील के नागरिकों को मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन दी जाएगी. 8 दिसम्बर 2020 के आर्टिकल में रॉयटर्स ने ब्राज़ील के राष्ट्रपति के हवाले से बताया है कि लोगों को मुफ़्त में वैक्सीन दी जाएगी.

साउथ अफ़्रीका

भाजपा कर्नाटका ने जिन देशों की लिस्ट शेयर की, उसमें साउथ अफ़्रीका भी शामिल है. साउथ अफ़्रीका की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने हेल्थ डिपार्टमेंट के हवाले से बताया कि लोगों को कोरोना वैक्सीन मुफ़्त में दी जाएगी.

कुल मिलाकर, भारत में कोरोना वैक्सीन की कीमत बाकी देशों से कम दिखाने के लिए एक फ़र्ज़ी लिस्ट शेयर की गई. भाजपा और इंडिया टुडे ने ये लिस्ट शेयर करते हुए दावा किया कि भारत में बाकी देशों के मुकाबले कम कीमत पर वैक्सीन दी जा रही है. जबकि लिस्ट में शामिल देशों में सिर्फ़ भारत ही ऐसा देश है जो कोरोना वैक्सीन मुफ़्त में नहीं देने वाला है. अपने इस दावे को सहारा देने के लिए इंडिया टुडे ने यूनिसेफ़ के डाटा को गलत तरीके से सभी के सामने रखा.


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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.