19 नवम्बर, 2020 को एक ट्विटर यूज़र ने जामा मस्जिद की तस्वीर ट्वीट करते हुए बताया कि आज़ादी के बाद से अभी तक इसका लाइट बिल नहीं भरा गया है.
क्या आप जानते हैं कि जामा मस्जिद, दिल्ली के लाइट का बिल आजादी से लेकर आज तक नहीं भरा गया है??? pic.twitter.com/lwMeKwQWMC
— 🍁रजनी ठाकुर🍁 (@iSinghRajni) November 19, 2020
जुलाई, 2020 में भी ये दावा किया जा रहा था कि जामा मस्जिद दिल्ली का बिजली बिल आज़ादी से लेकर अभी तक नहीं भरा गया है. ये ट्वीट सुधीर चौधरी के नाम से बनाए गए एक पैरोडी हैंडल से किया गया था, जिसे डिलीट किये जाने से पहले 3 हज़ार से भी ज़्यादा बार शेयर किया गया.
असल में ये दावा अभी से नहीं 2017 से किया जा रहा है, रिपब्लिक टीवी ने रिपोर्ट किया था कि जामा मस्जिद की बिजली बिल जमा न करने के कारण काट दी गई है. इस रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी ने पूछा था, “इमाम बुखारी के पास लग्ज़री कारें खरीदने के लिए पैसे हैं लेकिन वे बिजली का बिल नहीं भर सकते?” रिपब्लिक टीवी के रिपोर्टर ने कैमरा मस्जिद की तरफ घुमाते हुए कहा, “मस्जिद के अंदर पूरी तरह अंधेरा है.” उसके बाद चैनल क्रू इमाम बुखारी के घर के बाहर गया और बाहर खड़ी कारों की गिनती करते हुए उनके मॉडल्स के बारे में बताने लगा. यह पोस्टकार्ड न्यूज़ और हिंदुत्व के हैंडल से फैलाई गई फ़ेक न्यूज़ थी जो नेशनल चैनल पर चल रही थी. आइए सोशल मीडिया पर फैली उस ख़बर के बारे में जानते हैं जिसमें कहा गया कि दिल्ली की जामा मस्जिद का 4 करोड़ रुपए का बिल नहीं भरा गया है, जिसे रिपब्लिक टीवी ने भी रिपोर्ट किया.
ऑल्ट न्यूज़ के द्वारा एक्सपोज़ किए जाने के बाद रिपब्लिक टीवी ने ऊपर वाला ट्वीट बिना माफ़ी मांगे और बिना किसी स्पष्टीकरण के डिलीट कर दिया. नीचे लगा वीडियो रिपब्लिक टीवी के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए वीडियो की कॉपी है.
फ़ेक न्यूज़ का चक्र
जामा मस्जिद का बिजली का बिल न जमा किए जाने की बात 2012 के बाद से हर कुछ महीने पर सामने आ जाती है. पिछली बार यह गुरमीत राम रहीम सिंह की सज़ा का ऐलान होने के बाद बिना मतलब की तुलना करने लिए निकलकर आई थी.
Dera properties were seized within hours of violence. Jama Masjid ka electricity bill recover karne mein 2-4 saal lag jaate hain.
— Strategic Spaminder Bharti (@attomeybharti) August 26, 2017
हालांकि पिछले ट्वीट में ये नहीं कहा गया कि यह हाल ही की ख़बर थी, @ArunrBits नाम के एक ट्विटर यूज़र ने दावा किया कि दिल्ली की जामा मस्जिद और इसकी 2000 दुकानों की बिजली का बिल 1947 से नहीं भरा गया है. इस ट्वीट में ख़बर का कोई लिंक नहीं था लेकिन जो ऐसी ख़बर का इंतज़ार कर रहे थे उन्होंने इस ट्वीट को हाथों हाथ लिया. ट्वीट को 3,700 से ज़्यादा बार शेयर किया गया.
I was amazed to discover that Jama Masjid in Delhi and its 2000 shops havent paid electricity bills since 1947.Amazing sickularism
— Jai Maa Bharathi (@ArunrBits) August 28, 2017
सोर्स के बारे में पूछने पर @ArunrBits ने इंडियन एक्सप्रेस का 2012 का एक आर्टिकल शेयर किया. आर्टिकल में कहा गया था कि जामा मस्जिद का 4.16 करोड़ रुपए का बिजली का बिल बकाया है, जो पिछले कई साल से जमा नहीं किया गया है. आर्टिकल में इस बात का ज़िक्र था कि जामा मस्जिद के शाही इमाम और दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के बीच में विवाद है. दोनों ने बिल का भुगतान करने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते हुए कहा था, “कोई ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. मस्जिद के आस-पास रहने वाले लोग परेशान होते हैं क्योंकि बिजली सप्लाई कंपनी BSES बकाया भुगतान न करने के कारण अक्सर बिजली काट देती है.”
जहां फ़ेक न्यूज़ शेयर होने की बात आती है, पोस्टकार्ड न्यूज़ झंडा उठाए नज़र आता है. “इमाम बुखारी को बड़ा झटका!! BSES ने बिजली का बिल बकाया होने के चलते काटी बिजली” हेडलाइन के साथ दावा किया, “ऐसा लगता है कि बाबाओं और ईमाम के भारत में बुरे दिन शुरू हो चुके हैं.” इस आर्टिकल में बताया गया, “भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक, दिल्ली की जामा मस्जिद 4.16 करोड़ रुपए बिजली का बिल न जमा करने की वजह से अंधेरे में डूब गई है.” इस स्टोरी में BSES और वक़्फ़ बोर्ड के बयानों का इस्तेमाल किया गया था. ये बयान 2012 से उठाए गए थे और किसी सोर्स या तारीख़ का ज़िक्र नहीं किया गया था.
हिंदू संहति के प्रेसिडेंट तपन घोष जैसे लोग, जो पोस्टकार्ड न्यूज़ को गंभीरता से लेते हैं, उन्होंने इसे सबूत की तरह कोट करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के अंडर में भारत बदल रहा है. (ये ट्वीट अब डिलीट हो गया है, आर्काइव यहां देखा जा सकता है.)
BSES का स्पष्टीकरण
इससे जुड़े सवालों का जवाब देते हुए BSES ने स्पष्ट किया कि यह पुराना मामला है जिसे बहुत पहले सुलझा लिया गया है.
@PiyushGoyal @bsesdelhi pls investigate. @republic @TimesNow pls report, if true. @BJP4Delhi pls raise the matter politically https://t.co/FHv85OJeiQ
— Parag (@paragp) August 28, 2017
BSES ने हिंदुस्तान टाइम्स की पत्रकार श्वेता गोस्वामी को रीट्वीट करते हुए कन्फ़र्म किया कि जामा मस्जिद की सप्लाई नहीं काटी गई है और कोई बिल बकाया नहीं है.
Power supply to Jama Masjid has not been cut. There are no payment dues. It’s a rumour: @bsesdelhi clarifies @htTweets @htdelhi
— Sweta Goswami (@sweta_goswami) August 29, 2017
ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल
ऑल्ट न्यूज़ ने BSES के प्रवक्ता से बात की, उन्होंने कन्फ़र्म किया कि बिल बाकी होने की वजह से कोई पॉवर कट नहीं किया गया. उन्होंने कहा, “यह फ़ेक न्यूज़ है. जामा मस्जिद में पावर सप्लाई हमेशा की तरह सामान्य है.” उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर लोगों ने ये निराधार अफवाहें फैलाई हैं. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि यह मामला पांच साल पहले था और तभी सुलझा लिया गया था. उन्होंने कहा कि 2012 में मस्जिद और वक़्फ़ बोर्ड के बीच में लंबे समय से चला आ रहा बिल भुगतान का विवाद सुलझ गया था.
ऑल्ट न्यूज़ ने ईमाम बुखारी के छोटे भाई तारिक़ बुखारी से बात की. बुखारी ने इसे सिरे से ख़ारिज़ करते हुए बताया कि ट्विटर पर अफ़वाह फैलाई जा रही है. उन्होंने भी कन्फ़र्म किया कि BSES ने बिजली नहीं काटी थी. उनसे पूछा गया कि रिपब्लिक टीवी की फ़ुटेज में दिख रहा अंधेरा मस्जिद में किस समय का है? बुखारी ने कहा कि वह निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि वीडियो कब रिकॉर्ड किया गया है. उन्होंने बताया कि मस्जिद में तेज़ रोशनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. तीन नंबर गेट शाम की नमाज़ के बाद बंद कर दिया जाता है और मेन गेट से मस्जिद में जाया जा सकता है. उन्होंने कहा, “अगर आप फ़ुटेज को ध्यान से देखें, सीढ़ियों पर और अंदर रोशनी दिखाई देती है. रात को ईशा की नमाज़ के एक घंटे बाद मस्जिद बंद की जाती है, उसके पहले तक मस्जिद में पर्याप्त रोशनी रहती है.”
BSES द्वारा जामा मस्जिद की बिजली काटे जाने का सोचकर दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी ट्विटर हैंडल्स का खुशी से उछलना और फ़ेक न्यूज़ फैलाना तो समझ में आता है लेकिन नेशनल टीवी चैनल से बेहतर काम की उम्मीद की जाती है. 4.16 करोड़ रुपए के बकाया बिल और ईमाम और वक़्फ़ बोर्ड के बीच का विवाद पांच साल पुराना है. बुखारी और BSES दोनों ने कन्फ़र्म किया कि पॉवर सप्लाई नियमित थी और कोई पावर कट नहीं किया गया. BSES ने पहले ही ट्वीट करके बताया है कि जामा मस्जिद की ये कहानी पूरी तरह झूठी है. रिपब्लिक टीवी को बिल न जमा करने की बात BSES से पहले कन्फ़र्म कर लेनी चाहिए थी तब स्टोरी चलानी थी.
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