2 सितंबर को मैसूर के एक अखबार ‘स्टार ऑफ़ मैसूर‘ ने रिपोर्ट किया कि शहर के हुनसुर रोड पर 21 साल की इंजीनियरिंग छात्रा, अपूर्वा शेट्टी की एक प्राइवेट होटल में हत्या कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक़, पीड़िता एक व्यक्ति के साथ होटल में रुकी थी. माना जा रहा है कि वो उसका प्रेमी था जिसने कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी. और फिर अकेले होटल से निकल गया. रिपोर्ट में ये भी ज़िक्र किया गया है कि आरोपी का नाम आशिक है और उसकी उम्र 28 साल है. आरोपी कथित तौर पर हिंकल गांव का निवासी है.

इस मामले के संदर्भ में सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार सागर कुमार ने इस न्यूज रिपोर्ट से पीड़िता और आरोपी का एक फ़ोटो कोलाज ट्वीट करते हुए कैप्शन में लिखा, “मेरे वाला अब्दुल ऐसा नहीं है.”

उनके ट्वीट का मतलब था कि ये एक अंतर्जातीय संबंध था क्यूंकि आरोपी का नाम सुनने में मुस्लिम नाम जैसा लगता है. हिंदू महिलाओं और मुस्लिम पुरुषों के बीच अंतर्जातीय संबंधों को अक्सर “लव जिहाद” का नाम दिया जाता है. ‘लव जिहाद’ के अनुसार, कथित तौर पर मुस्लिम लड़कों को ये ट्रेनिंग दी जाती है कि वो हिंदू लड़कियों को फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन कराए.

ट्विटर यूज़र @RituRathaur ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “एक बात मेरी समझ से परे है, एक पढ़ी-लिखी, अच्छी दिखने वाली हिंदू लड़की, एक बदसूरत दिखने वाले बेरोजगार M लड़कों के प्यार में कैसे पड़ जाती है?” इस यूज़र के कैप्शन के अनुसार भी आरोपी मुसलमान था.

राजनीतिक विश्लेषक होने का दावा करने वाले डॉक्टर सैयद रिज़वान अहमद ने ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “मेरे वाला अब्दुल ऐसा नहीं है!’ कुछ नहीं होते होंगे, लेकिन अधिकांश ऐसे ही होते हैं.

एक और ट्विटर हैंडल ‘@HKupdate‘ ने भी इस तस्वीर को ये कहते हुए शेयर किया कि एक और हिंदू लड़की की हत्या उसके ‘आशिक’ ने कर दी.

इस घटना को ज़ी न्यूज़, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया मलयालम, न्यूज़18 कन्नड़, टीवी कन्नड़ और मातृभूमि ने भी रिपोर्ट किया था. न्यूज़18 कन्नड़ और TV9 कन्नड़ को छोड़कर बाकियों ने अपनी ख़बर में आरोपी का नाम आशिक बताया गया है. इन रिपोर्ट्स में उनकी जाति या धर्म का ज़िक्र नहीं है.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने मैसूर के DCP प्रदीप गुंती से बात की जिन्होंने बताया कि इस मामले में कोई सांप्रदायिक ऐंगल नहीं था. आगे, इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए हमने देवराजा पुलिस स्टेशन से भी संपर्क किया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी का नाम आशिक नहीं बल्कि आशीष था. उन्होंने ये भी बताया कि पीड़ित और आरोपी, दोनों हिंदू समुदाय से हैं.

ऑल्ट न्यूज़ को FIR की एक कॉपी मिली जिसमें साफ तौर पर आरोपी का नाम “आशीष” लिखा है.

FIR की डिटेल्स में जांच करने पर हमने देखा कि आरोपी ने 29 अगस्त को आशीष के नाम से एक होटल बुक किया था. पीड़िता ने परिवार से आखिरी बार 30 अगस्त को बात की थी और शव 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच मिला था. प्राथमिकी में कहीं भी ये ज़िक्र नहीं किया गया है कि इस मामले का सांप्रदायिक ऐंगल था. नीचे, हमने FIR के सबंधित हिस्से को अटैच किया है जिसका अनुवाद गूगल लेंस का इस्तेमाल करके किया गया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने पीड़िता के पिता रवीश कुमार एच टी (53) से भी बात की. उन्होंने बताया कि आरोपी हिंदू समुदाय से हैं.

कुल मिलाकर, मैसूर में एक 21 साल की इंजीनियरिंग छात्रा की हत्या को सोशल मीडिया पर ग़लत रिपोर्ट के आधार पर सांप्रदायिक ऐंगल दिया गया. यूज़र्स इस घटना को सांप्रदायिक ऐंगल देते हुए दावा करने लगे कि आरोपी का नाम आशिक था. पुलिस ने इस घटना में किसी भी तरह के सांप्रदायिक ऐंगल का खंडन किया है. साथ ही आरोपी का नाम आशीष बताया गया है. लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने जांच करते हुए पाया कि पीड़िता और आरोपी, दोनों हिंदू समुदाय से हैं.

सुदर्शन न्यूज़ और उसके कर्मचारियों का ग़लत सूचना फैलाने का इतिहास रहा है जिसका ऑल्ट न्यूज़ ने डॉक्यूमेंटेशन किया है. संबंधित रिपोर्ट यहां देखी जा सकती है.

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