बच्चों को अगवा करने की घटना का बताकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. वीडियो में तीन लोग पैसे के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं और उनके आस-पास बेहोश हालत में कुछ बच्चे लेटे हैं. इस घटना को रिकॉर्ड कर रहा व्यक्ति ये कह रहा है कि ये लोग बच्चों का अपहरण कर रहे हैं. ऑल्ट न्यूज़ को व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर (76000 11160) पर इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलीं.
फ़ेसबुक पर भी ये वीडियो असली घटना का बताकर पोस्ट किया गया है.
बच्चों को किडनैप करके जंगल में गेरा
बच्चे किडनैप करके पैसे बाटते हुए 4 मुजरिम
देखिये कैसे बच्चों को बेहोश करके………..ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये
अपने बच्चों का भी रखे ध्यानPosted by देवा भईया – समाज सेवी on Thursday, 25 August 2022
ये वीडियो ट्विटर पर भी इसी दावे के साथ ट्वीट किया गया है.
वीडियो को देखकर आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी पैर के नीचे की जमीन खिसक जाएगी कलेजा एक बार दहल जाएगा वीडियो कहां की है यह तो नहीं पता है वीडियो कहीं की भी हो प्रशासन को हरकत में आना चाहिए pic.twitter.com/EzMkXxmKXv
— Sunil Yadav (@SunilYa59918245) July 6, 2022
फ़ैक्ट-चेक
वीडियो के फ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें फ़ेसबुक पर इस वीडियो का एक लंबा वर्ज़न मिला. ये वीडियो गफूर इब्राहिम नामक यूज़र ने 30 जून 2022 को पोस्ट किया था. इस पोस्ट को लगभग 10 हज़ार बार शेयर किया जा चुका है. वायरल क्लिप को इस वीडियो में 2 मिनट 3 सेकेंड के बाद से देखा जा सकता है.
School കുട്ടികളെ തട്ടി കൊണ്ട് പോയി അവയങ്ങൾ എടുത്ത് വിലപ്പന നടത്തുന്ന സംഘം
Posted by Gafoor Ibrahim on Thursday, 30 June 2022
वीडियो को ध्यान से से देखने पर हमने नोटिस किया कि 30 सेकेंड पर वीडियो में नीचे एक टेक्स्ट-बॉक्स फ्लैश होता है. इसमें लिखा है, “कृपया वीडियो डिस्क्लेमर को ध्यान से पढ़ें. ये एक असली घटना नहीं है.” हालांकि, हिंदी डिस्क्लेमर में लिखा है, “ये वीडियो बहुत ही रिस्क लेकर बनाया गया है, ज्यादा से ज्यादा शेयर करे.” इसमें ये ज़िक्र नहीं किया गया है कि वीडियो स्क्रिप्टेड है. इसलिए, सिर्फ अंग्रेज़ी पढने वाले ही समझ सकते हैं कि ये वीडियो काल्पनिक है. हालांकि इससे हिंदी पढ़ने वाले यूज़र्स को आसानी से गुमराह किया जा सकता है.
वीडियो में 1 मिनट 27 सेकेंड पर वीडियो के नीचे दिख रहे डिस्क्लेमर में लिखा है, “ये वीडियो पूरी तरह काल्पनिक है, वीडियो की सभी घटनाओं को स्क्रिप्ट किया गया है और जागरूकता फ़ैलाने के मकसद से बनाया गया है.” इसके आलावा, ये भी बताया गया है कि वीडियो का “किसी भी वास्तविक घटना से कोई लेना-देना नहीं है.” और “वीडियो में दिखाए जाने वाले पात्र/व्यक्ति अपनी भूमिका निभा रहे हैं.”
ध्यान से देखने पर वीडियो में कुछ बातें नोटिस की जा सकती हैं. ये दूसरे स्क्रिप्टेड वीडियोज़ की तरह ही है.
- सबसे पहले, जंगल में वीडियो लेने वाले व्यक्ति का कैमरे के साथ मौजूद होना एक संयोग नहीं हो सकता. इसके अलावा, ये कि उसने अपहरण किये गए बच्चों का पता लगाने के बाद भी तुरंत मदद के लिए फोन नहीं किया. बल्कि इसके बजाय नाटकीय तरीके से वहां होने वाली घटनाओं का वर्णन करता रहा. इससे भी वीडियो के असली नहीं होने शक पैदा होता है.
- दूसरा, वीडियो की शुरुआत में, जब बैग को जंगल में ले जाया जा रहा होता है, उस वक्त भी वीडियो रिकार्ड कर रहा व्यक्ति नाटकीय रूप से घटनाओं का वर्णन करता है. जबकि उसे ये नहीं पता कि बैग में क्या है.
- तीसरा, वीडियो में 1 मिनट 16 सेकेंड के आसपास, वीडियो रिकार्ड करने वाला व्यक्ति ‘अपहरणकर्ताओं’ के काफी करीब जाकर तेज आवाज में घटनाओं के बारे में बताता है. फिर भी, अपहरण करने वाले उसकी मौजूदगी से पूरी तरह अनजान रहते हैं.
इसके अलावा, डिस्क्लेमर में ये भी लिखा है, “वीडियो पूरी तरह एक कल्पना है …” जो व्याकरण के हिसाब से ग़लत है. हमने इस टेक्स्ट को गूगल पर सर्च किया. हमें इसी सेंटेन्स से शुरू होने वाले डिस्क्लेमर के कई और स्क्रिप्टेड वीडियोज़ में मिलें.
उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया पर बच्चे को अगवा करने के दावे वाले ऐसे ही एक वीडियो को पहले भी असली घटना मानकर शेयर किया गया था. बाद में द क्विन्ट ने इस दावे को खारिज किया था. इस वीडियो में भी एक डिस्क्लेमर है जो “वीडियो पूरी तरह एक कल्पना है …” वाक्य से शुरू होता है. ये डिस्क्लेमर काफी हद तक वायरल वीडियो में दिख रहे डिस्क्लेमर से मिलता है.
यानी, ये बात साफ हो जाती है कि सोशल मीडिया पर एक नाटकीय वीडियो असली घटना का मानकर शेयर किया गया. वीडियो को काल्पनिक बताए जाने वाले एक डिस्क्लेमर के अलावा, इस क्लिप में कई और भी चीजें हैं जो आमतौर पर एक स्क्रिप्टेड वीडियो में देखी जा सकती हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी सोशल मीडिया पर ऐसे कई नाटकीय वीडियोज़ और बच्चों के अपहरण के ग़लत दावों की जांच की हैं.
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