31 वर्षीय शिक्षक अंकित कुमार गर्ग को 1 अक्टूबर को दिल्ली में गोली मार दी गई। घटना के तुरंत बाद, कई समाचार संगठनों ने बताया कि यह ऑनर किलिंग का मामला था। इन ख़बरों का आधार पीड़ित के परिवार द्वारा लगाया गया आरोप था कि जिस मुस्लिम लड़की के साथ उसके संबंध थे, उसी के परिवार द्वारा अंकित की हत्या हुई थी।

मीडिया ने इस घटना को कैसे रिपोर्ट किया

2 अक्टूबर को, ज़ी न्यूज ने इस घटना की रिपोर्ट “अंकित को प्यार की सजा या हिंदू होने की सजा?” शीर्षक के साथ की थी। रिपोर्ट में पूछा गया कि क्या अंकित गर्ग और अंकित सक्सेना की मौत का कारण धर्म था। यहां यह याद दिलाने की जरूरत है कि फरवरी 2018 में, 23 वर्षीय अंकित सक्सेना को उस लड़की के परिवार ने मार डाला था जिससे वह प्यार करता था।

दरअसल ज़ी न्यूज ने तो #मर्डर पर सेकुलर सन्नाटा (#MurderParSecularSannata) हैशटैग के साथ एक प्राइम टाइम शो भी प्रसारित किया था और पूछा था कि मज़हब के नाम पर कितने अंकित का मर्डर ? नाम अंकित इसलिए हत्या पर सन्नाटा ? मोहब्बत से बड़ा मज़हब है ?

न्यूज़ 18 में इस घटना की रिपोर्ट का शीर्षक था “मुस्लिम छात्रा के साथ ‘रिश्ते’ के कारण दिल्ली के शिक्षक की गोली मारकर हत्या”। रिपोर्ट ‘सूत्रों’ के आधार पर थी, जिसमें बताया गया था कि मुस्लिम महिला और पीड़ित शादी करना चाहते थे, लेकिन लड़की के भाई ने इस संबंध का विरोध किया क्योंकि वे दोनों अलग-अलग धर्मों के थे। घटना की रिपोर्ट करने के लिए चैनल द्वारा उपयोग किया गया हैशटैग था #बुलेट फ़ॉर लव (#BulletForLove)

आज तक ने भी बताया कि मुस्लिम लड़की के साथ रिश्ते के कारण अंकित की हत्या हुई थी। एक और लोकप्रिय हिंदी प्रकाशन, दैनिक भास्कर ने भी बताया कि किसी अन्य समुदाय से संबंधित लड़की, जिसके साथ अंकित ‘रिश्ते’ में था, के भाई के द्वारा अंकित की हत्या हुई थी। टाइम्स नाउ हिंदी ने भी 2 अक्टूबर को बताया कि अंकित को इसलिए मार डाला गया क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था। रिपोर्ट का शीर्षक था, ““दिल्ली: एक और ‘अंकित’ को उतारा मौत के घाट, मुस्लिम लड़की से करता था प्यार” “। द प्रिंट (The Print) ने बताया कि “दिल्ली के ट्यूशन शिक्षक को मुस्लिम छात्रा के साथ ‘संबंध’ के कारण गोली मार दी गई।” हालांकि इन समाचार संस्थानों की रिपोर्ट में पीड़ित के परिवार द्वारा आरोप लगाने का उल्लेख किया गया था, फिर भी, इस घटना की प्रस्तुति भ्रामक और भड़काऊ थी।

दैनिक भारत जो एक नकली समाचार वेबसाइट है, ने इस घटना की रिपोर्ट का संभवतः अपना सबसे भड़काऊ शीर्षक दिया था – “ये है हिन्दू लड़का अंकित – मुस्लिम लड़की से दोस्ती पर उतार दिया मौत के घाट , न मीडिया न केजरीवाल”

बीबीसी और एनडीटीवी की रिपोर्ट

दूसरी तरफ, एनडीटीवी इंडिया की रिपोर्ट का शीर्षक था – “दिल्ली में एक और ‘अंकित’ की हत्या, बहन ने कहा- दूसरे समुदाय की लड़की से था प्रेम-संबंध”। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पीड़ित के परिवार को शक था कि उसका रिश्ता ही उसकी मौत का कारण था। बीबीसी समाचार हिंदी की रिपोर्ट का शीर्षक था “प्रेस रिव्यू: फिर एक अंकित की हत्या, दूसरे धर्म में प्यार की सज़ा?”। इस रिपोर्ट के शीर्षक में ऑनर किलिंग के थ्योरी को प्रश्न चिह्न के साथ पेश किया गया। दिलचस्प बात यह है कि टाइम्स नाउ ने बताया कि पीड़ित की बहन ने लड़की के परिवार को हत्या के लिए दोषी ठहराया है, जबकि हमने ऊपर देखा है कि टाइम्स नाउ के ही हिंदी संस्करण ने घटना को सांप्रदायिक रंग देकर पेश किया गया था।

चैनल न्यूज़ 24 (News24) के वरिष्ठ एंकर माणक गुप्ता ने 2 अक्टूबर को ट्वीट किया कि अंकित की हत्या हुई थी क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था।

पत्रकार रिचा अनिरुद्ध ने अपने ट्वीट में यही दोहराया; ऐसा ही स्वराज में काम करने वाले विकास सारस्वत और पत्रकार जागृति शुक्ला ने किया।

यह ध्यान देने योग्य है कि हत्या के बाद, पीड़ित की बहन ने आरोप लगाया था कि वह ऑनर किलिंग के मामले में मारा गया था।

सोशल मीडिया पर ज़हर

दिल्ली के भाजपा सांसद परवेश साहिब सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मामले पर निशाना बनाया कि विवेक तिवारी की हत्या का राजनीतिकरण उन्होंने किया लेकिन अंकित गर्ग के बारे उन्होंने कुछ नहीं कहा जबकी यह दिल्ली का मामला था।

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल को निशाना बनाया। दिल्ली भाजपा के महासचिव रविंदर गुप्ता ने भी वही दोहराया।

सोशल मीडिया पर जाने-माने संदिग्धों ने इस मुद्दे को सांप्रदायिक बनाने के लिए इस ‘समाचार’ का भरपूर इस्तेमाल किया। इन सबमें प्रशांत पटेल उमराव जो निरंतर भ्रामक जानकारी फैलाते हैं, उन्होंने भी ट्वीट किया। 1 अक्टूबर के उनके ट्वीट को 4300 बार से अधिक रीट्वीट किया गया था।

दक्षिणपंथी सोशल मीडिया उपयोगकर्ता सोनम महाजन ने भी इसके बारे में ट्वीट किया, जिसे 3700 बार से अधिक रीट्वीट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्विटर पर फ़ॉलो किए जाने वाले एक अन्य सोशल मीडिया यूजर शेखर चहल ने भी यह पूछते हुए ट्वीट किया कि मीडिया और अरविंद केजरीवाल चुप क्यों थे।

उपरोक्त सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं में से किसी ने पुलिस द्वारा स्पष्टीकरण के बावजूद अपने ट्वीट को नहीं हटाया है।

ऑनर किलिंग का मामला नहीं

अंकित कुमार गर्ग की हत्या ऑनर किलिंग का मामला नहीं है। 5 अक्टूबर, 2018 को एक प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा दिल्ली पुलिस ने इसकी पुष्टि की थी। प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 21 वर्षीय आकाश को गर्ग की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली स्थित पत्रकार राजशेखर झा ने अपराध के सीसीटीवी वीडियो को ट्वीट किया है, जिसमें आरोपी को अपराध के स्थान से बचते हुए देखा जा सकता है।

मीडिया संगठनों द्वारा बाद की रिपोर्टिंग

यह पुष्टि होने के बाद कि 21 वर्षीय आकाश को मामले के आरोपी के रूप में गिरफ्तार कर लिया गया है, 6 अक्टूबर को ज़ी न्यूज़ उनमें से था, जिन्होंने इस नए विवरण की सूचना दी थी। हालांकि हत्या के तत्काल बाद, घटना की इसकी रिपोर्ट भड़काऊ थी। टाइम्स नाउ ने नए विवरण की सूचना नहीं दी। इसके सहयोगी संस्थान टाइम्स ऑफ इंडिया ने उसी दिन एक लेख प्रकाशित किया कि एक बीटेक छात्र गर्ग की हत्या के लिए पकड़ा गया है। आज तक ने भी बाद में बताया कि हत्या के चार दिन बाद, इस मामले में गिरफ्तार आरोपी पीड़ित का छात्र है। न्यूज़ 18 ने भी नवीनतम विवरण की सूचना दी और इसी तरह दैनिक भास्कर ने भी। हालांकि, द प्रिंट ने बाद के विवरण की सूचना नहीं दी।

जिन मीडिया संगठनों ने शुरू में बताया था कि हत्या अलग समुदायों के बीच प्रेम संबंध की परिणाम थी, उन्होंने पीड़ित की बहन के दावे के आधार पर रिपोर्ट की थी। फिर भी, इन समाचार संगठनों द्वारा दिए गए शीर्षक भ्रामक थे। हालांकि बाद में उन्होंने बताया कि आरोपी पीड़ित व्यक्ति का छात्र था जिसे गिरफ्तार किया गया था; फिर भी इस घटना की शुरुआती रिपोर्टों ने सांप्रदायिकता रंग देने में मदद की, और जिसे सोशल मीडिया में नफरत बांटने वालों ने और बढ़ा दिया। ऐसे समय में, जब निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा सांप्रदायिक विभाजन को बढाने के प्रयास हो रहे हैं, तो पूर्वाग्रहों से लैस मीडिया रिपोर्ट इसे बढ़ाने का कार्य करती है। जिन समाचार संस्थानों ने पीड़ित के रिश्तेदारों के आरोप के आधार पर घटना को सांप्रदायिक रूप दिया, उन्होंने अपनी गलत रिपोर्टिंग पर अभी तक खेद व्यक्त नहीं किया है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.