सोशल मीडिया यूज़र्स ये दावा कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव उन 302 लोगों में से एक थे, जिन्होंने मोहम्मद अजमल आमिर क़साब की मौत की सज़ा रोकने के लिए याचिका पर साइन किया था.
[वायरल टेक्स्ट: कसाब की फांसी रुकवाने के लिए जिन 302 लोगो ने याचिका पर साईन किया था, उनमें से एक अखिलेश यादव भी थे किन-किन भाई बहन को याद है या भूले गए]बीजेपी हरियाणा के सोशल मीडिया हेड अरुण यादव ने इस दावे के साथ पोस्ट किया. उनके पोस्ट को 23 हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया गया.
Posted by Arun Yadav on Thursday, 2 December 2021
हिंदू युवा वाहिनी के गुजरात प्रभारी योगी देवनाथ ने भी एक ट्वीट में ये दावा किया था और इसे 3 हज़ार से ज़्यादा रीट्वीट मिले थे. बाद में इसे हटा लिया गया. देवनाथ ने पहले भी कई बार भ्रामक दावे पोस्ट किए हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसी कई मौकों पर की योगी देवनाथ को झूठ फैलाते हुए पकड़ा है.
कई ट्विटर यूज़र्स ने ऐसा दावा किया है – @BeingBihar_ (900 से ज़्यादा रीट्वीट), @I_Khushbo (2,000 से ज़्यादा लाइक), @sarojni12345431 (200 से ज़्यादा रिट्वीट्स), @_S__Raj__ (200 से ज़्यादा रिट्वीट्स), @MeenaTarunYadav (700 से ज़्यादा लाइक्स).
इस दावे के साथ पोस्ट करने पर काफी ज़्यादा लाइक्स, कमेंट्स और शेयर पाने वाले फ़ेसबुक अकाउंट हैं – महान हिन्दू (2 हज़ार शेयर), यूपी मुख्यमंत्री रिपोर्ट कार्ड (7 हज़ार 5 सौ लाइक्स), मोदी समर्थक ख़बर (4 हज़ार 5 सौ लाइक्स), सर्च इंडिया (2 हज़ार 8 सौ लाइक्स) अब मोदी है तो मुमकिन है (1 हज़ार लाइक्स) ), एक बिहारी 100 पे भारी (2 हज़ार 3 सौ लाइक्स).
फ़ैक्ट-चेक
21 नवंबर, 2012 को 25 साल की उम्र में कसाब को फांसी दी गई थी. आपराधिक साज़िश, देश के खिलाफ़ युद्ध छेड़ने, आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के कई अन्य प्रावधानों के तहत कसाब की मौत की सज़ा को बरकरार रखा गया था.
फांसी से कुछ हफ़्ते पहले 5 नवंबर, 2012 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कसाब की क्षमा याचिका ख़ारिज कर दी थी. द इंडियन एक्सप्रेस की 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 203 से ज़्यादा लोगों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई एक याचिका पर दस्तखत थे.
28 अक्टूबर, 2012 को मुंबई के वकील युग चौधरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था.
युग चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “राष्ट्रपति को भेजे गए पहले बैच में 203 लोगों ने याचिका पर साइन किए थे. और दूसरे बैच में लगभग 15-20 और साइन मिले थे.”
ऑल्ट न्यूज़ के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि याचिका पर साइन करने वाले लोगों में अखिलेश यादव नहीं थे. उन्होंने आगे बताया, “मैं इस विषय पर और कोई सवाल का जवाब देने के लिए तैयार नहीं हूं क्योंकि याचिका पर साइन करने वालों को पहले ही काफी परेशान किया गया है.”
इस तरह, भाजपा नेता अरुण यादव सहित कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने ये ग़लत दावा किया कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कसाब की मौत की सज़ा बदलने की मांग करने वाली याचिका पर दस्तखत किए थे.
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