राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की कई तस्वीरें सोशल मीडिया में इस दावे के साथ प्रसारित की जा रही हैं कि ये चक्रवात प्रभावित उड़ीसा में आरएसएस के हालिया राहत कार्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

पहली और दूसरी तस्वीरें

भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा अभाविप के राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव श्री निवास ने दो तस्वीरें ट्वीट कीं जिनमें आरएसएस कार्यकर्ताओं को गिरे हुए पेड़ उठाते हुए दिखलाया गया है। इन तस्वीरों को शेयर करने के लिए इस कैप्शन का इस्तेमाल किया गया है- “तटीय क्षेत्र में फेनी तूफान की तबाही के बाद मदद के लिये निकले @RSSorg के स्वयंसेवक देश मे कहीं भी आपदा आई हो और संघ का स्वयंसेवक घर बैठा रहे ऐसा कदापि असंभव है….देश के पूर्वी तटीय क्षेत्रों पर फेनी चक्रवात तूफान के उपरांत राहत कार्यों संलग्न संघ के स्वयंसेवक”

 

तथ्य-जांच

गूगल रिवर्स-इमेज सर्च का उपयोग करके ऊपर वाली तस्वीर के 2017 में भी होने का पता लगाया गया। तमिलनाडु के विश्व संवाद केंद्र की वेबसाइट ने कन्याकुमारी में 2017 के ओखी चक्रवात के दौरान सहायता प्रदान करने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं के रूप में इस तस्वीर का वर्णन किया था।

इसके बाद, नीचे वाली तस्वीर के लिए Yandex पर रिवर्स-इमेज सर्च का उपयोग करके इसे भी 2014 तक ट्रेस किया गया। विश्व संवाद केंद्र की अखिल भारतीय वेबसाइट के अक्टूबर 2014 के एक लेख में यह तस्वीर थी, जिसके अनुसार यह हुदहुद चक्रवात के दौरान विशाखापट्टनम में RSS के राहत कार्यों से संबंधित है।

तीसरी, चौथी और पाँचवी तस्वीरें

विश्व संवाद केंद्र, असम के ट्विटर हैंडल समेत कई लोगों और पेजों द्वारा तीन तस्वीरों का एक सेट शेयर किया गया है। खुद को संघ का प्रचारक बताने वाले एक यूज़र ने भी ये तस्वीरें शेयर कीं।

तथ्य-जांच

अलग-अलग तस्वीरों की रिवर्स-सर्च से ऑल्ट न्यूज़ 2018 के एक ट्वीट तक पहुंचा, जिसमें ये तीनों तस्वीरें थीं। ट्वीट के अनुसार, ये तस्वीरें 2018 तितली साइक्लोन के दौरान आरएसएस राहत कार्य को दर्शाती हैं।

हमें वेबसाइट tnews.co.th और organiser.org पर यही तस्वीरें मिलीं। दोनों वेबसाइटों ने दावा किया कि ये तस्वीरें पिछले साल आंध्र प्रदेश में आई तबाही के दौरान लिए गए थे।

इस लेख में तथ्य-जांच की गई तस्वीरें व्हाट्सएप पर भी चल रही हैं।

हालांकि, उनमें से कोई भी उड़ीसा में आए चक्रवात फैनी के दौरान आरएसएस द्वारा सहायता प्रदान करने को नहीं दर्शाती है।

आरएसएस के राहत कार्यों की पुरानी तस्वीरें अक्सर सोशल मीडिया में हालिया घटना के रूप में प्रसारित की जाती हैं। केरल की बाढ़ के दौरान पिछले साल इसी तरह का पैटर्न देखा गया था।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.