एक तस्वीर पिछले कई सालों से शेयर की जा रही है. तस्वीर देख कर मालूम होता है कि ये किसी के अंतिम संस्कार की है. सोशल मीडिया पर इसे शेयर करते हुए अधिकतर बार इसे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार की बताई गयी है. पाठकों को मालूम हो कि 23 मार्च, 1931 को इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेज़ी हुकूमत ने लाहौर में फ़ांसी दी थी जो अब पाकिस्तान में है.
नीचे पोस्ट में, इस तस्वीर के साथ लिखा है, “ये तस्वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार की है. हो सके तो इसे हर भारतीय तक पहुंचाने की कोशिश करें…”
फ़ेसबुक सर्च का स्क्रीनशॉट देखकर समझा जा सकता है कि ये दावा कितना वायरल है.
नीचे 6 साल पुराना पोस्ट लगा है. इसमें भी यही दावा किया गया है.
हो सके तो इस तस्वीर को हर देश वासी तक पहुँचाने की कोशिश कीजियेगा…….
ये तस्वीर शहीद भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव जी…Posted by देश के गद्दारों की पोल खोल on Thursday, December 10, 2015
फ़ेसबुक के साथ ही ये तस्वीर ट्विटर पर भी शेयर की जाती रही है.
सिर्फ़ सोशल मीडिया पोस्ट ही नहीं, नीचे वन इंडिया की एक अन्य वेबसाइट बोल्डस्काई पर भी पिछले साल शहीद दिवस पर ये तस्वीर को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार की बताई गयी थी.
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये वेबसाइट panthic.org पर मिली. इसके मुताबिक ये तस्वीर 1978 में बैसाखी के दिन हुई एक घटना की है जिसमें 13 सिखों की मौत हो गयी थी.
इसेक अलावा कुछ अन्य वेबसाइट्स पर भी इस तस्वीर के बारे में यही बताया गया है – discoversikhism.com, babushahi.com.
1978 में बैसाखी पर क्या हुआ था?
द प्रिंट के इस घटना और इसके पीछे के सन्दर्भ से जुड़े एक आर्टिकल में बताया गया है कि निरंकारी और सिखों के बीच दुश्मनी की क्या वजह थी. दरअसल, सिख गुरु ग्रन्थ साहिब को ही एक जीवित गुरु की तरह मानते हैं जिनकी जगह कोई व्यक्ति नहीं ले सकता. लेकिन निरंकारी सतगुरु अवतार सिंह ने गुरु ग्रन्थ साहिब की उपस्थिति में खुद को एक जीवित गुरु के रूप में स्थापित किया था. यहीं से सिखों और निरंकारियों के बीच तनातनी शुरू हुई और कई बार आपसी हमले भी हुए. ऐसा ही एक झगड़ा 13 अप्रैल, 1978 को सिखों और निरंकारी अनुयायियों के बीच हुआ. इसमें 13 सिखों की मौत हो गयी थी.
15 अप्रैल 1978 को अमृतसर के श्री रामसर साहिब गुरुद्वारा के सामने इन 13 सिखों का अंतिम संस्कार किया गया था. वायरल हो रही तस्वीर उसी मौके की है. इसी घटना की दूसरे ऐंगल से ली गयी बेहतर क्वालिटी की एक तस्वीर हमें news.drgurbani.com पर मिली.
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार
सतविंदर सिंह जस की किताब ‘द एग्ज़िक्यूशन ऑफ़ भगत सिंह: लीगल हेरेसीज़ ऑफ़ द राज’ में बताया गया है कि तीनों शहीदों को फांसी देने के बाद उनके शरीर के टुकड़े कर दिए गये थे. इसके बाद रातों-रात उनके शव का फ़िरोज़पुर के पास सतलुज नदी के किनारे दाह संस्कार करने की कोशिश की गयी. लेकिन लोगों के आक्रोश के डर से पूरी तरह जलने से पहले ही तीनों के पार्थिव शरीर को नदी में बहा दिया गया था. स्थानीय लोगों ने वहां पहुंच कर तीनों स्वतंत्रता सेनानियों के अवशेष निकालकर पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया था. (स्रोत: द प्रिंट)
हमने भगत सिंह के बारे में अध्ययन करने और उनपर कई किताबें लिखने वाले एक अन्य लेखक और दिल्ली आर्काइव सेंटर के भगत सिंह आर्काइव ऐंड रिसोर्स सेंटर के ऑनरेरी एडवाइज़र प्रोफ़ेसर चमन लाल से बात की. उन्होंने भी यही बताया कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के पार्थिव शरीर का दो बार अंतिम संस्कार किया गया था.
सोशल मीडिया यूज़र्स भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार की बताकर एक तस्वीर शेयर कर रहे हैं. लेकिन ये असल में 1978 में पंजाब में सिख और निरंकारियों के बीच हुई झड़प के बाद मृत सिखों के अंतिम संस्कार की तस्वीर है.
गौर करने वाली बात है कि वन इंडिया की सहयोगी वेबसाइट ने पिछले साल इस तस्वीर को ग़लत दावे के साथ पब्लिश किया था और 25 मार्च को वन इंडिया ने इसके फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट में इसे भगत सिंह के अंतिम संस्कार का नहीं बताया है.
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