धारा 370 के प्रमुख प्रावधानों को अप्रभावी करने के फैसले के बाद सोशल मीडिया में गलत सूचनाओं का प्रसारण काफी हद तक बढ़ गया है। इस तरह के नए प्रयास में भारत सरकार द्वारा कश्मीर में अत्याचार दिखाने के लिए तस्वीरों के एक कोलाज को साझा किया गया है।
#28daysofkashmirshutdown शब्दो की कमी हो गई है कश्मीर की सच्चाई देखकर" pic.twitter.com/tofLPn2geF
— s.s.zama Alis Munna (@s_szama) September 2, 2019
इस कोलाज को साझा करने के लिए कुछ हैशटैग का प्रयोग किया गया है जैसे कि, #28DaysOfKashmirShutdown, #KashmirBleedsUNSleeps, #KashmirUnderThreat .यह फेसबुक पर प्रसारित है।
#28DaysOfKashmirShutdown
Posted by Emran Ansary on Monday, 2 September 2019
तथ्य जांच
इन तस्वीरों की पड़ताल करने पर हमें पता चला है कि ये पुरानी है और कश्मीर की घटना से असंबंधित है।
पहली तस्वीर
हमें यह तस्वीर 2018 के एक ब्लॉगपोस्ट में मिली, जिसमें दावा किया गया कि यह कश्मीर की है। हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं कर पाया, लेकिन पिछले साल से इस तस्वीर की मौजूदगी से यह पता चलता है कि यह कश्मीर की हालिया घटना से संबधित नहीं है।
दूसरी तस्वीर
इस घायल बच्चे की तस्वीर एक पत्रिका में पायी गई है, जिसने इसका श्रेय प्रसिद्ध फोटोग्राफर स्टीव मैकरी को दिया था। यह तस्वीर पत्रिका में 2015 में प्रकाशित हुई थी, इसे “अफ़ग़ानिस्तान के काबुल” का बताया गया है।
तीसरी तस्वीर
यह तस्वीर 2017 में कश्मीर में खींची गई थी। गेट्टी इमेज के मुताबिक,“भारतीय पुलिस अधिकारियों ने 19 मई, 2017 को श्रीनगर में जामिया मस्जिद के बाहर शुक्रवार की नमाज़ के बाद हुई झड़प के दौरान एक कश्मीरी युवक को गिरफ्तार किया”-अनुवाद।
चौथी तस्वीर
यह तस्वीर कश्मीर में मारे गए 16 वर्षीय कैसर अहमद के अंतिम संस्कार के दौरान ली गई थी। लड़के के माता पिता के मुताबिक, पुलिस हिरासत में चोट लगने के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि, पुलिस ने लड़के की मौत में किसी भी तरह खुद की संलिप्तता से इंकार किया। यह तस्वीर 5 नवंबर, 2016 को गेट्टी इमेज द्वारा अपलोड की गई थी।
पाँचवी तस्वीर
2016 में पैलेट गन से घायल हुई लड़की की तस्वीर अल जज़ीरा ने अपलोड की थी। यह तस्वीर श्रीनगर की है।
छठी तस्वीर
उपरोक्त तस्वीर 2010 के एक ब्लॉगपोस्ट में मिली थी जिसमें दावा किया गया था कि यह तस्वीर कश्मीर की है।
सातवीं तस्वीर
इस तस्वीर का सबसे पुराना उदाहरण 2004 में शटरस्टॉक पर उपलब्ध था, जिसमें इस घटना की दूसरी तरफ से ली गई तस्वीर को अपलोड किया गया था। इसके विवरण के मुताबिक,“रफीक अहमद की बहन समीना अपने दुप्पटे को पुलिस अधिकारी के पैरों में डाल कर उनसे अपने भाई को रिहा करने की भीख मांगती है”-अनुवादित।
आठवीं तस्वीर
इस तस्वीर का इस्तेमाल 2016 के एक मीडियम लेख में किया गया था, ‘क्या आपको कुणान और पोशपोरा याद है?’,“कश्मीर के दो ऐसे गांव, जहां की महिलाओं के साथ भारतीय सेना के पुरुषों द्वारा सबसे ज़्यादा बलात्कार किया गया है”-अनुवाद। इस तस्वीर का श्रेय रॉयटर के फोटोग्राफर दानिश इस्माइल को दिया गया है।
समूह की एक तस्वीर के स्त्रोत के बारे में हम पता नहीं लगा पाए है हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि नौ तस्वीरों में से आठ तस्वीरें पुरानी है और कश्मीर की हालिया घटना से असंबधित है।
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