हममें से जो लोग सोशल मीडिया पर थोड़े से भी सक्रिय हैं, उनके सामने भारतीय सेना के सैनिकों की तस्वीरों वाली अनगिनत पोस्ट ज़रूर गुजरी होंगी जिनमें कुछ इस तरह का कैप्शन होता है – “अगर आप एक सच्चे भारतीय हैं तो शेयर करें”। हमारी देशभक्ति पर खुलेआम सवाल खड़े करने वाला यह वाक्य हमें इस पोस्ट के लेखक के कहे मुताबिक काम करने पर मजबूर करता है और पोस्ट वायरल हो जाता है; शायद ही कभी हम सोचते हों कि इस तस्वीर का कोई छिपा हुआ गहरा मकसद भी हो सकता है।

एक फलता-फूलता कारोबार

वे कहते हैं कि शेयरिंग इज़ केयरिंग और लगता है कि इसी नाम का एक फेसबुक ग्रुप रोजाना इस बात को अमल में लाता है। अगर आप इस ग्रुप में शामिल होना चाहते हैं तो ग्रुप आपसे एक सरकारी आईडी प्रमाण के लिए माँगता है और इसमें शामिल होने पर आप 18,000 से अधिक व्यक्तियों के अंदरूनी दायरे के भीतर होते हैं जिसके बाद आप खरीदने-बेचने के कारोबार में देशभक्ति, स्त्री द्वेष, राजनीति, बॉलीवुड, राष्ट्रवाद और यहां तक कि भगवान को भी शामिल कर सकते हैं।

दरअसल, शेयरिंग इज़ केयरिंगएडवरटाइजिंग डील्स, सोशल मीडिया पेज के लिए एक बाजार स्थल है। आप फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम के पेजों को खरीद/बेच सकते हैं, किसी वीडियो पर व्यू (दर्शक) हासिल करने के लिए पैसा कमा सकते हैं, सोशल मीडिया पोस्ट के लिए एसईओ (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) का काम करने की पेशकश कर सकते हैं, पेजों को किराये पर दे सकते हैं और साथ ही संभावित खरीदारों के लिए नकली वेबसाइट भी बना सकते हैं। ग्रुप का एजेंडा सिंपल है – सनसनीखेज बातें पेश करके पैसा कमाओ। ऑल्ट न्यूज ने ऐसे कई मुद्दों की छानबीन की जो ऐसे ग्रुप पर सबसे लोकप्रिय हैं:

1. मोदी और बीजेपी

इंटरनेट आने के साथ, सोशल मीडिया एक पैसा बनाने वाला कारखाना बन गया है। फेसबुक अब दोस्तों से जुड़ने और फार्मविल खेलने तक सीमित नहीं है बल्कि संभावित खरीदारों से आसानी से जुड़ने की एक जगह भी है। जैसे-जैसे फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा लोग राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए, वैसे-वैसे चुपचाप एक बाजार पैदा हुआ।

शेयरिंग इज़ केयरिंग के सदस्य देश की राजनीतिक हवाओं से अनजान नहीं हैं और वे अपने कारोबार में इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। इस ग्रुप पर कई लोग हैं जो पीएम मोदी को समर्पित पेज को बेचते रहते हैं, और वो भी अक्सर भारी कीमत वसूल करते हुए। जैसे कि नीचे दिए गए उदाहरण में, इसके सदस्यों में से कोई सदस्य प्रधानमंत्री से जुड़े पेज को 0.12 रुपये कोस्ट पर लाइक (सीपीएल यानी प्रति लाइक कीमत) के रेट पर ऑफर कर रहा है। उनका दावा है कि उसके पास 3,86,000 फॉलोअर हैं, जिसका मतलब है कि उनका “हेल एक्टिव” पेज से उन्हें 46,320 रुपये मिलेंगे।

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एक सदस्य जो पीएम मोदी को समर्पित एक पेज खरीदना चाहता है, वह कम से कम 9 लाख फॉलोअर के लिए 0.09 रुपये सीपीएल तक का भुगतान करने को तैयार है। वह 81,000 रुपये की पेशकश कर रहा है।

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एक अन्य विषय जिसे हमने आमतौर पर बिकते हुए पाया है, वह बीजेपी था। आप, कांग्रेस, राहुल गांधी, आदि लोकप्रिय विकल्प नहीं थे।

शेयरिंग इज़ केयरिंग जैसी खरीद-फरोख्त की जगहें मौजूद हैं क्योंकि तुरंत पैसा कमाने के लिए सोशल मीडिया पेज एक अच्छा स्रोत हैं। हालांकि, आर्थिक कारणों के अलावा, शेयरिंग इज़ केयरिंग के कई सदस्य गलत सूचना फैलाने के तंत्र का भी हिस्सा हैं। हमने दो उदाहरण लिये हैं, अंकित पांडेय और राजेश जिंदल। ऑल्ट न्यूज ने अपने पिछले लेखों में इन दोनों पर लेख लिखे हैं।

अंकित पांडेय

मई 2017 के लेख में, हमने पांडे की गतिविधियों का लेखा-जोखा पेश किया था कि कैसे उसने अश्लील और बीजेपी समर्थक उन वेबसाइटों से खूब पैसा कमाया था जो फेसबुक पेजों को लगातार सामग्री उपलब्ध कराती थी।

उनकी वेबसाइट, InsistPost उतनी सक्रिय नहीं है जितनी कि यह पहले हुआ करती थी लेकिन इसी नाम के फेसबुक पेज की सोशल मीडिया पर काफी उपस्थिति है। Insist (पेज का नाम मई 2018 में ‘Insist Post’ से बदलकर ‘Insist’ कर दिया गया था) के लगभग 15.3 लाख फॉलोअर्स हैं। पेज पर नजर डालने से पता चलता है कि यह नियमित रूप से कई वेबसाइटों के लेख साझा करता है। ये सभी लेख स्त्री द्वेष से भरे हुए या राजनीतिक रूप से अत्यंत उत्तेजक सामग्री से भरपूर या अन्य विषयों के अलावा भगवान से जुड़े होते हैं।

पांडे के सोशल मीडिया प्रोफाइल में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं जैसे अमित शाह, स्मृति ईरानी और बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के साथ उनकी कई तस्वीरें हैं।

(अंकित पांडे (एकदम दाएं) और रुद्र रवि शर्मा (पांडे के बगल में), जो खुद को इंसिस्ट पोस्ट का प्रबंध निदेशक बताया करते थे, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ खड़े हुए)

Ankit Pandey (extreme right) and Rudra Ravi Sharma (beside Pandey), who used to describe himself as the MD of Insist Post, pose with BJP Chief Amit Shah

अंकित पांडे दो फेसबुक आईडी (1 और 2) से शेयरिंग इज़ केयरिंग के सदस्य हैं।

हमने ग्रुप पर उसकी बातचीत देखी तो पाया कि वह फेसबुक पेज और वेबसाइट खरीदना चाहते हैं। चूंकि पांडे इसके नये सदस्य हैं (उसकी व्यक्तिगत आईडी से), इसलिए हम उनकी केवल दो चैट को ही ट्रैक कर पाए।

राजेश जिंदल

पिछले साल प्रकाशित लेख में, ऑल्ट न्यूज ने राजेश जिंदल के कामकाज का खुलासा किया था कि Hindutva.info के पीछे यही आदमी है। ब्लॉग्स क्रीड के फेसबुक इवेंट में बताया गया है कि राजेश जिंदल हर महीने 10 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं।

A scroll through Jindal’s Facebook profile is enough to reveal his propaganda. Not only does he share posts praising the government, but his profile is filled with fake news. जिंदल के फेसबुक प्रोफाइल पर नजर डालने से ही उसके प्रोपेगंडा की असलियत सामने आ जाती है। वह न केवल सरकार की तारीफ करने वाली पोस्ट साझा करते हैं बल्कि उनकी प्रोफ़ाइल भी फेक न्यूज से भरी हुई है।

अपनी एक पोस्ट में, वह स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते नजर आते हैं जो आरएसएस से संबद्ध संगठन है।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय विचार वर्ग (कुरुक्षेत्र) में सभी प्रकार मीडिया के माध्यम और खासकर सोशल मीडिया की…

Posted by Rajesh Jindal on Sunday, 17 June 2018

उन्होंने भाजपा हरियाणा के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता के साथ भी अपनी एक फोटो पोस्ट की थी।

पंचकूला के विधायक और राज्य मंत्री हरियाणा सरकार श्री ज्ञान चंद गुप्ता जी के साथ हरियाणा से जुड़े कुछ विषयों पर चर्चा के दौरान लिया गया चित्र

Posted by Rajesh Jindal on Friday, 3 August 2018

राजेश जिंदल छह महीने से शेयरिंग इज केयरिंग के सदस्य हैं (इस लेख को लिखने के समय तक)।

वह काफी सक्रिय सदस्य है। अपनी एक पोस्ट में वह लिखते हैं, “अगर किसी के पास कोई बड़ा पेज शुरू करने के लिए पैसा नहीं है लेकिन तत्काल (लेख) काम आदि जानता है, तो मैं पैसा मुहैया कराऊंगा। इनबॉक्स में संपर्क करो।”

एक और पोस्ट में, वह 10 लाख लोगों की संयुक्त फॉलोइंग वाले 20 पेजों को एकसाथ खरीदने की पेशकश कर रहे है। उनकी रुचि ‘भक्ति’ और ‘क्रिकेट’ जैसी श्रेणी में है।

जिंदल की ओर से ऐसे कई अन्य प्रस्ताव आए हैं।

हालांकि फेसबुक पेजों से मुनाफा कमाने वाले ऐसे कई व्यक्ति हैं लेकिन इस लेख में शेयरिंग इज केयरिंग और इस ग्रुप पर सबसे ज्यादा बिकने वाले कॉन्टेंट पर ध्यान दिया गया है।

2. भारतीय सेना

लोगों को जोड़ने के सबसे सरल तरीकों में से एक है उनकी आस्था और ऐसी चीजों पर जोर देना जिसके लिए वे सबसे ज्यादा भावुक होते हैं। इस बात से भारतीय सेना के पेजों को मिलने वाले ढेरों ऑफर का कारण समझ आता है। सदस्य न केवल इन पेज को खरीद रहे हैं और बेच रहे हैं बल्कि इन्हें किराए पर देने के भी ऑफर हैं।

पेजों के सीपीएल का जिक्र करते हुए रेट कार्ड भी मौजूद हैं।

नीचे दिया गया वीडियो शेयरिंग इज केयरिंग पर भारतीय सेना के पेजों की लोकप्रियता दिखाता है।

3. लड़कियाँ

इस ग्रुप पर सबसे ट्रेंड होने वाले टॉपिक में से एक टॉपिक है “लड़कियां”। शेयरिंग इज केयरिंग के सदस्य नियमित रूप से उन पेजों को बेचते हैं जिनमें महिलाओं के फोटो शामिल हैं जबकि इंस्टाग्राम एक लोकप्रिय मंच है।

इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इन पेजों को लड़कियों के अनजान नामों से शुरू किया जाता है और लोकप्रिय होने के बाद उन्हें बेचा जाता है। हमने नेहा कुमारी नाम का पेज बेचने वाले एक सदस्य को खोजा। इस पेज के एक लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं और यह पेज कुल मिलाकर लड़कियों और महिलाओं के फोटो को शेयर करता है।

फॉलोअर्स हासिल करने का एक तेज तरीका है स्त्री द्वेष करने वाली सामग्री डालना। एक बार यह मकसद हासिल हो जाने के बाद, पेज का नाम बदल दिया जाता है और इसकी सामग्री पूरी तरह बदल जाती है, हालांकि हमेशा ऐसा नहीं किया जाता है।

यह देखा गया है कि किसी भी महिला और अभिनेत्री के नाम से शुरू होने वाले पेज कायापलट करते हुए बाद में राजनीतिक पेज में बदल गए हैं। ऑल्ट न्यूज के सामने पहले एक फेसबुक पेज ‘रश्मि पटेल 1 मिलियन फैन’ आया था जिसे अब ‘नमो 2019 – वी सपोर्ट नरेंद्र मोदी‘ कहा जाता है। इस पेज के 4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

यह पैटर्न शेयरिंग इज केयरिंग में भी ध्यान देने योग्य है, जहां लोग नामकरण के विकल्प के साथ “लड़कियों वाले पेज” बेचने की पेशकश कर रहे हैं।

4. बॉलीवुड

बॉलीवुड ग्रुप का एक और पसंदीदा विषय है। वे सेलिब्रिटी पेजों को बेचने की पेशकश करते हैं और कई बार पेज का नाम बदलने का विकल्प देते हैं। लेकिन आमतौर पर आपको अभिनेताओं के नाम पर बने पेजों से अधिक अभिनेत्रियों के नाम पर बने पेज दिख जाएँगे। नीचे ग्रुप पर हुई एक बातचीत का एक स्क्रीनशॉट है जहां सदस्यों में से एक सदस्य ने अभिनेता पेज को खरीदने का ऑफर मना कर दिया क्योंकि इससे उसे सोशल मीडिया के लिए जरूरी “सक्रियता” नहीं मिलेगी।

हमने अभिनेत्रिओं के नाम से भी खोज की और आलिया, कैटरीना, सनी लियोन और प्रिया प्रकाश वरियर को समर्पित पेजों के साथ कई ऑफर दिखाई दिए।

5. क्रिकेट

देश में सबसे लोकप्रिय खेल होने के चलते, शेयरिंग इज केयरिंग में क्रिकेट को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता था। एक सदस्य ने 3.5 लाख फॉलोअर्स के साथ धोनी पेज को 24,500 रुपये में बेचने की पेशकश की। एक अन्य सदस्य 20,000 फॉलोअर्स वाले क्रिकेट पेज को 5,500 रुपये में बेच रहा था।

ऐसा लगता है कि सदस्यों को सोशल मीडिया की अच्छी समझ है, जिससे न केवल खेल के लिए समर्पित फेसबुक/इंस्टाग्राम पेजों, बल्कि धोनी और कोहली जैसे लोकप्रिय खिलाड़ियों को समर्पित पेजों की खरीद और बिक्री भी समझ आती है।

6. भक्ति

लेख में इस बिंदू तक आने पर ऑल्ट न्यूज इधर-उधर सर्च कर रहा था और हमारे सामने एक और टॉपिक आ गया –भगवान, भक्ति और धर्म को समर्पित पेज। ग्रुप का एक लगभग 7.5 लाख की संयुक्त फॉलोइंग वाले दो पेज के लिए 1.5 लाख रुपये (नीचे कोलाज में) की कीमत लगाया जा रहा था।

ग्रुप के एडमिन में से एक व्यक्ति ने कुल चार पेज (50 लाख की संयुक्त फॉलोइंग) की पेशकश की और उल्लेख किया कि पेज एक ही “ब्रांड” का हिस्सा हैं।

हमने पहले भी कई फेसबुक पेज खोलने के प्रति लोगों का झुकाव देखा है। उदाहरण के तौर पर, एक और फेसबुक ग्रुप ‘Vote 4 BJP’ जिसमें 9 लाख से ज्यादा सदस्य हैं, के एक सदस्य ने लोगों से आग्रह किया कि वे एक और ग्रुप से जुड़ें जिसका नाम है – “100 करोड़ राष्ट्रवादी हिंदुओं का ग्रुप (जुड़ते ही 50 हिंदुओं को जोड़ें)”। केवल 2 महीनों में, इसमें 33,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं।

इस ग्रुप का स्वामित्व फेसबुक पेज नमोमिशन 2019’ के पास है, जिसे मार्च 2018 में बनाया गया था और इसके लगभग 1.3 लाख फॉलोअर्स बन भी चुके हैं।

7. चुटकुले, शायरी और प्यार

इस ग्रुप में हास्य भी बिकता है और कई बार, और यह उन पेजों को पूरी तरह से बदल डालने के विकल्प के साथ बिकता है। नीचे स्क्रीनशॉट में, एक सदस्य “लव शायरी” पेज बेच रहा है जिसके 1.2 लाख से अधिक फॉलोअर हैं। उसने कहा कि पेज का नाम बदलने और/या दूसरे पेजों (अन्य पेज के साथ) से जोड़ने का विकल्प उपलब्ध है और लोगों को 4,500 रुपये से ऊपर बोली लगाने के लिए कहा गया है।

प्यार, चुटकुले और शायरी से जुड़े पेज पर ऐसे कई ऑफर मौजूद हैं।

8. फॉलोअर्स/व्यूज को खरीदना और बेचना

फॉलोअर्स की संख्या से ही सोशल मीडिया पर कोई पेज/अकाउंट लोकप्रिय होता है और इसकी प्रभावशाली शक्ति का पता चलता है।

हालाँकि फेसबुक पेज शुरू करना आसान है, लेकिन फॉलोअर्स को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से “वायरल” सामग्री की आपूर्ति करने में समय खर्च होता है। शेयरिंग इज केयरिंग इस मांग को पहचानता है; इसके सदस्य को इंस्टाग्राम और फेसबुक फॉलोअर्स के रेट कार्ड देते हुए देखा जा सकता है, यहां केवल 100 रुपये में 5,000 फॉलोअर को बेचा जा रहा है।

एक पेज की लोकप्रियता इसकी पोस्ट को मिलने वाले लाइक्स और व्यूज पर भी निर्भर करती है। एक सदस्य 20 रुपये में 500 लाइक्स बेच रहा था; एक अन्य सदस्य इंस्टाग्राम पर मिलने वाले हरेक व्यूज के लिए 0.50 रुपये चार्ज कर रहा था।

लेकिन बड़ी मात्रा में वास्तविक व्यूज को खरीदना हमेशा संभव नहीं होता है, और यदि फेसबुक का एल्गोरिद्म लोकप्रिय सामग्री का समर्थन करता है, तो आपके पेज में लाखों लाइक्स होने के बावजूद आपका पेज इंटरनेट की भीड़ में कहीं छुपा रहता है। अब नकली व्यूज का खेल शुरू होता है। शेयरिंग इज केयरिंग पर बहुत से लोग फेसबुक और यूट्यूब वीडियो के लिए “नकली व्यू” खरीदने-बेचने का सौदा करते हैं।

9. नकली ऑफर वाली वेबसाइट

ऑल्ट न्यूज़ ने हाल ही में नकली सरकारी प्रस्तावों पर एक स्टोरी प्रकाशित की थी जो व्हाट्सएप पर चल रही थी, जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मुफ्त हेल्मेट और साइकिल दे रहे हैं। संदेश में एक लिंक शामिल था जिससे एक फॉर्म खुला और आवासीय पते सहित आपके व्यक्तिगत विवरण मांगे गए। एक पेज के फॉर्म में कम से कम दो Google विज्ञापन थे। पिछले साल, एक और व्हाट्सऐप फॉरवर्ड ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी मुफ्त बैलेंस दे रहे हैं। इसमें भी यूज़र को उनके नाम, फोन नंबर, मोबाइल सेवा ऑपरेटर और निवास की स्थिति बताने वाले एक फॉर्म पर रीडायरेक्ट किया गया।

हमें शेयरिंग इज केयरिंग पर इसी तरह की वेबसाइटें बिकती हुई मिलीं।

नकली पेटीएम ऑफर और पतंजलि सिम कार्ड की पेशकश करने वाली कई अन्य वेबसाइट भी बिक रही थीं।

ऊपर से देखने पर ऐसी वेबसाइटें हानिरहित लग सकती हैं, लेकिन उनके असर बड़े पैमाने पर हो सकते हैं। हाल ही में, व्हाट्सएप पर चलने वाले नकली मतदान ने अयोध्या में राम मंदिर या बाबरी मस्जिद के लिए लोगों की प्राथमिकता मांगी। सांप्रदायिक सामग्री वाली नकली वेबसाइट में Google विज्ञापन वाला एक मतदान फ़ॉर्म था। जब पैसा बनाने की इच्छा नैतिकता को पार करती है, तो उससे ऐसी उत्तेजक सामग्री का जन्म होता है।

फेसबुक के नियम और शर्तों को पढ़ते समय, ऑल्ट न्यूज ने पाया कि एक फेसबुक कर्मचारी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि पेज खरीदना और बेचना वेबसाइट की नीति के खिलाफ है।

ऐसा लगता है कि सदस्यों को भी इस नियम की जानकारी है, क्योंकि कई बातचीतों से हमें ऐसा अनुमान लगा है।

नीति के उल्लंघन के बावजूद, शेयरिंग इज केयरिंग पर हजारों व्यक्ति हर दिन सौदे कर रहे हैं; और यह कई ग्रुपों में से केवल एक ग्रुप है जिसके बारे में हमने लिखा है।

इस श्रंखला के पिछले लेख में ऑल्ट न्यूज ने खुलासा किया था कि कैसे फेसबुक पेज पैसे कमाने के लिए घटिया वेबसाइटों पर भारी ट्रैफिक हासिल करते हैं। हमारा अगला लेख इन फेसबुक पेज और वेबसाइटों के व्यावसायिक मॉडल पर आगे विस्तार से रोशनी डालेगा।

अनुवाद: कपिल स्वामि के सौजन्य से

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.