हाल ही में कांग्रेस नेता और तत्कालीन वायनाड सांसद राहुल गांधी को सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 2019 में की गई ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के मामले में दोषी ठहराया है. इसके बाद उन्हें लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया.
कांग्रेस पार्टी ने इस कदम की व्यापक रूप से आलोचना की और नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘लोकतंत्र की हत्या’ करने का आरोप भी लगाया था. अलग-अलग विपक्षी नेता भी राहुल गांधी के समर्थन में सामने आए और कुछ ने इसे लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ कहा.
इस मामले के संदर्भ में कागज का टुकड़ा फाड़ते हुए राहुल गांधी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है. और दावा किया जा रहा है कि 2013 में जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार दोषी सांसदों और विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नकारने के लिए एक अध्यादेश ले कर आई, तो राहुल गांधी ने इस कदम की आलोचना करते हुए सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश को फाड़ दिया.
अक्सर सोशल मीडिया पर राजनीतिक ग़लत सूचना शेयर करने वाले ऋषि बागरी ने ये तस्वीर ट्वीट करते हुए राहुल गांधी पर तंज कसा. (आर्काइव लिंक)
This picture from 2013 will haunt Rahul Gandhi forever pic.twitter.com/CkX8vbtpop
— Rishi Bagree (@rishibagree) March 24, 2023
सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा ने भी इन घटनाओं का सारांश देते हुए यही तस्वीर ट्वीट की. (आर्काइव)
2013:
No one who is convicted for two or more years of jail can be elected to Parliament and Assembly
– Supreme CourtManmohan Singh govt brought ordinance to overturn it.@RahulGandhi tore the Ordinance publicly.
2023: Rahul Gandhi is ordered 2 years of jail. pic.twitter.com/YRdA2RJ4UV
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) March 23, 2023
इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका के पूर्व प्रबंध संपादक दिलीप मंडल ने भी ये तस्वीर ट्वीट की.(आर्काइव)
History has come a full circle for Rahul Gandhi as his opposition to an ordinance in 2013 led to the disqualification of Lalu Yadav. Now, Rahul Gandhi faces disqualification under the same act, as Lalu Yadav’s fate echoes in his own. ☹️🧵⬇️ pic.twitter.com/ra0NctPqa8
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) March 23, 2023
यूट्यूब-आधारित समाचार आउटलेट Editorji ने एक वीडियो रिपोर्ट पोस्ट की जिसमें दावा किया कि राहुल गांधी ने 2013 में सार्वजनिक रूप से अध्यादेश की एक कॉपी फाड़ दी थी.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में ज़िक्र किया गया है कि सितंबर 2013 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को फाड़ दिया था जिसमें नेताओं की अयोग्यता के बारे में बताया गया था. उदहारण के लिए लाइव मिंट ने बताया था, “सार्वजनिक मीडिया से बातचीत के दौरान, राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से अध्यादेश फाड़ते हुए कहा था, “मैं आपको बताऊंगा कि अध्यादेश पर मेरी राय क्या है. ये पूरी तरह बकवास है और ये मेरी निजी राय है. इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए.” (आर्काइव)
इसे ध्यान में रखते हुए, हमने यूट्यूब पर की-वर्ड्स सर्च किया और हमें 27 सितंबर 2013 का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक वीडियो मिला. 3 मिनट के इस क्लिप का टाइटल है, “राहुल गांधी: स्टॉप द आर्डिनेंस दैट सेव्स क्रिमिनल पॉलिटिशियन्स – 27 सितंबर, 2013.”
इस क्लिप में राहुल गांधी कहते हैं:
राहुल गांधी: मैंने माकन जी को फ़ोन किया (कांग्रेस नेता अजय माकन की ओर इशारा करते हुए) और मैंने उनसे पूछा कि क्या चल रहा है. आप क्या कर रहे हैं? मुझे उनसे कुछ काम था और उन्होंने कहा कि मैं यहां प्रेस के साथ हूं, और मैंने कहा क्या बातचीत हो रही है? तो उन्होंने कहा कि ठीक है अध्यादेश के बारे में बातचीत हो रही है. तो मैंने कहा क्या? और जवाब में उन्होंने मुझे स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने मुझे वो लाइन बताई… वो राजनीतिक लाइन जो हर कोई आपको बताएगा, जो कांग्रेस आपको बताएगी; भाजपा आपको बताएगी; हर कोई बतायेगा. मैं आपको बताऊंगा कि अध्यादेश के बारे में मेरी क्या राय है. अध्यादेश पर मेरी राय है कि ये पूरी तरह से बकवास है और इसे फाड़ कर फेंक देना चाहिए. ये मेरी राय है, अध्यादेश पर ये मेरी निजी राय है. मैं आपके लिए इसे दोहराता हूं, अध्यादेश पर मेरी राय ये है कि इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए. ठीक है जो तर्क दिए जा रहे हैं और मैंने अपने संगठन में तर्क सुने हैं जो तर्क दिया जा रहा है वो ये हैं कि हमें ऐसा करने की ज़रूरत है. आंतरिक रूप से, मैं आपको बता रहा हूं कि आंतरिक रूप से क्या हो रहा है … राजनीतिक कारणों से हमें ऐसा करने की ज़रूरत है … हर कोई ऐसा करता है; कांग्रेस पार्टी ऐसा करती है; भाजपा ऐसा करती है; जनता दल ऐसा करता है; समाजवादी यही करते हैं; हर कोई ऐसा करता है. और इस बकवास को रोकने का समय आ गया है. और मुझे सच में लगता है कि अब समय आ गया है कि वो इसे पार्टियों में रखें, मेरे और दूसरों में भी… इस तरह के समझौते करना बंद करें. क्योंकि अगर हम सच में इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, चाहे हम कांग्रेस पार्टी हों या भाजपा, हम इन छोटे-छोटे समझौतों को जारी नहीं रख सकते क्योंकि जब हम ये छोटे-छोटे समझौते करते हैं तो हम सब कुछ समझौता कर लेते हैं… तो ये यह अध्यादेश पर मेरी राय है. धन्यवाद.”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है कि किसी विपक्षी नेता ने क्या कहा, मुझे दिलचस्पी है कि कांग्रेस पार्टी क्या कर रही है. हमारी सरकार जो कर रही है उसमें मेरी दिलचस्पी है और मुझे लगता है… व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि जहां तक इस अध्यादेश का सवाल है तो हमारी सरकार ने जो किया है वो ग़लत है. धन्यवाद.”
इस क्लिप में अध्यादेश फाड़े जाने का एकमात्र संदर्भ ये है कि राहुल गांधी ने कहा था “इसे फाड़कर फेंक देना चाहिए.” उन्होंने असल में अध्यादेश को नहीं फाड़ा था.
इसके बाद हमने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट देखी जो इस प्रेस कांफ्रेंस के अगले ही दिन पब्लिश की गई थी. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने लिखा कि राहुल गांधी ने उस दिन हस्तक्षेप करते हुए “विवादास्पद कानून” के फ्यूचर को सील कर दिया, और तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह इस वजह से वाशिंगटन डीसी में बराक ओबामा के साथ बैठक से कुछ घंटे पहले शर्मिंदा हुए.
रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि राहुल गांधी ने अध्यादेश पर नाराज़गी व्यक्त करने के लिए पीएम को लेटर लिखा था. इसमें कहा गया है कि “राहुल ने पीएम को लिखे अपने लेटर में सम्मानजनक शब्दों का ध्यान रखा था. लेकिन प्रेस मीट में उनके द्वारा दिए गए बयान से ये धारणा दूर नहीं हुई कि इस आलोचना ने मनमोहन सिंह के अधिकार को कम कर दिया था.”
इसमें राहुल गांधी द्वारा कथित तौर पर अध्यादेश की धज्जियां उड़ाने का ज़िक्र है. लेकिन इस मुहावरे का इस्तेमाल वास्तविक के बजाय शाब्दिक तौर पर किया गया है.
ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब पर अपलोड की गई CNN IBN की एक क्लिप भी मिली जिसमें राहुल के आने और जाने के टाइमस्टैम्प के साथ घटना को शॉर्ट में पेश किया गया है. इस पूरी क्लिप में कहीं भी राहुल गांधी को अध्यादेश फाड़ते हुए नहीं दिखे. अध्यादेश को “फाड़” देने वाले सभी संदर्भ, मुहावरे की तरह ही इस्तेमाल किये गए हैं. 2013 की टाइम्स नाउ की एक क्लिप में भी अध्यादेश की कॉपी को सच में फाड़ने जैसा कुछ भी नहीं देखा गया.
असंबंधित तस्वीर
कागज के टुकड़े को फाड़ते हुए राहुल गांधी की वायरल तस्वीर 2012 की है. हमने गूगल पर की-वर्ड्स सर्च किया. हमें NDTV की एक रिपोर्ट मिली जिसमेंरैली के दौरान एक पेपर फाड़ने का ज़िक्र था. इसमें वो चुनावी वादों को सूचीबद्ध करने वाले एक पेपर को फाड़ रहे हैं.
एक ट्विटर यूज़र ने उसी दिन ट्वीटर पर इस लिस्ट का क्लोज़-अप शेयर किया था. (आर्काइव)
Rahul Gandhi’s truth list which he rips in rally pic.twitter.com/fEGMgw3t
— Ankush Pandey (@ankushraj29) February 16, 2012
कुल मिलाकर, राहुल गांधी द्वारा कागज का टुकड़ा फाड़ने की तस्वीर 2012 की एक रैली की है और इसका 2013 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश से कोई लेना-देना नहीं है. असल में ये दावा कि राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अध्यादेश की एक कॉपी फाड़ी थी, मीडिया की गलत रिपोर्ट का परिणाम है. उन्होंने अध्यादेश की ज़ोरदार आलोचना की और रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी आपत्ति की वजह से इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद भी वापस ले लिया गया. लेकिन उन्होंने अध्यादेश की एक कॉपी को वाकई में नहीं फाड़ा था.
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