राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक, मोहन भागवत, 19 फ़रवरी 2020 को रांची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में थे. तब से कई मीडिया संस्थानों ने मोहन भागवत के एक बयान की रिपोर्ट चलाई, जिसके अनुसार उन्होंने कहा, “राष्ट्रवाद शब्द का इस्तेमाल करने से बचिए, क्योंकि ये हिटलर के नाज़ी से आया है.”
ये रिपोर्ट सबसे पहले ANI (आर्काइव लिंक) ने पब्लिश की. बाद में इसके आधार पर द क़्विंट (आर्काइव लिंक), एनडीटीवी (आर्काइव लिंक) और इकॉनमिक टाइम्स (आर्काइव लिंक) ने रिपोर्ट छापी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया (आर्काइव लिंक) ने अपनी रिपोर्ट में प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (पीटीआई), जबकि द हिंदू (आर्काइव लिंक) ने पीटीआई और आइएएनएस को अपनी रिपोर्ट का सोर्स बताया.
इंडिया टुडे (आर्काइव लिंक) और हिंदुस्तान टाइम्स (आर्काइव लिंक) स्वतंत्र रिपोर्ट पब्लिश की.
एनडीटीवी ने भागवत की स्पीच को टीवी पर भी दिखाया. इसमें दावा किया गया कि भागवत ने कहा कि राष्ट्रवाद से नाज़ीवाद की झलक आती है.
कई ट्विटर अकाउंट्स ने भी इस वायरल दावे को शेयर किया.
फ़ैक्ट-चेक
यूट्यूब पर की-वर्ड सर्च किया तो हमें 19 फ़रवरी की मोहन भागवत की पूरी स्पीच मिली. इसे वीएसके झारखंड ने दो हिस्सों (पार्ट 1, पार्ट 2) में अपलोड किया है. पहले पार्ट में 4:00 मिनट पर, मोहन भागवत राष्ट्रवाद के बारे में बोलना शुरू करते हैं. इससे पहले वो आरएसएस की नीतियों और उसके भारत के विकास में योगदान पर बात करते हैं.
4:30 मिनट पर, भागवत ने अपनी UK यात्रा के अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा, “कुछ वर्ष पूर्व संघ की योजना से UK जाना हुआ तो वहां के बुद्धिजीवियों से बात होती थी. चालीस पचास शहरी लोगों से संघ के बारे में चर्चा हुई. वहां के अपने कार्यकर्ता ने कहा कि शब्दों के अर्थों के बारे में सावधान रहिए, अंग्रेज़ी आपकी भाषा नहीं है”.
अगले हिस्से में भागवत कार्यकर्ता की बातों को उसी के शब्दों में रखते हैं – “आपने पुस्तक में जो अंग्रेज़ी पढ़ी है, उसके अनुसार बोलेंगे. परंतु, यहां बातचीत में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं. इसलिए आप नेशनलिज्म शब्द का उपयोग मत कीजिए.”
5:17 मिनट पर, भागवत कार्यकर्ता की बात को उद्धृत करते हुए आगे कहते हैं, “आप नेशन कहेंगे चलेगा, नेशनल कहेंगे चलेगा, नेशनैलिटी कहेंगे चलेगा, नेशनलिज़्म मत कहो. क्योंकि नेशनलिज़्म का मतलब होता है हिटलर, नाज़ीवाद और फ़ासीवाद. अब ऐसे ही शब्द वहां बदनाम हुआ है. परंतु हम जानते हैं कि एक राष्ट्र के नाते भारत जब-जब बड़ा हुआ तब तब दुनिया का भला ही हुआ है.”
आरएसएस दिल्ली स्टेट एग्जीक्यूटिव के सदस्य राजीव तुली ने ऑल्ट न्यूज़ से बात की और कहां, “मोहन भागवत जी अपनी यूके की यात्रा का एक किस्सा सुना रहे थे. मीडिया संगठनों ने उनके कहे को तोड़-मरोड़ कर पेश किया.”
आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत वहां पर संघ के कार्यकर्ता की बातों का ज़िक्र कर रहे थे, जिससे वो यूके में मिले थे. इसलिए, ये शब्द मोहन भागवत के नहीं हैं बल्कि कार्यकर्ता के द्वारा कहे गए थे.
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