“बिहार के भागलपूर मे मुसलमानो ने शोभायात्रा पर पत्थर फेके और आग लगा दिया। हिन्दुओ तूम बस सोते रहो । हिन्दु कि औलाद हो तो 1,2,3 जितने भी Group है share करो।” रायल संजय सिंह राजपूत नाम के एक फेसबुक यूजर ने इन शब्दों के साथ दो फोटो और वीडियो ‘नरेंद्र मोदी 2019 (साथ हैं तो जुडे)’ नाम के ग्रुप में शेयर किया है। इस खबर को लिखे जाने तक इसे 7400 से भी अधिक बार शेयर किया गया है। बता दें कि इस ग्रुप में 8,41,000 सदस्य हैं।
यह कोई नया दावा नहीं
एक और फेसबुक यूजर ने उसी फोटो को 27 मई 2018 को आई स्पोर्ट योगी आदित्यनाथ नाम के पब्लिक ग्रुप में शेयर किया है। खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 42000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है।
भागलपुर शोभा यात्रा
19 मार्च, 2018 को इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक लेख में यह बताया गया है कि यह हिंसा सांप्रदायिक संवेदनशील (अल्पसंख्यक समुदाय) क्षेत्र नाथनगर में भाजपा, आरएसएस और बजरगंदल द्वारा निकाली गई रैली में तेजी से बज रहे संगीत का विरोध करने पर भड़की थी। इस रैली को केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र अरिजित शाश्वत चौबे नेतृत्व कर रहे थे। इस दौरान भागलपुर शहर में शनिवार के दिन रैली में शामिल कार्यकर्ता कथित रूप से उत्तेजक नारे लगा रहे थे।
Arijit shashwat, son of Union Minister Ashwini Choubey, released from Bhagalpur jail after being granted bail in #Bhagalpur communal clash #Bihar (File pic) pic.twitter.com/OK6JTmCf9O
— ANI (@ANI) April 11, 2018
दावों की जांच
तस्वीर 1
जब ऑल्ट न्यूज़ ने रिवर्स इमेज सर्च किया तो पता चला कि 9 सितबंर 2017 को रॉयल बुलेटिन नाम के एक न्यूज वेबसाइट पर यह खबर छपी थी, जिसमें एक आदमी के सिर से काफी खून बह रहा था। इस रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के भोपा गांव में पत्नी के साथ विवाद में एक व्यक्ति घायल हुआ था। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि पुलिस ने इसे पति-पत्नी का विवाद बताकर कार्रवाई करने से मना कर दिया था। रॉयल बुलिटेन के संपादक ने SMHoaxSlayer से बातचीत में बताया कि ये तस्वीर न्यूज पेपर से जुड़े एक पत्रकार ने लिया था। EXIF डेटा को सत्यापित करने वाली एक वेबसाइट वेरेजिफ से पता चला कि यह फोटो निकोन कूलपिक्स ए10 कैमरे से ली गई है। सोशल मीडिया EXIF डेटा (मेटाडेटा) को मिटा देती है। इससे यह पता चलता है कि वेबसाइट पर पोस्ट की गई फोटो वास्तविक है।
तस्वीर 2
गुगल रिवर्स इमेज सर्च दिखाता है कि विभिन्न संदर्भों में यह तस्वीर हाल ही में इंटरनेट पर शेयर हुआ है। यह फोटो रमेश राजाराम नाम के एक गूगल प्लस एकाउंट होल्डर ने शेयर किया था। अत: इससे पता चलता है कि 2 अप्रैल 2018 को विभिन्न संदर्भों में शेयर किए गए तस्वीर का उस घटना से कोई ताल्लुक नहीं है जिसका दावा किया जा रहा है कि यह अगले महीने हुआ है।
वीडियो 1
फेसबुक पर जो पहला वीडियो शेयर हो रहा है वह यूट्यूब पर 27 मार्च 2018 को “आसनसोल रामनवमी रैली में मारपीट” (अनुवाद) शीर्षक के साथ इसे पोस्ट किया गया है, जिसे एक आदमी ने दंगा भड़कते समय रिकॉर्ड किया था।
27 मार्च, 2018 को पश्चिम बंगाल के रानीगंज में रामनवमी जुलूस में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव हुआ था। कुछ की वर्ड के जरिए खोज से कई वीडियो मिले जो एक ही घटना की तरह लग रहे है। जिसे अलग-अलग शीर्षक दिया गया है।
वीडियो 2
फेसबुक पोस्ट के साथ जो दूसरा वीडियो शेयर किया गया है वह भी 27 मार्च 2018 को यूट्यूब पर पहले वाले वीडियो की तरह एक समान शीर्षक “आसनसोल रामनवमी में मारपीट…खतरनाक” (अनुवाद) के साथ शेयर हुआ है। अत: यह भी आसनसोल के रानीगंज में हुई घटना का प्रतीत होता है।
https://www.youtube.com/watch?v=JHfgWr1bhbU
वीडियो का लोकेशन
शीर्षक में दी गई सूचना के आधार पर ऑल्ट न्यूज़ ने आसनसोल के स्थानीय संवाददाता उदय प्रताप सिंह से संपर्क किया। उन्होंने 10 अगस्त 2018 को विभिन्न एंगल से उस स्थान को फिल्माया जिससे हमें पता लगे सके कि यह विडियो आसनसोल का ही है।
अगर आप वीडियो फुटेज में घर की बनावट को देखेंगे तो पता चलेगा कि वायरल वीडियो में दिख रहा जगह एक जैसा दिख रहा है।
नोट: वायरल वीडियो से घर की समानता देखने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। अत: पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे वायरल वीडियो को धीरे-धीरे देखे फिर उसके समानांतर लाइन बनाएं।
किसी घटना को साबित करने के लिए उससे संबंधित पुरानी तस्वीरों और वीडियो की तुलना करना एक प्रवृति है जिसे हमने सोशल मीडिया पर कई बार देखा है। ये वीडिओ और तस्वीर भागलपुर जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों से संबंधित नहीं है।
नोट: इस लेख में कुछ फोटो को धूंधला किया गया है।
अनुवाद: संजीत भारती के सौजन्य से
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