सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में स्कूल की छात्राएं क्लास की खिड़कियों से दुपट्टा फेंकते हुए दिख रही हैं. उप्साला विश्वविद्यालय में पीस एंड कंफ्लिक्ट स्टडीज़ के एक प्रोफ़ेसर अशोक स्वैन ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा: “तमिलनाडु में आदिवासी स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों ने स्कूल ड्रेस के विरोध में अपने दुपट्टे (स्कार्फ़) फेंके जिन्हें वो उत्तर भारतीय और पितृसत्तात्मक समझती हैं.”

इस ट्वीट को 1.2 लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिले और ये वायरल हो गया है.

 

वीडियो फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया था.

Girls studying in a school for tribals (indigenous people) in #Tamil Nadu are throwing away their dupattas (scarves) in protest against school uniforms that they think North Indian and patriarchal! #india

Posted by Business Universe on Wednesday, 15 March 2023

फ़ैक्ट-चेक

वायरल वीडियो के फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को महिला सशक्तिकरण पर काम करने वाले एक NGO ‘अवेयर इंडिया’ का एक इंस्टाग्राम पोस्ट मिला. तमिल में लिखे गए वीडियो के कैप्शन में तमिलनाडु में कलवारायण जनजाति के एक बोर्डिंग स्कूल और लेखिका गीता इलानगोवान के नाम का ज़िक्र है. इन्स्टाग्राम पोस्ट बाद में डिलीट कर दिया गया. लेकिन अवेयर इंडिया के फ़ेसबुक पेज पर ये वीडियो मौजूद है जिसे इस लिंक पर जाकर देखा जा सकता है.

गीता इलानगोवान, 30 निबंधों के संग्रह ‘दुपट्टा पोडुंगटोडी थोझी’ (पुट ऑन ए स्कार्फ़, माय फ्रेंड) की लेखिका हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने उनसे इस वीडियो की हकीकत जानने के लिए संपर्क किया. गीता इलानगोवान ने हमें तमिलनाडु की ग्रामीण आदिवासी युवा लड़कियों और महिलाओं तक पहुंचने और उन्हें नारीवाद और शरीर की सकारात्मकता के बारे में शिक्षित करने के लिए अवेयर इंडिया के एक अभियान के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में बाल विवाह काफी प्रचलित था और राज्य सरकार, अलग-अलग गैर सरकारी संगठनों के साथ लड़कियों को इसके खतरों के बारे में शिक्षित करने की कोशिश कर रही थी.

गीता ने बताया, “हाल ही में पूरे तमिलनाडु के स्कूलों में छात्रों के बीच समकालीन तमिल नारीवादी साहित्य की कई किताबें बांटी गईं. मेरी किताब उनमें से एक थी. जब मैं तमिलनाडु के कल्लाकुरिची के इस स्कूल में पहुंची तो बच्चे मेरा स्वागत करने के लिए उत्साहित थे. उन्होंने आगे कहा, “सेक्सिज्म से लड़ने के प्रतीकात्मक इशारे के रूप में, उन्होंने खिड़कियों से अपने दुपट्टे बाहर फेंके, इसका उत्तर भारतीय पोशाक या उस जैसी किसी भी चीज़ के खिलाफ किसी भी तरह के विरोध से कोई लेना-देना नहीं था.”

लेखिका ने हमें ये भी बताया कि स्कूल में तीन दिवसीय शिविर आयोजित किया गया था और वो दूसरे दिन वहां गई थीं. पहले दिन, लेखिका निवेदिता लुइस ने छात्राओं के साथ बातचीत की थी और वहीं से दुपट्टे को फेंककर गीता का स्वागत करने का विचार आया था.

गीता ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “जब निवेदिता ने उनसे पूछा कि उन्होंने कौन सी किताबें पढ़ी हैं, तो उन्होंने मेरी किताब दुपट्टा पोडुंगटोडी थोझी का ज़िक्र किया. छात्राओं ने कहा कि वो भी इससे रिलेट करते हैं क्योंकि उन्होंने भी ये देखा है कि उनका परिवार और उनके आस-पास के लोग उन्हें दुपट्टा पहनने के लिए मजबूर करते थे. तब निवेदिता ने उन्हें सुझाव दिया कि जब मैं अगले दिन वहां आऊं, तो वो मेरा स्वागत करने के लिए अपना स्कार्फ़ नीचे फेंक दें. इस पर हल्के-फुल्के अंदाज में चर्चा की गई. लेकिन लड़कियों को ये विचार पसंद आया और उन्होंने असल में ऐसा कर दिखाया.”

हमने देखा कि द क्विंट ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो पोस्ट करते हुए बताया कि छात्राओं ने लेखिका का अभिवादन करने के लिए अपने स्कार्फ़ फेंक दिए थे. लेखिका (पीले रंग के कपड़ों में) छात्राओं की ओर हाथ हिलाते हुए दिख रही है जो हाव-भाव से अपनी ख़ुशी व्यक्त कर रही हैं.

ऑफ़ विद द दुपट्टाज़: व्हाई TN ट्राइबल स्टूडेंट्स डिस्कार्डेड स्कार्वेस तो बीट सेक्सिज्म‘ टाइटल वाले आर्टिकल में द क्विंट ने बताया, “13 मार्च को तमिलनाडु के कल्लाकुरिची के एक स्कूल में एक असामान्य घटना हुई जिसके विज़ुअल्स अब वायरल हो गए हैं – आठ स्कूलों की छात्राओं ने एक महिला लेखिका गीता इलानगोवान का अभिवादन करने के लिए तीन मंज़िला इमारत के ऊपर से अपने दुपट्टे फ़ेंक दिए. इसमें आगे कहा गया है, “लेखिका…अलग-अलग रंगों के स्कार्फ़ को इमारत से नीचे फेंके जाने को देखकर हैरान रह गईं, छात्राओं ने सामूहिक अभिवादन किया. गीता इलांगोवन ने कहा, इससे सांस्कृतिक और लैंगिक दोनों अर्थ प्रभावित हुए.”

कुल मिलाकर, अशोक स्वैन का ये दावा झूठा है कि तमिलनाडु की लड़कियों ने अपनी क्लास से स्कार्फ़ फेंककर ‘उत्तर भारतीय और पितृसत्तात्मक’ स्कूल यूनिफॉर्म का विरोध किया. दरअसल छात्राएं अपने स्कूल में लेखिका गीता इलानगोवान का अभिवादन कर रही थीं.

वंश शाह ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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