“रूपेश बैसोया की हत्या करवाने वाला ड्रग माफ़िया गिरफ़्तार “, ऐसा ट्वीट आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने 9 अक्टूबर को किया। उन्होंने ये भी लिखा कि दिल्ली निवासी रुपेश बैसोया के मर्डर में जिसे गिरफ्तार किया है वो एक बांग्लादेशी है।

ऑल्ट न्यूज़ के तथ्य जांच के बावजूद मिश्रा अपना यह दावा दोहराते रहे हैं जिसमें हमने बताया था कि रुपेश बैसोया मामले में बांग्लादेशी होने का दावा गलत है।

30 सितम्बर को बैसोया की उनके घर के सामने गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। चार दिन बाद पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तार भी किया था। ये कथित अपराधी आकाश, अजय और उनका साथी सूरज, दिल्ली के ही निवासी है।

लेकिन जब से बैसोया के मर्डर की खबर आयी है, तब से ही मिश्रा निराधार आरोप मढ़े जा रहे है। पुलिस की कार्रवाही और उसके बाद आरोपियों के गिरफ्तार होने के बावजूद मिश्रा के झूठे ट्वीट रुके नहीं हैं और वो इस मुद्दे पर लगातार रैलियां कर रहे हैं।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट

अपने नवीनतम ट्वीट में मिश्रा ने इंडिया टुडे की रिपोर्टPolice arrest two drug peddlers accused of killing man in Delhiदिल्ली में हत्या के आरोप में पुलिस द्वारा दो ड्रग पेड्लर्स की गिरफ़्तारी‘ (अनुवाद) के पहले दो अनुच्छेद के स्क्रीनशॉट लगाए थे। इन दो अनुच्छेदों में कथित ड्रग पेडलर मुहम्मद फ़ारूक़ और पारुल (खाला) की बात की गयी थी। पुलिस के अनुसार पारुल फरार हो गया था।

अगर आप इंडिया टुडे की इस रिपोर्ट को पढ़े, तो देखेंगे की पहले वाक्य और पुरे रिपोर्ट में असंगति है। रिपोर्ट कहती है “ड्रग रिंग चलाने के मामले में दो लोग गिरफ्तार”, और हैडलाइन कहती है कि ये दोनों मर्डर के मामले में गिरफ्तार किये गए हैं।

लेख में आगे के अनुच्छेद में रुपेश बैसोया के मर्डर में जो गिरफ्तार हुए, उनका भी ज़िक्र है। उनके नाम (स्क्रीनशॉट में हाईलाइट किये गए है) और ड्रग्स के डीलरों के नाम में कोई समानता नहीं है।

इंडिया टुडे के रिपोर्ट की हैडलाइन और पूरी खबर में अंतर है। लेकिन इस में भी उन ड्रग डीलरों के बांग्लादेशी होने की बात नहीं है।

दो अलग जुर्म

7 अक्टूबर की प्रेस रिलीज़ में दिल्ली पुलिस ने कहा की फ़ारूक़ ने कबूला है कि वो दसवीं कक्षा के बाद नहीं पढ़ा है और बचपन से ही तैमूर नगर में रहता है। पुलिस बयान में भी उसके बांग्लादेशी होने की कोई बात नहीं है और ना ही रुपेश बैसोया के मर्डर और उसकी गिरफ्तारी में कोई सम्बन्ध है।

जब ऑल्ट न्यूज़ ने DCP (साउथ-ईस्ट दिल्ली) विजय कुमार से बात की तो उन्होंने बताया की फ़ारूक़ दिल्ली पुलिस के नारकोटिक्स विभाग द्वारा किसी दूसरे केस में गिरफ्तार किया गया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट में एक और आदमी का ज़िक्र आता है, जिसे तैमूर नगर में जिला नारकोटिक्स स्क्वाड ने पकड़ा था- अभिजीत मुख़र्जी। दिल्ली पुलिस की 6 अक्टूबर की प्रेस रिलीज़ में कहा गया की मुख़र्जी दसवीं कक्षा तक पढ़ा था। इस वक्तव्य में भी रुपेश बैसोया मर्डर या ड्रग रैकेट में बांग्लादेशी होने की कोई बात नहीं की गयी है।

कथित ड्रग कारोबार पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाही

कपिल मिश्रा ने एक और ट्वीट में टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट लगाया- जिसका शीर्षक था- “दिल्ली : तैमूर नगर के ड्रग कारोबार में मुख्य आदमी एक करोड़ की हेरोइन के साथ पकड़ा गया।” (अनुवाद)

हालांकि मिश्रा ने ये रिपोर्ट को भी बैसोया के मर्डर के साथ जोड़ा है इस रिपोर्ट में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। इस रिपोर्ट में फ़ारूक़ को बांग्लादेशी नहीं बताया गया है पर ये कहा है की स्थानीय लोग ऐसा इलज़ाम लगा रहे थे।

NDTV के एक लेख के अनुसार स्थानीय लोगों की कथित ड्रग रैकेट की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने ड्रग डीलरों की धर पकड़ शुरू कर दी थी। बैसोया की हत्या के बाद वहां के स्थानीय लोगों ने ड्रग माफिया के विरोध में और मजबूती से आवाज उठाई।

लेकिन गिरफ़्तारियां सिर्फ तैमूर नगर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे शहर में हुई थी। जिला नारकोटिक्स स्क्वाड ने मिआँवली नगर, आउटर डिस्ट्रिक्ट से एक ड्रग डीलर को पकड़ा था। पुलिस के प्रेस रिलीज़ में ऐसा कहा गया है कि अभियुक्त रविंदर दिल्ली के ज्वाला पूरी का रहने वाला है।

कपिल मिश्रा ने खुद का वीडियो फेसबुक और ट्विटर पर डाला था, जिसमे वे दावा कर रहे है की बांग्लादेशी ड्रग माफिया ने रुपेश बैसोया का क़त्ल किया है। कुल मिलाकर वीडियो को 32000 व्यूज मिले है। इन्होने तैमूर नगर में ‘खून करने वाले बांग्लादेशी थे’ का झूठ कई रैलियों में फैलाया है जबकि कोई मीडिया रिपोर्ट या पुलिस की जांच इन दो बातों में सम्बन्ध नहीं दिखाती है, लेकिन कपिल मिश्रा झूठ फैलाकर लोगों को बहकाने का काम कर रहे हैं।

अनुवाद: ममता मंत्री के सौजन्य से

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.