कर्नाटक में आने वाले 2 महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सभी दलों ने अपने चुनावी अभियान तेज़ कर दिए हैं. उम्मीदवारों की सूची जारी करने से लेकर रैलियां, घोषणापत्र आयोजित करना, यहां तक ​​कि इतिहास और कल्पना के परे एक-दूसरे का राजनीतिक मज़ाक उड़ाना भी इस चुनावी अभियान का हिस्सा है.

फ़रवरी महीने में कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण ने एक विवादास्पद बयान दिया जिसमें उन्होंने जनता से कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की तरह ‘खत्म’ करने के लिए कहा. अपने भाषण में उन्होंने कहा, “टीपू सुल्तान की जगह सिद्धारमैया आएंगे. आप वीर सावरकर चाहते हैं या टीपू सुल्तान? आपको निर्णय लेना है. आप जानते हैं कि उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा (टीपू से लड़ने वाले सैनिकों) ने टीपू सुल्तान के साथ क्या किया था. इसी तरह, उन्हें (सिद्धारमैया को) खत्म कर देना चाहिए.”

इसके बाद मार्च में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मांड्या शहर का दौरा करने वाले थे, तो प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए एक मेहराब बनाया गया था. इसके दोनों ओर ऐतिहासिक शख्सियत, उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा की तस्वीरें थीं.

सिद्धारमैया ने इस पोस्टर की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “पीएम मोदी के स्वागत के लिए, काल्पनिक पात्र उरी गौड़ा-नंजे गौड़ा के नाम मेहराब पर लगाए गए हैं. मांड्या ने अद्वितीय स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं. ये सिर्फ मांड्या के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे कर्नाटक के लोगों के लिए शर्मनाक है. @CMofKarnataka को तुरंत इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और इस स्वागत मेहराब को हटाना चाहिए.”

उसी शाम बीजेपी कर्नाटक के नेता C T रवि ने सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए एक ट्विटर थ्रेड लिखा. उन्होंने कहा कि उड़ी गौड़ा-नन्ज़े गौड़ा के नाम वाले बैनर ने सिद्धारमैया जैसे लोगों को नाराज़ कर दिया और इसलिए वो इसे हटाना चाहते थे. उनका ये भी कहना है कि ये लोग मांड्या के उन नायकों को बर्दाश्त नहीं कर सकते जिन्होंने ‘कट्टर और घातक’ टीपू सुल्तान को हराया था. (आर्काइव)

18 मार्च को हिंदुस्तान टाइम्स ने PTI की एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें लिखा था कि बागवानी मंत्री और फ़िल्म निर्माता से नेता बने मुनिरत्न की वृषभाद्री प्रोडक्शन्स ने कर्नाटक फ़िल्म चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स में एक फ़िल्म का टाइटल, ‘उरी गौड़ा नंजे गौड़ा’ करने के लिए आवेदन दिया था. मंत्री ने फ़िल्म की घोषणा करते हुए एक पोस्टर भी ट्वीट किया जिसे उन्होंने बाद में डिलीट कर दिया.

मारुथु भाइयों की तस्वीरों वाले बैनर और पोस्टर

ऑल्ट न्यूज़ को की-वर्ड्स सर्च करने पर एक आर्टिकल मिला जिसमें उरी गौड़ा और नन्ज़े गौड़ा की तस्वीरें थीं. ये तस्वीर भाजपा नेता द्वारा ट्वीट किए गए फ्लेक्स बैनर में दिख रही तस्वीरों से मेल खाती हैं.

गूगल लेंस का इस्तेमाल करके हमने इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें पता चला कि उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा के रूप में पेश की गई तस्वीरें असल में तमिलनाडु में शिवगंगा साम्राज्य के शासक मारुथु पांडियार भाइयों की लोकप्रिय तस्वीरें हैं. दरअसल, गूगल पर नाम सर्च करने से अलग-अलग एडिट के साथ ये खास तस्वीर सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर दिखाई देती है.

दिलचस्प बात ये है कि कर्नाटक के मंत्री और फ़िल्म निर्माता मुनिरत्न द्वारा ट्वीट किए गए फ़िल्म के पोस्टर में भी मारुथु पांडियार भाइयों की लोकप्रिय तस्वीरें थीं.

कौन हैं मारुथु पांडियार बंधू?

स्क्रॉल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिया मारुथु और चिन्ना मारुथु के पिता मोक्का पलानीसामी थेवर और उनकी माता पोनाथा थी. उन्होंने शिवगंगा साम्राज्य के दूसरे राजा मुथुवदगनाथ थेवर की सेवा की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके जन्म की सटीक तारीखें साफ नहीं हैं. हालांकि, इतिहासकारों का दावा है कि पेरिया मारुथु या बड़े मारुथु का जन्म 1748 में रामनाद राज्य में हुआ था. सबसे छोटे, चिन्ना मारुथु पांच साल बाद पैदा हुए थे.

इसी रिपोर्ट में लिखा है कि भाइयों का लोकप्रिय प्रतिनिधित्व, उनकी मौत के बाद दो शताब्दियों में विकसित हुआ. उन्हें लंबा और मांसल की तरह चित्रित किया गया जिसकी भरावदार मूंछें थीं और गुस्से से भरी आंखें थीं. ये चित्रण इंटरनेट पर मौजूद वायरल तस्वीरों से मेल खाता है.

इन भाइयों ने महल में राजा के सहयोगी के रूप में काम किया और उन्होंने युद्ध और तोपखाने में अपने कौशल का विकास किया. स्क्रॉल की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि लोकप्रिय किंवदंती के मुताबिक, उन्हें पांडियार की उपाधि दी गई थी. क्योंकि उन्होंने बिना हथियारों के इस्तेमाल के एक जंगली बाघ से राजा को बचाया था. दिलचस्प बात ये है कि रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है कि शिवगंगा के शासन के दौरान, भाइयों ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए इलाके में समर्थन इकट्ठा किया था जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ़ उनकी लड़ाई में टीपू सुल्तान का समर्थन करने वाले भी शामिल थे.

तमिलनाडु सरकार की वेबसाइट पर 2021 में पब्लिश ‘मरुथु पांडियारगल’ टाइटल से एक आर्टिकल है. इसके मुताबिक, जब रामनाद के राजा सेतुपति ने अपनी बेटी वेलु नचियार की शिवगंगई के राजा से शादी करने का फैसला किया तो उन्होंने अपनी बेटी वेलु नचियार के साथ अपने कमांडर ‘मारुथु बंधु’ को भेजा था. इसमें ये भी कहा गया है कि जब अंग्रेजों और आर्कोट के नवाब ने वेलु नचियार के पति के खिलाफ साजिश रची और 1772 में उसे मार डाला तो मारुथु भाइयों ने वेलु नचियार को बचा लिया और उसे हैदर अली के साम्राज्य में सुरक्षा के लिए ले गए.

दोनों भाइयों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ 1801 में एक उद्घोषणा जारी की जिसके बाद एक लंबी खूनी लड़ाई शुरू हो गई. ईस्ट इंडिया कंपनी की मद्रास सेना में एक अंग्रेज़ अधिकारी जेम्स वेल्श ने ‘मिलिट्री रेमिनिसेंस: एक्सट्रेक्टेड फ्रॉम ए जर्नल ऑफ़ नियरली फ़ोर्टी इयर्स’ एक्टिव सर्विस इन द ईस्ट इंडीज़‘ नामक किताब में लिखा है कि मुरुथु बंधू में से एक पर बड़े इनाम का विज्ञापन जारी किया गया था. वेल्श ने ये भी नोट किया कि भाइयों के पकड़े जाने के बाद, उनके परिवारों और सहयोगियों के साथ मुरुथस को फांसी दे दी गई थी.

उरी गौड़ा और नान्जे गौड़ा: सच या कल्पना?

रंगायन के पूर्व निदेशक, अडांडा करिअप्पा द्वारा लिखे गए एक नाटक, ‘टिप्पू निजाकानासुगलु’ (टीपू के असली सपने) के बाद दो केरेक्टर्स को व्यापक रूप से जाना जाने लगा जिस पर पिछले साल कुछ विवाद हुए थे. ये साफ नहीं है कि उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा इतिहास में मौजूद थे या नहीं.

पिछले साल नवंबर में कथित तौर पर सच्ची घटनाओं पर आधारित इस नाटक में दावा किया गया था कि मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को वोक्कालिगा सरदारों उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा ने मार डाला था. मैसूर के भूमिगीता में नाटक का मंचन किया गया था और उसी कहानी के साथ एक किताब भी प्रकाशित हुई थी. इतिहासकारों ने इतिहास के इस पुनर्लेखन पर आपत्ति जताई और कुछ ने तो ये भी मांग की कि अगर ये अकादमिक रूप से अपने दावों को साबित नहीं कर पाता है, तो किताब और नाटक में ये डिस्क्लेमर होना चाहिए कि ये एक काल्पनिक घटना है.

हालांकि मैसूर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व के एक रिटायर्ड प्रोफ़ेसर N S रंगराजू का दावा है कि उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा हैदर अली के सैनिक थे जिन्होंने असल में टीपू और उनकी मां को मराठों के चंगुल से बचाया था, अन्य प्रोफ़ेसर जैसे, एनवी नरसिम्हा ने इन दोनों को ‘काल्पनिक चरित्र’ कहा. नरसिम्हा एक इतिहासकार हैं साथ ही मैसूर साम्राज्य के इतिहास में विशेषज्ञता रखते हैं.

इसके अलावा, बोर्ड भर के इतिहासकार इस एकमत पर हैं कि टीपू सुल्तान अंग्रेजों के हाथों चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध के दौरान मारे गए थे.

बीजेपी ने मारुथु बंधू के नाम हटाए

द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया कि उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा की साफ़ तस्वीरों के साथ मेहराब के वायरल होने के बाद, भाजपा ने दोनों के नामों को स्वर्गीय वोक्कालिगा द्रष्टा श्री बालगंगाधरनाथ स्वामीजी के नाम से बदल दिया.

उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा के बारे में फ़िल्म की घोषणा करने के कुछ दिनों बाद, भाजपा मंत्री और निर्माता मुनिरत्ना ने घोषणा की कि वो इस योजना के साथ आगे नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि ये ‘एक वर्ग की भावनाओं को आहत कर सकता है.’ ये बयान राज्य के बागवानी मंत्री द्वारा मांड्या के आदिचुंचनगिरी मठ में प्रमुख वोक्कालिगा संत निर्मलानंद स्वामी से मुलाकात के बाद आया है.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट निर्मलानंद स्वामी के हवाले से लिखा है, “उचित शोध के बिना फ़िल्मों की घोषणा करना गलत था. उचित शोध के बिना मामले के बारे में बोलना अच्छा नहीं है. यदि शास्त्रों में ऐसे चरित्रों का कोई ज़िक्र मिलता है या किसी समय के लोगों ने उन्हें इतिहास में दर्ज किया है, तो इसे प्रमाण माना जा सकता है. जो लोग उस पीढ़ी के नहीं हैं वो इसके बारे में लिख रहे हैं… इससे कोई स्पष्टता नहीं होगी. समुदाय के लिए बहुत काम करने और इस पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है.”

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