13 अक्टूबर को, गुरुग्राम जिला न्यायाधीश की पत्नी और पुत्र को उनके व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) ने ड्यूटी के दौरान दिन-दहाड़े गोली मार दी। 16 अक्टूबर को, पुलिस ने घोषित किया कि हत्या के पीछे एकमात्र मकसद “अचानक क्रोध” था। कई शुरुआती मीडिया रिपोर्टों ने पुलिस जांच पूरी होने से पहले ही, इन हत्याओं को “धर्म परिवर्तन” से जोड़ दिया। उन्होंने घोषणा कर दी कि सुरक्षा अधिकारी महिपाल ने ईसाई धर्म अपनाने के लिए न्यायाधीश के परिवार पर दबाव बनाया था जिससे लगातार तकरार होती थी और बाद में यह हमला हुआ। इन रिपोर्टों का आधार अपराधी का आध्यात्मिक झुकाव और पुलिस पूछताछ के दौरान दिए उसके कई बयान थे।

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण ने पहली बार 13 अक्टूबर को इस घटना की सूचना दी थी, जिसके अनुसार हत्या के पीछे महिपाल के मकसद का पुलिस द्वारा निर्धारण अभी बाकी था। हालांकि, एक और रिपोर्ट में इस हिंदी समाचार संस्थान ने यह बताया कि “पूरा मामला धर्म परिवर्तन से जुड़ा हुआ है।”

यह लेख इस रिपोर्ट के साथ शुरू हुआ कि पुलिस महिपाल के “गुरु” और “गुरु मा” की तलाश में थी। इस लेख में पिछले समय में हुई घटनाओं के बारे में बताया गया है, जब, “सीआईडी सूत्रों” के अनुसार, दोनों को चिकित्सा सहायता के बदले लोगों का धर्म परिवर्तन करने के लिए हिरासत में लिया गया था। महिपाल भी कथित रूप से इसमें शामिल थे। दैनिक जागरण ने बताया- “सीआईडी सूत्रों की मानें तो महिपाल अभी तक 2 दर्जन से अधिक युवाओं का धर्म परिवर्तन करा चुका है।”

महिपाल और उसके ‘ईसाई’ झुकाव में संबंध स्थापित करने के तुरंत बाद, दैनिक जागरण ने इसे हत्या से जोड़ दिया। इसे उपशीर्षक में फिर दोहराया गया- “जज की पत्नी और बेटे पर धर्म परिवर्तन के लिए बना रहा था दबाव”। यह रिपोर्ट कहती है कि न्यायाधीश कांत की पत्नी रेणु और बेटे ध्रुव ने महिपाल के धार्मिक दबाव का विरोध किया, जिससे उसने उनके साथ अशिष्टतापूर्ण व्यवहार किया और भारी गुस्से में आ गया। दैनिक जागरण ने घोषणा कर दी- “इसी वजह से आरोपी ने रेणु और उनके बेटे ध्रुव को शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर 49 स्थित आर्केडिया मार्केट में गोली मार दी।”

दैनिक भास्कर

दैनिक भास्कर ने 15 अक्टूबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था- “जज फैमिली हत्याकांड : तो क्या सिर्फ इसलिए गनर ने भरे बाजार जज की पत्नी-बेटे को मारी थी गोली, शूटआउट में हुई अब ‘गुरु’ और ‘गुरु मा’ की एंट्री”

मीडिया संस्थान ने “धर्म परिवर्तन गिरोह” के बारे में बताया, जो महिपाल के कथित ‘गुरु’ इंद्रराज द्वारा चलाया जाता था। पुलिस भी इस ‘गुरु’ और एक और ‘गुरु मा’ को खोज रही थी, जिनका आरोपी पर जबरदस्त प्रभाव दिखता था।

बाद के एक पैराग्राफ में, दैनिक भास्कर ने अपना निर्णय घोषित किया कि हत्या के पीछे ‘धर्म परिवर्तन’ का उद्देश्य था – “मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों से यह भी पता चला है कि महिपाल कई महीनों से जज की फैमिली पर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था। यह भी कहा जा रहा है कि एक महीने से इस बात को लेकर जज के परिवार से उसका झगड़ा भी हो रहा था। शनिवार को मौका पाकर उसने जज की पत्नी-बेटे को गोली मार दी।”

वनइंडिया

15 अक्टूबर को, वनइंडिया ने इस घटना की रिपोर्ट “गुरुग्राम गोलीकांड : धर्म परिवर्तन रैकेट में शामिल था गनर महिपाल, जज की पत्नी को क्रिश्चियन बनाना चाहता था” शीर्षक से प्रकाशित की।

रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरुग्राम की पत्नी रेणु व उनके बेटे ध्रुव पर महिपाल यादव धर्म परिवर्तन का दवाब डाल रहा था। दोनों ने उसकी बात नहीं मानी, तो आरोपी ने उनके साथ अभद्र व्यवहार और उन पर गुस्सा करना शुरू कर दिया था। सूत्रों का दावा है कि इसी वजह से आरोपी ने रेणु और उनके बेटे ध्रुव को शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर 49 स्थित आर्केडिया मार्केट में गोली मार दी।

इस समाचार संगठन की रिपोर्ट दैनिक जागरण के समान थी। जैसा कि बाद में लिखा था, वनइंडिया ने लिखा कि महिपाल ने जज की पत्नी और पुत्र की हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने जबरन धर्म प्रसार का विरोध किया था।

इनाडु इंडिया

समाचार संगठन इनाडु इंडिया ने भी 17 अक्टूबर की रिपोर्ट में घोषणा की कि जज कांत की पत्नी और बेटे की इसलिए हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने महिपाल द्वारा उन पर थोपे गए धर्म परिवर्तन का विरोध किया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, “महिपाल, जज की पत्नी रेणु व उनके बेटे ध्रुव पर भी पिछले काफी समय से धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा था. दोनों ने उसकी बात नहीं मानी, तो आरोपी ने उन पर गुस्सा करना शुरू कर दिया था. इसी वजह से आरोपी ने रेणु और उनके बेटे ध्रुव को शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर-49 स्थित आर्केडिया मार्केट में गोली मार दी।”

आज तक

समाचार संगठन आज तक ने शुरुआती रिपोर्ट में इस घटना को महिपाल की ‘ईसाई’ संबंधों के लिए दीवानगी बताया। पुलिस जांच में उसका आध्यात्मिक झुकाव सामने आने के बाद, आज तक ने एक और रिपोर्ट प्रकाशित की जो घुमा-फिरा कर इन हत्याओं को धर्म परिवर्तन से ही जोड़ता था।

आज तक की रिपोर्ट थी- “उसने हिन्दू धर्म को त्याग कर ईसाई धर्म अपनाया था. बताया जा रहा है कि धार्मिक बातों पर जज की पत्नी के साथ उसकी बहस होती थी. पुलिस हिरासत में भी महिपाल कह रहा था कि धर्म परिवर्तन को लेकर जज की पत्नी उसे परेशान करती थी।”

हालांकि लेख स्पष्ट रूप से ‘धर्म परिवर्तन’ को हत्या से लिंक नहीं करता था, फिर भी इसका शीर्षक उत्तेजक शब्दों में और उसी मकसद से लिखा गया था।

स्वराज्य

14 अक्टूबर को, स्वराज्य ने “भारत में ‘एक क्रिश्चियन का फैसला?’ गुरुग्राम हत्याकांड की जांच एक नवपरिवर्तित के कट्टर इंजीलवादी कृत्य के रूप में हो रही” (अनुवाद) शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया। यह शीर्षक में साफ़ लिखा गया था कि ‘धर्म परिवर्तन’ पुलिस जांच की महज एक दिशा न थी, बल्कि हत्या के पीछे के संभावित मकसद के रूप में इसकी जांच की जा रही है।

रिपोर्ट ने दावा किया कि महिपाल ने कथित तौर पर जज के परिवार को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया था। संयोग से, स्वराज्य ने भी पुलिस आयुक्त के के राव का हवाला दिया, जिन्होंने महिपाल के ईसाई झुकाव का संकेत तो दिया था, लेकिन यह स्थापित नहीं किया था कि हत्या की जांच ‘कट्टर इंजीलवादी’ कृत्य के रूप में की जा रही थी। राव ने कहा, “जांच जारी है और हमारा अभी असली मकसद जानना बाकी है। हाँ, वह बाइबल के बारे में बात कर रहा था।”

स्वराज्य ने पहले जिक्र किए गए हिंदी समाचार संगठनों के विपरीत, हत्या को, धर्म परिवर्तन या इसे लेकर परिवार के विरोध से, सीधे नहीं जोड़ा, लेकिन, रिपोर्ट में प्रयुक्त पक्षपातपूर्ण भाषा महिपाल के आध्यात्मिक झुकाव को जाँच से पहले ही दोषी ठहराती थी।

ओपइंडिया

ओपइंडिया की रिपोर्ट स्वराज्य के समान थी। 14 अक्टूबर के इसके लेख का शीर्षक था – “गुरुग्राम दोहरा हत्याकांड एक नवपरिवर्तित के कट्टर इंजीलवाद का परिणाम माना जा रहा है”। (अनुवाद)

पहले पैराग्राफ में यह मीडिया संस्थान संयोगवश जानकारी के स्रोत के लिए स्वराज्य से हाइपरलिंक किया गया था – “प्रारंभिक जांच स्थापित करती है कि यह हत्या बंदूकधारी के कट्टर इंजीलवाद का परिणाम हो सकती है।” (अनुवाद)

ओपइंडिया के लेख में स्वराज्य की रिपोर्ट से भारी समानता थी। हालांकि शीर्षक में धर्म परिवर्तन और हत्या के बीच संबंध दिखलाने का प्रयास था, फिर भी, संस्थान ने इन सबको एक साथ नहीं जोड़ा।

दूसरे मीडिया संगठनों ने ‘ईसाई’ एंगल को कैसे रखा

13 अक्टूबर की घटना के बाद, गुरुग्राम पुलिस ने अपराध के पीछे संभव मकसद की जांच शुरू की। इसके लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का भी गठन किया गया। पुलिस उन सभी पहलुओं की जांच कर रही थी जिस वजह से महिपाल अपने नियोक्ताओं को गोली मार दी थी। जांच के दौरान, महिपाल का धार्मिक झुकाव प्रकट हुआ। कई समाचार संगठनों ने इसे ही हत्या का उद्देश्य घोषित कर दिया। हालांकि, कई अन्य समाचार संगठनों ने अपनी रिपोर्ट में इसे केवल पुलिस की खोज तक ही सीमित रखा और जाँच से पहले इसे हत्या से जोड़ने से परहेज किया।

एनडीटीवी ने इस घटना पर कई रिपोर्ट प्रकाशित की (1, 2, 3, 4)। इनमें से कोई अपराध को कट्टर इंजीलवाद से नहीं जोड़ता है, न ही, किसी पुलिस अधिकारी को इस प्रकार उद्धरित करता है कि हत्या के पीछे का उद्देश्य ईसाई धर्म अपनाने को लेकर रेणु का विरोध था।

द टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी विस्तृत रूप से इस अपराध को कवर किया। अपनी रिपोर्ट में मीडिया संगठन ने महिपाल के धार्मिक झुकाव की बात की, लेकिन लेख के शीर्षक में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि पुलिस के हाथ ‘कोई सूत्र न था’ और वह आरोपी के आध्यात्मिक गुरु की तलाश में थी। यह रिपोर्ट 15 अक्टूबर को प्रकाशित हुई थी, जबकि उसी दिन दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर और वनइंडिया ने कट्टर इंजीलवाद को हत्या के पीछे का मकसद घोषित कर दिया था।

द टाइम्स ऑफ इंडिया में यह भी बताया गया है कि पुलिस जांच में पाया गया कि महिपाल पर उसके ‘गुरु’ और ‘गुरु मां’ का बड़ा प्रभाव था। लेकिन, मीडिया संस्थान ने इस बयान के साथ यह भी लिखा – “लेकिन इसमें से किसी ने भी अभी तक उनकी (पुलिस की) मदद नहीं की है कि ऐसा क्या था जिससे एक आदमी, जिसका गलत करने या हिंसक व्यवहार का कोई अतीत न था, उसने उस परिवार को गोली मार दी, जिसकी रक्षा की उसपर जिम्मेदारी थी…” (अनुवाद)

अक्टूबर 16 की रिपोर्ट में, द टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक न्यायिक अधिकारी, जो जज कांत के सहकर्मी भी हैं, का यह कहते हुए उल्लेख किया- “गोली चलाते समय (रितु और ध्रुव पर) गार्ड को ‘डेविल’ और ‘शैतान’ कहते सुना गया। इस तरह के शब्दों का उपयोग कुछ और इंगित करता है। यह सामान्य तनाव और निराशा को नहीं दर्शाता है।” कई मीडिया संगठनों द्वारा इसे ‘पैशाचिक’ रूप में समझा गया। हालांकि, द टाइम्स ऑफ इंडिया ने डीसीपी सुलोचना गजराज, जो हमले की जांच कर रहे विशेष जांच दल की प्रमुख हैं, का यह कहते हुए उल्लेख किया था- पूछताछ में महिपाल ने पुलिस को बताया कि उन शब्दों से उसका मतलब “खराब और गंदा व्यक्ति” था।

पुलिस उपायुक्त (अपराध) सुमित कुमार ने हिंदुस्तान टाइम्स को ‘डेविल’ और ‘शैतान’ के उपयोग को लेकर वैसा ही बयान दिया। इसे 14 अक्टूबर के लेख में दिया गया था।

इस मीडिया संस्थान द्वारा 15 अक्टूबर को प्रकाशित रिपोर्ट में, डीसीपी कुमार ने यह भी कहा कि “महिपाल धर्म से संबंधित वीडियो देखा करता था और संदेह है कि वह ‘धर्मांतरण’ शिविरों में भाग लिया करता था।” हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स ने बाद के वाक्य में स्पष्ट किया है कि समाचार संगठन “स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका” और यह कि “पुलिस भी नहीं समझा सकी कि ऐसे शिविरों में उसकी कथित उपस्थिति का शनिवार की फायरिंग से कैसे संबंध हो सकता है।”

द ट्रिब्यून द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट, कि महिपाल बाइबल के बारे में बोल रहा था, का कई मीडिया संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किया गया था। इस रिपोर्ट को इस समाचार संगठन द्वारा 14 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया था और उसमें यह बताया गया था कि महिपाल ने जांच अधिकारियों से बाइबल के बारे में बात की। उसने कहा कि “राक्षसों को खत्म करना हर ईसाई का कर्तव्य था।” हालांकि, तत्काल बाद के पैराग्राफ में, द ट्रिब्यून ने पुलिस आयुक्त केके राव का उल्लेख किया, जिन्होंने कहा, “जांच जारी है और हमारा अभी असली मकसद जानना बाकी है। हाँ, वह बाइबल के बारे में बात कर रहा था।”

16 अक्टूबर को एक और रिपोर्ट सामने आई जिसे न्यूज़18 ने प्रकाशित किया था। समाचार संगठन ने आरोपी के गांव का दौरा किया और यह समझने के लिए, कि हत्या के लिए उसे कहाँ से उकसाया गया, उसके परिवार के सदस्यों से बात की। न्यूज़ 18 की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, महिपाल का व्यक्तिगत जीवन परेशानी से भरा था और 2014 में, उसने ईसाई धर्म अपना लिया। कई रिश्तेदारों ने इसका विरोध भी किया था। हालांकि, हमले की खबर सुनकर वे चौंक गए, क्योंकि महिपाल के व्यवहार के चलते उनके पास ऐसा सोचने का भी कोई कारण नहीं था।

हरियाणा पुलिस प्रमुख बी एस संधू ने कहा कि मकसद अभी भी स्पष्ट नहीं था क्योंकि महिपाल के हिंसक व्यवहार का पहले कोई रिकॉर्ड नहीं था। न्यूज़18 के अनुसार, उन्होंने कहा, “हम इस भयावह कृत्य के पीछे के कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले को हल करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।” (अनुवाद) एक ओर, महिपाल के कुछ दोस्तों ने कहा कि वह अपने काम से नाखुश था क्योंकि जज का परिवार उसे घर के काम से दौड़ाता रहता था। दूसरी ओर, पुलिस के लिए हमले का मकसद पता करना बाकी था।

 

हत्या का महिपाल के आध्यात्मिक झुकाव से कोई संबंध नहीं: पुलिस

 

हरियाणा पुलिस ने 16 अक्टूबर को इस हमले को लेकर अपनी जांच के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया। डीसीपी (अपराध) सुमित कुमार ने कहा, “मामले के सभी पहलुओं की जांच करने के बाद, हम निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि जब जज की पत्नी और बेटे गुरुग्राम के आर्केडिया बाजार में खरीददारी करने चले गए, तब महिपाल कार की देखभाल छोड़कर कहीं चला गया। समय पर वापस नहीं लौटने पर जब उससे सवाल किया गया और उसे डांटा गया, तो उसने गुस्से में दोनों को गोली मार दी।”

एक रिपोर्टर ने सवाल उठाया कि क्या हत्या के पीछे एकमात्र मकसद यही था, जिसके लिए डीसीपी कुमार ने जवाब दिया, “महिपाल ने जज के परिवार की सराहना की और कहा कि उन्होंने कभी परेशान नहीं किया।” उन्होंने आगे जोड़ा कि अभियुक्त एकाएक गुस्सा हो गया था, और हत्या के पीछे एकमात्र मकसद क्रोध ही था, जो उसे तब आ गया था, जब उसकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाया गया और उसे कार की चाबियाँ सौंप देने के लिए कहा गया था।

डीसीपी कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि महिपाल के परिवार का कहना कि वह काम के भारी दबाव में था, यह पुलिस द्वारा प्राप्त जानकारी नहीं थी, इसकी सूचना केवल मीडिया द्वारा दी गई थी।

ऑल्ट न्यूज़ ने डीसीपी कुमार से संपर्क किया और पूछा कि क्या जांच में कट्टर इंजीलवाद और हमले के बीच कोई संबंध है, तो अधिकारी ने स्पष्ट रूप से दोहराया कि हत्या के पीछे एकमात्र मकसद “अचानक क्रोध” था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, पहले हत्या को ‘धर्म परिवर्तन’ से जोड़ने वाले समाचार संगठनों ने अब पुलिस के बयानों की रिपोर्ट की। हालांकि, उनमें से किसी ने भी गलत तरीके से पहले की गई अपनी रिपोर्टिंग के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। इस बीच, उनकी गलत रिपोर्टिंग के आधार पर सोशल मीडिया में ‘इंजीलवाद’ का थ्योरी वायरल रहा।

स्वराज्य के पत्रकार विकास सारस्वत ने दोषपूर्ण मीडिया रिपोर्टों के आधार पर ट्वीट की एक पूरी कड़ी बनाई और चित्रित किया कि यह हत्या कट्टर इंजीलवाद से जुड़ी हुई थी।

मधु किश्वर, जिन्होंने पहले भी कई बार गलत सूचनाएं प्रसारित की हैं, ने सारस्वात के ट्वीट को यह जोड़ते हुए रीट्वीट किया- “लेकिन अंग्रेजी पत्र इस तथ्य को छुपा रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में आक्रामक रूप से पांव जमाए चर्चों को देखते हुए इनके साथ वित्तीय लालच समेत विविध तरीकों से पागलपन भरे मानसिक खेल मिशनरियों द्वारा खेले जा रहे हैं, वे समाज के असहज और समाज विरोधी तत्वों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।” (अनुवाद) किश्वर को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी फॉलो करते हैं।

एक और स्वाभाविक संदिग्ध प्रशांत पटेल उमराव ने भी हमले पर ट्वीट् किया।

ऐसे समय में, जब देश में निहित स्वार्थों को लेकर सांप्रदायिक अलगाव बढ़ा हुआ है, मीडिया की भूमिका उत्तेजना फैलाना नहीं, बल्कि निष्पक्ष जानकारी प्रस्तुत करना है। ‘ब्रेकिंग’ समाचार की भागदौड़ में, सनसनीखेज ख़बरें अधिकतम दर्शक सुनिश्चित करते हैं, लेकिन समय से पहले और/या पूर्वाग्रहग्रस्त रिपोर्टिंग न केवल तथ्य को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है, बल्कि जनता की राय को भी भटकाती है। ‘गुरुग्राम हत्याकांड’ को ‘कट्टर इंजीलवाद’ की दिशा देना भड़काऊ रिपोर्टिंग का कोई अकेला उदाहरण नहीं था। इस महीने के शुरू में ही, कई समाचार संगठनों ने अंकित गर्ग की हत्या पर भी सांप्रदायिक नफरत की आग को भड़काया था।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.